Patna : नीतीश कुमार सातवीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ लेंगे, पर इस बार उनके लिए सबकुछ आसान नहीं होगा. बिहार में संपन्न हुए चुनाव के बाद सियासी समीकरण और हालात दोनों ही अलग हैं. इस वजह से नीतीश कुमार के सामने चुनौतियां भी कई होंगी. एक तरफ तो उन्हें मजबूत विपक्ष का सामना करना पड़ेगा तो दूसरी ओर अपने 4 सहयोगियों के साथ संतुलन साधकर चलना भी आसान नहीं होगा.
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आइये जानते हैं नीतीश कुमार के समक्ष आने वाली चुनौतियों के बारे में
एनडीए में सहयोगी दलों के साथ संतुलन बनाना
नीतीश कुमार अबतक बिहार में एकमात्र सहयोगी बीजेपी के साथ सरकार चलाते रहे हैं. लेकिन इस बार 4 सहयोगी दलों के साथ सामजस्य बनाना नीतीश कुमार के समक्ष चुनौती होगी. इस बार बीजेपी के साथ-साथ जीतन राम मांझी की हम पार्टी और मुकेश सहनी की वीआईपी भी गठबंधन का हिस्सा है. सरकार चलाने के लिए बहुमत के आंकड़े में भागीदार भी हैं.
नीतीश कुमार के समक्ष सरकार में नियंत्रण रखने की चुनौती
नीतीश कुमार की छवि बतौर सीएम बिना विचार-विमर्श किये फैसले लेने वाले सीएम के तौर पर की जाती है. चुनाव के बाद नीतीश के लिए सरकार चलाने और खुलकर निर्णय लेने की आजादी पहले जैसी नहीं होगी. नीतीश कुमार को अपने नियंत्रण में रखकर शासन करने में लगातार चुनौतियों का सामना करना होगा.
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मंत्रिमंडल में जेडीयू रहेगी अल्पमत में
जेडी की सरकार के अंदर हिस्सेदारी कम होगी. एनडीए में बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में है और जेडीयू दूसरे नंबर की पार्टी है. ऐसे में नीतीश कैबिनेट में बीजेपी और जेडीयू ही नहीं बल्कि जीतनराम मांझी की HAM और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को भी मंत्री पद देने होंगे, क्योंकि उनके सहारे ही बहुमत का आंकड़ा है.