Ranchi: धान खरीद में हुई अनियमितता और बकाया राशि भुगतान समेत किसानों के कई मुद्दों को लेकर प्रदेश बीजेपी ने राज्य में 1163 जगहों पर धरना दिया, जिसमें पार्टी के पदाधिकारी और कार्यकर्ता स्थानीय किसानों के साथ धरने में शामिल हुए. गिरिडीह जिला के चन्दौरी मंडल के लौटाई गांव में बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने धरना दिया. उन्होंने कहा कि जो सरकार राज्य के किसानों के बकाये का भुगतान नहीं कर सकती उसे सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. मरांडी ने कहा कि कहां तो 2 लाख तक के ऋण माफी,मुफ्त बिजली सहित और कई घोषणाएं की गई थी, लेकिन वादे तो पूरे हुए नहीं बल्कि किसानों के खून पसीने की कमाई भी सरकार छीन रही है. धान की कीमत बिचौलियों ने छीन ली और बचाखुचा सरकार ने. अब हताश निराश किसान कहां जाएं. उन्होंने कहा कि भाजपा को राज्य के किसानों की चिंता है. पार्टी किसानों की समस्या को लेकर सदन से सड़क तक संघर्ष करेगी.
बिचौलियों की हितैषी है कांग्रेस जेएमएम की सरकार- दीपक प्रकाश
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने रांची के सुरुकहुट्टू में धरना दिया. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार गरीब गुरबा और किसानों के साथ अन्याय कर रही है. कोरोना महामारी से परेशान किसानों को उनके हक के भी पैसे सरकार ने रोक रखा है. दीपक प्रकाश ने कहा कि जिन किसानों को इस समय खेतों में होना था वे अपने हक और अधिकार के लिए खेतों में धरना दे रहे हैं. उन्होंने सरकार किसानों से जल्द क्रय धान की पूरी कीमत देने की माग की. दीपक प्रकाश ने कहा कि सरकार बिचौलियों की सरकार है. बिचौलियों के हित में फैसले ले रही है. रिकॉर्ड अन्न उत्पादन के बाद हेमंत सोरेन ने एमएसपी के तहत धान खरीदने का वादा किया था, लेकिन बिचौलियों के हित में वित्त मंत्री ने मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार कर धान भीगा कहते हुए धान खरीदने से इंकार कर दिया. इस दौरान झामुमो और कांग्रेस के बिचौलियों ने औने पौने दाम में धान की ख़रीदगी की.
अन्नदाता निराश होंगे तो राज्य खुशहाल नहीं होगा- धर्मपाल
उधर रातू मंडल के लहना गांव में धरना प्रदर्शन को संबोधित करते हुए प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि यदि राज्य के अन्नदाता निराश और हताश होंगे तो राज्य कभी भी खुशहाल नहीं हो सकता. आज किसान अपने बकाये के भुगतान के लिये धरने पर बैठने को मजबूर हुए हैं. सरकार अगर किसानों की मांग शीघ्र पूरी नहीं करती तो राज्य के किसान और बड़े आंदोलन के लिये बाध्य होंगे.