Ranchi: ग्रीन पटाखों के बारे में न तो बेचनेवालों को जानकारी है न खरीदनेवालों को Ranchi: विश्वव्यापी कोरोना महामारी के मद्देनजर सरकार की तरफ से कई तरह के आदेश जारी किये गये. कुछ को छोड़कर बाकी सभी आदेश सिर्फ सरकारी दफ्तरों की फाइल तक ही सीमित हैं. मसला पान मसाला, गुटखा और सिगरेट की बिक्री का हो, पूजा पंडालों में सोशल डिस्टेंसिंग का हो या दिवाली के मौके पर पटाखे जलाने की, इनसे जुड़े सारे आदेशों की जमीनी स्तर पर कोई अहमियत नहीं है. होता वही है, जैसा पब्लिक करना चाहती है. सरकारी तंत्र की तरफ से मीडिया के माध्यम से लोगों तक फरमान जरूर पहुंचा दिया जा रहा है कि आदेश का उल्लंघन करने पर आपदा कानूनों के तहत कार्रवाई संभव है, मगर न लोग मानते हैं, न कोई कार्रवाई होती है.
पटाखों को लेकर जारी किये गये आदेश किसी काम के नहीं
झारखंड सरकार की तरफ से दिवाली के मौके पर पटाखों को लेकर आदेश जारी किया गया. कहा गया कि पटाखे सार्वजनिक जगहों पर नहीं जलाना है. दिवाली की रात सिर्फ आठ बजे 10 बजे रात तक ही पटाखे जलाने हैं. जो भी पटाखे बिकेंगे वो सामान्य नहीं बल्कि ग्रीन पटाखे होंगे. लेकिन दिवाली के दो दिन पहले से ही इन सारे नियमों को ताक पर रख दिया गया है. सार्वजनिक जगहों पर पटाखे जल रहे हैं. टाइमिंग का कोई ध्यान नहीं है, साथ ही बाजार में सभी तरह के पटाखों की बिक्री हो रही है. ग्रीन पटाखे होते क्या है, इसकी जानकारी ना तो दुकानदार को है और ना ही खरीदार को.
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क्या होते हैं ग्रीन पटाखे
दिवाली के मौके पर प्रदूषण को देखते हुए बड़े शहरों में पूरी तरह से पटाखे बैन किए जाने लगे. दिल्ली में 2017 में यह आदेश जारी हुआ. जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में पटाखों पर बैन के आदेश को हटा और आदेश दिया कि सिर्फ ग्रीन पटाखे ही जलाये जायें. ग्रीन पटाखों के लिए गाइडलाइन जारी की गयी. गाइडलाइन के मुताबिक ये पटाखे पारंपरिक पटाखों से छोटे साइज के होंगे. पटाखों में हानिकारक तत्व जैसे लीथियम, आर्सेनिक, लेड और बेरियम नहीं होंगे. सबसे जरूरी कि पटाखे जलाने पर धूल कम उड़े. पटाखे जलते ही भाप बने, जिससे वातावरण में धूलकण उड़ न सकें. पटाखे इस तरह के हों, जिससे 30 फीसदी कम प्रदूषण फैले. साथ ही पारंपरिक पटाखों से इसकी आवाज कम हो.
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बिक रहा है गुटखा-पान मसाला, ज्यादा लग रहा है कैश
झारखंड सरकार की तरफ से राज्य में पान मसाला, गुटखा, खैनी और सिगरेट बैन है. रांची प्रशासन ने तो सीड्स (Socio Economic and Educational Development Society ) के सर्वे के हवाले से दावा किया है कि रांची धूम्रपान मुक्त है. यहां 90.5 फीसदी जनता धूम्रपान नहीं करती है. लेकिन सच्चाई इससे कोसों दूर है. राज्य में पान मसाला, गुटखा, खैनी और सिगरेट बैन किए जाने से सिर्फ इसकी कीमत बढ़ी है. बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है. बैन किये जाने से पहले रजनीगंधा पान मसाला की पुड़िया 17 रुपये की थी अब इसे 25 रुपये तक में बेचा जा रहा है. सिगरेट, खैनी और दूसरे गुटखों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. मामला हाईकोर्ट में है. जितनी बार कोर्ट सरकार को बैन को सख्ती से लागू करने के लिए फटकार लगाता है, उतनी बार सिर्फ कीमतों पर असर होता है. बिक्री पर नहीं.
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पूजा में सोशल डिस्टेंसिंग का भी हाल बुरा
दुर्गा पूजा को लेकर सरकार की तरफ से सोशल डिस्टेंसिंग और पंडाल को लेकर कई तरह के दिशा-निर्देश जारी किए गए. ठीक काली पूजा और दिवाली को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. दुर्गा पूजा में कई बार झारखंड के तमाम पंडालों में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती दिखीं. मास्क की अनिवार्यता भी नहीं बरती गयी. सिर्फ पंडालों की मूर्तियों की साइज जरूर छोटी हुईं. बाकी सारे आदेश बेअसर ही रहे.
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