Ghatshila (Rajesh Choubey) : केंद्र सरकार द्वारा मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए गठित समिति में मुख्य न्यायाधीश की जगह कैबिनेट मंत्री को नियुक्त करने का विधेयक का प्रस्ताव लाया गया है. इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए घाटशिला प्रखंड के दामपाड़ा क्षेत्र की जिला परिषद सदस्य देवयानी मुर्मू ने कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति समिति में केंद्र सरकार द्वारा किए गए बदलाव के प्रस्ताव का असर लोकतंत्र पर पड़ेगा. संविधान में संवैधानिक संस्थाओं के प्रमुख की नियुक्ति के लिए नियुक्ति समिति का प्रावधान है. इस समिति में सरकार विपक्ष और न्यायपालिका से एक-एक सदस्य रखने का प्रावधान है, ताकि नियुक्ति निष्पक्ष हो. नियुक्ति पर संदेह होना जायज है. सरकार का पक्ष मजबूत होने से सरकार के लिए अपने निर्णय को निर्वाचन आयुक्त के माध्यम से लागू करना आसान हो जाएगा. केंद्र सरकार का मुख्य निर्वाचन समिति में लाया गया बदलाव का प्रस्ताव कहीं से भी उचित नहीं दिखता.
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निष्पक्ष कार्रवाई करने की उम्मीद पूरी तरह बेमानी साबित होगी : रामकिशोर
बड़ाजोड़ी विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामकिशोर मुर्मू ने कहा कि निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति समिति में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का होना जरूरी है. वर्तमान में नेता के चरित्र को देखते हुए कैबिनेट मंत्री के सरकार में रहते हुए उनके निष्पक्ष होने पर संदेश होना स्वाभाविक है. वर्तमान में न्यायपालिका पर लोगों को भरोसा है. इसलिए मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति समिति में प्रधान न्यायाधीश का होना जरूरी है. जब संवैधानिक संस्थानों के प्रमुख की नियुक्ति ही निष्पक्ष नहीं होगी तो उनसे निष्पक्ष कार्रवाई करने की उम्मीद पूरी तरह बेमानी साबित होगी. जिस प्रकार से चुनाव में लगातार सवाल उठते रहे हैं. निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए ही चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की जाती है. चीफ जस्टिस के रहने से निष्पक्षता के साथ ही कोई कानूनी समस्या होने पर वह समस्या को सुलझाने में भी सक्षम होंगे. इसलिए समिति में न्यायाधीश का होना अत्यंत जरूरी है.
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इस विधेयक को लाने से पहले चर्चा होनी चाहिए थी : करण सिंह
घाटशिला प्रखंड अंतर्गत शहरी क्षेत्र के जिला परिषद सदस्य करण सिंह ने कहा कि इस विधेयक को लाने के पहले पूरी तरह चर्चा होनी चाहिए थी. समिति में कैबिनेट मंत्री के आने से यह सत्ता पक्ष के पाले में गेंद चला जाएगा. कोई माने या ना माने निष्पक्ष और पारदर्शी पूर्ण चुनाव पर उंगली उठने तय हैं. उन्होंने कहा कि अय्युक्तों को स्वतंत्र और निष्पक्ष होना चाहिए. ऐसे में चीफ जस्टिस का चयन समिति में होना अत्यंत आवश्यक है. हर पहलुओं पर गंभीरता से विचार करने के बाद ही ऐसे विधायक सदन में लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकार अपने फायदे के लिए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करेगी. जो भी इस पद के लिए चुने जाएंगे.