Ranchi : झारखंड विधानसभा से पारित एक और विधेयक को राज्यपाल रमेश बैस ने वापस कर दिया है. इस बार राज्यपाल ने झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022 को वापस किया है. वापस करने का कारण राज्यपाल ने हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में भिन्नता को बताया है. इसे लेकर उन्होंने आपत्ति भी जतायी है. राज्यपाल द्वारा वापस किये जाने के बाद राज्य सरकार को यह विधेयक एक बार फिर विधानसभा से पारित कराना होगा. मालूम हो कि इस विधेयक में सबसे प्रमुख प्रावधानों में से एक खरीदारों से दो प्रतिशत कृषि बाजार टैक्स लेने की व्यवस्था की गई है, जिसका झारखंड चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज लगातार विरोध कर रहा है.
पहले भी लौटा चुके हैं चार विधेयक
इससे पहले राज्यपाल रमेश बैस ने मॉब लिंचिंग विधेयक, रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विवि विधेयक, झारखंड वित्त विधेयक 2021 पर आपत्ति दर्ज कराते हुए उन्हें वापस कर दिया था. उपरोक्त चारों विधेयकों के लौटाये जाने के बाद अब सरकार को इन विधेयकों को सदन से दोबारा पारित कराना होगा. माना जा रहा है कि शिक्षा से जुड़े विधेयक को लेकर राज्य सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है.
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विसंगतियों को सुधार कर दोबारा भेजने को कहा
राजभवन के हवाले से कहा गया है कि “झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2022” हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में भिन्नता होने के कारण राज्य सरकार को इस आपत्ति के साथ वापस किया गया. राजभवन ने इस विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी संस्करण में पाई गई विसंगतियों को सुधार कर विधानसभा द्वारा फिर से पारित करा कर राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भेजने को कहा है.
इस बिल में है दो प्रतिशत कृषि बाजार टैक्स लेने की व्यवस्था
बता दें कि विगत 24 मार्च को विपक्ष के हंगामे और विरोध के बीच सदन से झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2022 पारित किया गया था. विधेयक में सबसे प्रमुख प्रावधानों में से एक खरीदारों से दो प्रतिशत कृषि बाजार टैक्स लेने की व्यवस्था की गई है, जिसका झारखंड चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज लगातार विरोध कर रहा है. इसे लेकर 16 मई से खाद्यान्नों की आपूर्ति भी रोक दी गयी है. इससे पहले झारखंड राजभवन ने झारखंड भीड़-हिंसा एवं भीड़-लिंचिंग निवारण विधेयक को वापस लौटा दिया था. कहा गया है कि सरकार इस विधेयक में भीड़ को सही तरीके से परिभाषित करे. इसके अलावा विधेयक के हिंदी और अंग्रेजी प्रारूप में भी कई अंतर बताए गए थे.
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