Giridih : शिक्षा विभाग के नियम के अनुसार पांच वर्ष तक सेवा देने के बाद ग्रेड चार में नियुक्त शिक्षकों को प्राचार्य के पद पर प्रोन्नति देना है. गिरिडीह जिले में करीब तीन सौ शिक्षक ऐसे हैं, जिन्होंने पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है. इसके बावजूद प्रोन्नति का मामला अधर में लटका हुआ है. वर्ष 2015-16 में करीब तीन सौ शिक्षकों की नियुक्ति 4600 के ग्रेड पे और 9300 से 34800 के वेतनमान पर हुई थी. नियुक्ति प्रक्रिया में स्नातक पद को तरजीह नहीं देकर छठी से आठवीं कक्षा के बच्चों को पढ़ाने की क्षमता को महत्व दिया गया. जबकि शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष-1993 की नियमावली के अनुसार स्नातक पद को तरजीह देकर की जानी चाहिए थी. इस प्रकार शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला सरकारी पेंच में फंसा है.
जिले में कुल 170 मध्य विद्यालय हैं. इसमें से 167 मध्य विद्यालयों में प्रभारी प्राचार्य हैं. केवल तीन मध्य विद्यालयों में ही स्थाई प्राचार्य हैं. ये तीनों प्राचार्य इसी वर्ष सेवानिवृत हो जाएंगे. शिक्षकों ने बताया कि अगर ग्रेड सात में कार्यरत शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिली तो अन्य शिक्षकों को वेतन निकासी में परेशानी होगी. वेतन निकासी के लिए स्थाई प्राचार्य को ही निकासी सह व्ययन पदाधिकारी बनाया जाता है.
शिक्षकों की प्रोन्नति मामले में पूर्व व्यवस्था लागू करने की मांग
जिला प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रधान सचिव मैनेजर सिंह ने बताया कि राज्य सरकार शिक्षकों की प्रोन्नति मामले में पूर्व की व्यवस्था लागू करे. पूर्व में शिक्षकों की नियुक्ति कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए होती थी. वर्ष 2015-16 में करीब तीन सौ शिक्षकों की नियुक्ति कक्षा छह से आठ तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए की गई थी. उन्होंने बताया कि सरकार को जल्द नई नियमावली बनानी चाहिए, जिससे नव नियुक्त शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ मिल सके.
जिला शिक्षा पदाधिकारी पुष्पा कुजूर ने बताया कि सरकारी स्तर से शिक्षकों की प्रोन्नति पर रोक लगी हुई है. इस वजह से नव नियुक्त शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रोन्नति पर रोक हटाए जाने के बाद ग्रेड चार में नियुक्त शिक्षकों को स्वतः लाभ मिलने लगेगा.
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