Ranchi. किसान आंदोलन पर पूरे देश की नजर है. पिछले 50 दिनों से लगातार किसान केंद्र सरकार द्वारा लाये गये तीन कानूनों को वापस लेने के लिए डटे हैं. पंजाब और हरियाणा के किसान मंडियां खत्म होने और निजी क्षेत्र का एकाधिकार बढ़ने की आशंका से आंदोलित हैं. लेकिन दूसरी तरफ रांची जिले के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद केंद्रों में धान बेचने के लिए चक्कर काट रहे हैं.
खरीद केंद्रों पर लचर व्यवस्था और सरकारी सिस्टम की लापरवाही से किसानों को अपना धान औनीपौनी कीमत में बिचौलियों के हाथों बेचना पड़ रहा है. सरकार ने धान खरीद की दर बोनस को मिलाकर 2050 रुपये प्रति कुंतल तय की है. परेशान हाल किसान बिचौलियों को महज 1200 रुपये कुंतल धान बेचने को विवश हैं.
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46 दिन बाद भी पड़ा है सैकड़ों किसानों का धान
सरकार ने 1 दिसंबर 2020 से धान खरीदी का काम शुरू किया. 46 दिन बीतने के बाद भी जिले में हजारों ऐसे किसान हैं, जिनका धान अब तक उनके पास ही पड़ा है. सरकारी आंकडों के अनुसार रांची जिले में 9489 किसान रजिस्टर्ड हैं. आंकड़े कहते हैं कि 6081 बार किसानों को धान खरीद के लिए SMS भेजा जा चुका है. पर हकीकत यह है कि जिले के कई प्रखंडों में हजारों किसानों को एक भी SMS नहीं भेजा गया है, तो कुछ को 4 से 5 बार मैसेज भेजा गया है.
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कई दिनों से नहीं हटाया गया है गोदाम में पड़ा धान
मांडर ब्लॉक के कांबो गांव के अनिल सिंह ने बताया कि उनके खेतों से 27 क्विंटल धान की उपज हुई है. अभी तक उनके पास कोई SMS नहीं आया है. जब भी उन्होंने लैंपस में SMS नहीं मिलने का कारण पूछा, तो अधिकारियों का कहना था कि गोदाम में जगह फुल हो गयी है. जैसे ही जगह होगी, उन्हें उन्हें SMS चला जायेगा. केंद्र पर उपस्थित अधिकारी ने भी कहा कि गोदाम पूरा भरा है, इसलिए SMS नहीं जा रहा है. काफी दिन से गोदाम में जमा धान को उठाया ही नहीं जा रहा है. जैसे ही उठाव हो जायेगा, आपका नंबर आते ही आपको SMS भेज दिया जायेगा.
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प्रति क्विंंटल 5 किलो धान काटा जा रहा है क्रय केंद्र पर
अनिल सिंह ने कहा कि कांबो गांव के नजदीकी धान क्रय केंद्र में प्रति क्विंटल 5 किलो धान काट लिया जाता है. 27 क्विंटल धान में से 135 किलो धान केंद्र पर काट लिया जाता है. क्यों काटा जाता है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. पिछले पांच साल से हर बार प्रति क्विंटल धान में से पांच किलो काट लिया जाता है.
सरकारी काम में झंझट, इसलिए नहीं करवाया रजिस्ट्रेशन
मांडर के सुसई गांव के कुछ किसानों का कहना है कि सरकारी काम में बहुत झंझट है. हम इसमें नहीं फंसना चाहते. इसलिए हमें ऐसी किसी SMS जैसी योजना का पता नहीं है. इसके साथ ही जिन किसानों ने ऐसे सरकारी सिस्टम में रजिस्ट्रेशन कराया है, उनमें से कई के पास तो SMS आ ही नहीं रहा है. इसलिए हमने अपना धान बिचैलियों के जरिए 12 रुपये प्रति किलो बेच दिया है. यह सरकारी रेट से भले ही कम हो पर हमें तत्काल पैसों की जरूरत थी.
राहे ब्लॉक : 54 किसान रजिस्टर्ड, आधे को भी नहीं गया SMS
रांची जिले के राहे ब्लॉक के राहे गांव में आधे से ज्यादा किसानों को SMS नहीं गया है. यहां भी कुछ किसानों ने अपना धान बिचैलियों को बेच दिया है. उनका कहना है कि हम कई दिनों से सरकारी SMS का इंतजार कर रहे हैं. अभी तक SMS नहीं आया. घर में पैसों की जरुरत थी, इसलिए हमने कम दाम में ही धान बेच दिया.