Girish Malviya
सरकारी कंपनी BSNL के लिए सरकार के पास पैसे नहीं थे, लेकिन निजी कंपनी वोडाफोन को बचाने के लिये सरकार के पास खूब पैसा है! वोडाफोन की देनदारी को इक्विटी में बदलने के बाद वोडाफोन के शेयर अब सरकार के हो गए हैं. सरकार के पास वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी 35.8 फीसदी की हिस्सेदारी है. जबकि कंपनी के प्रोमोटर वोडाफोन ग्रुप की हिस्सेदारी करीब 28.5 फीसदी और आदित्य बिड़ला की मात्र 17.8% रह गयी है.
अब सबसे महत्वपूर्ण बात जान लीजिए कि यह हिस्सेदारी मात्र 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज बकाया को एडजस्ट करने के लिए दी गयी है. वास्तविक रूप में तो अभी भी एक लाख करोड़ से अधिक देनदारी वोडाफोन पर सरकार की निकल रही है. यह सारा लोन सरकारी बैंकों ने दिया है. इसका साफ मतलब है कि धीरे से वोडाफोन और बिरला अपने शेयर बेच कर निकल लेंगे और यह एक लाख करोड़ के लोन का ठीकरा सरकार के माथे पर ही फूटेगा.
यह प्रकरण हमें निजी बैंक यस बैंक की याद दिलाता है. जहां सीईओ रहे राणा कपूर ने बैंक को जमकर लूटा और जैसे बैंक डूबने लगा तो वह अलग हो गए. सरकार को आगे आकर बैंक को बचाना पड़ा. जो निजीकरण का समर्थन करते हैं, उन्हें यह दोनों उदाहरण ठीक से समझने होंगे.
अब आप कहेंगे कि इसमें मोदी सरकार की क्या गलती? मोदी सरकार की सबसे बड़ी गलती यह है कि उसने एक टेलीकॉम कंपनी को बेजा सपोर्ट किया और पूरे टेलीकॉम सेक्टर का भट्टा बिठा दिया, साथ ही उसने बीएसएनएल जैसी कंपनी को भी लगभग बंद सा कर दिया.
एक दशक पहले देश में दस से अधिक टेलीकॉम कंपनियां थीं, लेकिन आज सिर्फ 4 बची हैं. 2016 में मुकेश अंबानी की टेलीकॉम मार्केट में एंट्री हुई सरकार ने जियो का अधाधुंध सपोर्ट किया. बीएसएनएल का सारा नेटवर्क, सारे टावर, एक-एक कर नाम मात्र के किराए पर जियो को सौंप दिए. राजस्थान में वसुंधरा सरकार ने भामाशाह योजना और छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार ने रूरल क्षेत्रों में कनेक्टिविटी के नाम पर हजारों करोड़ रुपये का फायदा जियो को पहुंचाया.
मोदी सरकार ने सरकारी कंपनी बीएसएनएल को 4जी स्पेक्ट्रम तक अलॉट नहीं किया, ताकि कोई मजबूत कॉम्पिटिशन जियो को न झेलना पड़े. 2019 में दुनिया का सबसे बड़ा CUG यानी क्लोज यूजर ग्रुप कनेक्शन भारतीय रेलवे का एयरटेल से छीनकर जिओ को दे दिया गया.
वोडाफोन क्यों घाटे में उतर गया. इसकी एकमात्र वजह मोदी सरकार के एकतरफा डिसीजन थे. 2016 में आए जिओ को कॉम्पिटिशन से बचाने और उसे फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अन्य दूरसंचार ऑपरेटरों को जबरदस्त झटका देते हुए इंटरकनेक्ट यूजेज चार्ज (आईयूसी) की दरें 58 फीसदी घटा दी थी. इसमें यह व्यवस्था की गयी कि किसी ऑपरेटर का ग्राहक दूसरे ऑपरेटर के नेटवर्क पर कॉल करेगा तो उसे इस नेटवर्क के इस्तेमाल के एवज में प्रति मिनट छह पैसे का आईयूसी वसूल किया जाएगा. जबकि पहले यह दर 14 पैसे थी.
एयरटेल वोडाफोन आदि ट्राई से मांग कर रहे थे कि इंटरकनेक्ट चार्जेज बढ़ाकर 30 पैसे कर दिया जाए. लेकिन उसे 14 पैसे से घटा कर 6 पैसे कर दिया गया, बाद में यह बिल्कुल निल हो गया.

उस वक्त ब्रिटेन के वोडाफोन समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विटोरियो कोलाओ ने दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा को लिखे एक पत्र में कहा था कि इंटर कनेक्शन चार्ज में कोई कमी करने से टेलीकॉम कंपनियां बर्बादी की कगार पर आ जाएंगी और आज वही हुआ है. साफ दिख रहा है कि सरकार यही चाहती थी कि टेलीकॉम सेक्टर में जिओ का कॉम्पिटीशन समाप्त हो जाए और आज 2022 में फाइनली यह स्थिति आ गयी है.
इतना सब होने के बाद भी हिन्दू मुस्लिम की बकवास में उलझे अंधभक्तों को इकनॉमिक्स की बैंड बजाने वाला मोदिनोमिक्स की असलियत दिख नहीं रही है, तो कोई क्या कर सकता है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.
Bilkul sahi hai🙏🙏🙏🙏🙏
Aap Kaun Sa Network Use Karte Hain?
Hii
Aap kahte ho me to pagal huna mere papa bsnl me karamchari the aagar bane rahte to aaj 80000 ka vetan late pm ke ese rukhse jio ko majbur kiya nahi to airtel Vodafone idea kohi karj kayo dena pad raha jio ko kayo karj naho dena pada sarkar ne hame barbad kiya hai
Nice bhai aap to samjdar hai par and bhakkt to andhe hai
Very good keep it up. ..aapne bahut achche tarike se samjhaya
बस अन्त मे तुने हिन्दु – मुसलिम कर के अपने ज्ञान का परिचय दे दिया