Chulbul
Ranchi : ईसाई समाज में पादरी यानी प्रीस्ट बनने के लिए बाकायदा पढ़ाई करनी पड़ती है. राज्य के तीनों प्रमुख प्रमुख चर्च – जीईएल, रोमन कैथलिक (आरसी) और सीएनआई में पादरी बनने की प्रक्रिया अलग-अलग है. ऐसे में अन्य समाज के लोगों को यह जानने की काफी जिज्ञासा होती है कि आखिर पादरी कैसे बना जाता है. आज हम जीईएल कलीसिया में पादरी बनने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे.
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गोस्सनर थियोलॉजिक कॉलेज
गोस्सनर थियोलॉजिक कॉलेज में न्यू टेस्टामेंट और ग्रीक भाषा के प्रोफेसर रेव्ह हेमंत कुमार बाबा ने बताया कि जीईएल चर्च के तहत एक ही थियोलॉजिकल कॉलेज है, जहां धर्म और आध्यात्म की पढ़ाई होती है. इस कॉलेज को सीनेट ऑफ सेरामपुर, कोलकाता द्वारा मान्यता मिली है. इस कॉलेज में झारखंड के साथ असम, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार, ओडिशा और अंडमान से छात्र पुरोहिताई की शिक्षा प्राप्त करने आते हैं.
बैचलर ऑफ डिविनिटी (BD) की दी जाती है डिग्री
पुरोहिताई की शिक्षा लेने के लिए आवश्यक योग्यता इंटरमीडिएट पास होना है. इंटर के बाद आनेवालों छात्रों को पादरी बनने के लिए अगले 5 साल शिक्षा और ट्रेनिंग दी जाती है. वहीं ग्रेजुएशन के बाद नामांकन लेनेवाले स्टूडेंटस के लिए चार वर्ष का कोर्स होता है. यहां से बैचलर ऑफ डिविनिटी (बीडी) की डिग्री दी जाती है. कॉलेज में स्टूडेंट्स को थियोलॉजी के सात ब्रांच – बिबलिकल ब्रांच (बाइबल के पुराने और नये नियम), थियोलॉजी, चर्च हिस्ट्री, क्रिश्चियन एजुकेशन, कम्युनिकेशन, काउंसिंलिग, साइकोलॉजी, रिलीजियन ब्रांच (सभी धर्मों की शिक्षा) और अंगरेजी, हिंदी, ग्रीक और हिब्रू भाषा की शिक्षा दी जाती है.
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कोर्स और ट्रेनिंग के बाद कलीसिया में बनते हैं पादरी
स्टूडेंट्स को 4 से 5 साल की पढ़ाई के बाद ट्रेनिंग दी जाती है. इस दौरान उन्हें किसी पैरिश, डायसिस या कांग्रीगेशन में भेजा जाता है. यहां उन्हें 1 वर्ष तक प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दी जाती है. इसके पूरे होने के बाद उन्हें कलीसिया कैंडिडेट घोषित करती है. कैंडिडेट के रूप में उन्हें लगभग 1 से 5 वर्ष तक मंडली स्तर पर सेविकाई देनी पड़ती है. इन पांच साल के अंदर जिन स्टूडेंट्स का प्रदर्शन संतोषजनक होता है उनका पुरोहिताभिषेक किया जाता है.
झारखंड और आसपास के इलाकों में बड़ी संख्या में युवाओं में पादरी बनने की रुचि को देखते हुए 30 जनवरी, 1866 को थियोलॉजिक कॉलेज की स्थापना की गई. इसके बाद हजारों लोग यहां से शिक्षा लेकर बतौर शिक्षक, पादरी और बिशप अपनी सेवा दे रहे है. वर्तमान में कॉलेज के प्रिंसिंपल रेव्ह डॉ क्राइस्ट सुमित अभय केरकेट्टा है. कॉलेज में 12 प्रोफेसर हैं. इनमें से 3 नगालैंड, 1 मिजोरम और 8 झारखंड के हैं. इसके साथ ही कॉलेज में वर्तमान में 60 स्टूडेंट शिक्षा ले रहे हैं.