Hazaribagh : उपायुक्त के पास एक साल से अधिवक्ता की सूची होने के बावजूद हजारीबाग जिले में सरकारी अधिवक्ता का चयन पिछले एक साल से नहीं हुआ है. जिस कारण प्रभारी सरकारी अधिवक्ता से काम लिया जा रहा है. सरकारी अधिवक्ता नहीं होने के कारण कई समस्याएं भी उत्पन्न हो रही है. महत्वपूर्ण बात यह है कि एक साल पहले ही अधिवक्ताओं की सूची तत्कालीन उपायुक्त को सौंपी गयी थी. इसके बावजूद अब तक सरकारी अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं हुई है.
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सरकारी अधिवक्ता न्यायिक प्रक्रिया में बेहद महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं. जो सरकार और जिला प्रशासन का पक्ष न्यायाधीश के सामने प्रस्तुत करते हैं.एक साल पहले स्थानीय अधिवक्ताओं ने इस बात को लेकर सवाल खड़ा किया तो तत्कालीन उपायुक्त ने अधिवक्ताओं की सूची मांगी थी.जिसकी नियुक्ति सरकारी स्तर से होती है. लेकिन अब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
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इस मामले पर हजारीबाग व्यवहार न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता भैया उत्तम प्रसाद ने कहा कि अगर सरकारी अधिवक्ता की नियुक्ति नहीं होती है तो सीधा असर सरकार के काम पर आता है.हजारीबाग के वरिष्ठ अधिवक्ता मिथिलेश कुमार सिन्हा भी इस बात पर जोर देते हैं कि सरकारी अधिवक्ता किसी भी जिले के लिए महत्व रखता है. वर्तमान समय में हजारीबाग में प्रभारी सरकारी अधिवक्ता से काम लिया जा रहा है. उनका काम तो बेहतर है, लेकिन प्रभारी के बदले अगर अस्थाई रूप से सरकारी अधिवक्ता की नियुक्ति हो जाए तो बेहतर होगा. क्योंकि सरकारी अधिवक्ता सरकार की बातें न्यायधीश तक पहुंचाते हैं. सिविल के कई मामले में हजारीबाग में लंबित है.हजारीबाग बार एसोसिएशन भी इस बात का इंतजार कर रहा है कि जल्द से जल्द हजारीबाग में सरकारी अधिवक्ता की नियुक्ति हो जाए ,जिससे सरकार का पक्ष मजबूती के साथ रखा जा सके.