NewDelhi : सरकार तीन नये कृषि कानूनों को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाये और इन्हें वापस ले. कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को यह नतीहत दी. साथ ही पार्टी ने 26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा और लाल किले की घटना को किसानों के संघर्ष को बदनाम करने की साजिश करार देते हुए इसकी जांच सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश द्वारा कराये जाने की मांग की.
सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया और कृषि कानूनों को लेकर बनी टकराव की स्थिति के लिए केंद्र सरकार की हठधर्मिता को जिम्मेवार बताया. इन कानूनों की संवैधानिक वैध्यता पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, सरकार आत्म चिंतन करे, इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाये. इसे वापस लेने की मांग की.
शर्मा ने कहा कि किसानों का आंदोलन 26 जनवरी से पहले तक शांतिपूर्ण था, लेकिन गणतंत्र दिवस के दिन जो हिंसा हुई और लाल किले की घटना हुई उसने किसानों को बदनाम कर दिया.
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26 जनवरी की घटना की हम सभी ने निंदा की है, निष्पक्ष जांच हो
आनंद शर्मा ने कहा, 26 जनवरी की घटना की हम सभी ने निंदा की है. निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. लाल किले की घटना से पूरा देश दुखी हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश की अध्यक्षता में इसकी जांच होनी चाहिए. राष्ट्रपति के अभिभाषण को नीरस और सरकार का निराशाजनक प्रशंसा पत्र करार देते हुए इसमें विवादास्पद कृषि कानूनों के उल्लेख को उन्होंने अनावश्यक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
कहा कि सरकार का इससे बचना चाहिए था. उन्होंने कहा, विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर एक तरफ आंदोलन चल रहा है और अभिभाषण में उसकी तारीफ हो रही है. इससे बढ़कर दुख की बात नहीं हो सकती है.
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कृषि राज्य का विषय है, कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं
कृषि कानूनों की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि कृषि राज्य का विषय है और इससे संबंधित कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं. सुप्रीम कोर्ट में लंबित महत्वपूर्ण मामलों को उन्होंने चिंता का विषय बताया और कहा कि संसद सर्वोच्च है और उसे इस मामले को संज्ञान लेना चाहिए.
उन्होंने कहा कि चाहे नागरिकता संशोधन कानून हो या तीनों कृषि कानून, इनसे संबंधित मामलों का सुप्रीम कोर्ट को जल्द निपटारा करना चाहिए. राजधानी दिल्ली के विभिन्न स्थलों पर चल रहे आंदोलन के इर्दगिर्द सुरक्षा घेरा बढ़ाये जाने को लेकर भी उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि संवैधानिक तौर पर आंदोलन में सरकार बाधाएं नहीं उत्पन्न कर सकती.
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लोकतंत्र में जनता की आवाज सुनना सरकार का दायित्व है
उन्होंने कहा, यह मौलिक अधिकार है. बैरियर हटाइये. जुल्म करना बंद करें. किसानों का सम्मान करने का आग्रह करता हूं. इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न ना बनायें. शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र में जनता की आवाज को सुनना सरकार का दायित्व है लेकिन आज विरोध प्रदर्शन को यह सरकार अपराध करार देती है और उनकी आवाज को लाठी और डंडों से दबा रही है.
प्रदर्शन स्थलों के आसपास इंटरनेट सेवा बंद किए जाने को लेकर भी उन्होंने सरकार पर निशाना साधा और कहा आज भारत विश्व का ‘‘इंटरनेट शटडाउन कैपिटल’’ बन गया है. शर्मा ने कोरोना संक्रमण काल में अध्यादेश के माध्यम से कृषि कानूनों को संसद में लाने और हंगामे के बीच पारित कराये जाने को लेकर आलोचना की.