Giridih : ठंड से बचने के लिए जरूरतमंदों के लिए गिरिडीह बस स्टैंड के निकट बनाए गए रैन बसेरा में दो वर्ष से ताले लटक रहे हैं. इसके निर्माण के पीछे नगर परिषद् की सोच थी कि रिक्शा चालकों व मजदूरों को कपकपाती ठंड में खुले आसमान के नीचे सोना नहीं पड़ेगा. वर्ष 2014 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ. बनकर तैयार होने के बाद वर्ष 2016 से रिक्शा चालक व मजदूर इसमें रहने लगे. रहने के लिए शुल्क नहीं देनी पड़ती थी. कंबल, मच्छरदानी व प्राथमिक उपचार की भी सुविधा उपलब्ध थी. सामानों की खरीदारी में अनियमिता उजागर होने के के बाद रैन बसेरा की निगरानी के लिए गठित पांच सदस्यीय कमेटी और नगर परिषद् के तत्कालीन सिटी मिशन मैनेजर राजन कुमार सिंह के बीच विवाद छिड़ गया. मई 2020 में ताले लटका दिए गए. संचालन जमशेदपुर की पूरीडा स्वयंसेवी संस्था कर रही थी.
लंबे संघर्ष के बाद बना रैन बसेरा
लंबे संघर्ष के बाद इसका निर्माण किया गया. रिक्शा चालक संघ के जिला अध्यक्ष राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में निर्माण के लिए आंदोलन छेड़ा गया. शहर में पहली बार 17 दिसंबर 1994 को प्रदर्शन कर निर्माण की मांग की गई. 20 साल बाद 2014 में निर्माण कार्य शुरू हुआ.
निगरानी के लिए बनी थी पांच सदस्यीय कमेटी
रैन बसेरा संचालन के लिए नगर परिषद् की ओर से पांच सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी. कमेटी में पूर्व नगर परिषद् अध्यक्ष राजेश अग्रवाल, दिनेश कुमार यादव, कृष्ण मुरारी शर्मा, शिवम आजाद, अरुण शर्मा, राकेश मोदी शामिल थे. राजेश अग्रवाल को रैन बसेरा की केयरटेकर की भी जिम्मेवारी थी. उनका आरोप है कि गद्दा, पलंग व बेडशीट की खरीदारी तत्कालीन सिटी मिशन मैनेजर राजन कुमार सिंह ने कमेटी से मशविरा किए बगैर की. रैन बसेरा की क्षमता 15 बेड की थी, लेकिन पलंग और बेडशीट 28 की संख्या में खरीदी गई. कमेटी के एतराज जताने पर विवाद शुरू हो गया.
तत्कालीन सिटी मैनेजर ने आरोप को निराधार बताया
तत्कालीन सिटी मैनेजर राजन कुमार सिंह ने पलंग, गद्दा व बेडशीट की कमेटी से राय लिए बगैर खरीदारी करने के आरोप को निराधार बताया है. बताया कि रैन बसेरा परिसर से बैटरी चोरी हो गई. कमेटी सदस्य सह केयरटेकर होने के नाते राजेश अग्रवाल की जिम्मेवारी थी कि वहां रखे सामानों की हिफाजत हो. रैन बसेरा असामाजिक तत्वों का जमावड़ा भी बन गया था. मेरे कार्यकाल में रैन बसेरा का सुचारू रूप से संचालन हो रहा था.
बैटरी चोरी का आरोप मनगढ़ंत

राजेश अग्रवाल ने सिटी मिशन मैनेजर के आरोप को मनगढ़ंत करार दिया है. कहा कि रैन बसेरा परिसर में बैटरी की चोरी की जवाबदेही मेरी नहीं थी. सिटी मिशन मैनेजर आपसी खुन्नस के कारण आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने मेरा 9 माह का 45 हजार रुपए बकाया नहीं दिया. रैन बसेरा संचालन के लिए सरकार की ओर से हर माह पचास हजार रुपए दी जाती थी. कमेटी सदस्य सह केयरटेकर होने के नाते पांच हजार की राशि मुझे भुगतान किया जाता था. बाकी राशि बंदरबांट हो जाती थी.
रैन बसेरा का किया जाएगा रीमॉडलिंग

प्रभारी महापौर प्रकाश राम ने बताया कि रैन बसेरा का रिमॉडलिंग किया जाएगा. महिला व पुरुष के रहने की अलग-अलग व्यवस्था की जाएगी. फिलहाल धरियाडीह सामुदायिक भवन में रैन बसेरा संचालित किया जा रहा है. शहर से दूर रहने के कारण जरूरतमंद वहां नहीं पहुंचते.
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