Palamu : झारखंड में मदरसा शिक्षा, उर्दू के अधिकार एवं अल्पसंख्यकों के विकास विषय पर, वित्त रहित मदरसा शिक्षक संघ पलामू द्वारा डालटेनगंज स्थित मदरसा अहले सुन्नत मरकजी में अल्पसंख्यक अधिकार कांफ्रेंस का आयोजन किया गया.
मुख्य अतिथि अल्पसंख्यक मामलों के जानकार एस अली ने कहा कि बिहार पुनर्गठन अधिनियम 2000 के तहत झारखंड के अल्पसंख्यकों को जो अधिकार प्राप्त है, महागठबंधन सरकार ने उसे छीन रखा है.
रोजगार और विकास की बात छोड़ दीजिए 03 वर्ष बीतने के बाद भी अल्पसंख्यक आयोग, वक्फ बोर्ड आदि का गठ़न नहीं हुआ. राज्य में 15 सूत्री समिति नहीं होने के कारण चार वित्त वर्ष से केन्द्र सरकार ने अल्पसंख्यक विकास की करोड़ों की राशि नहीं दी.
राज्य अलग होने के 23 वर्ष बाद भी मदरसा शिक्षा और उर्दू से जुड़े मसले हल नहीं हुए. पलामू में 49 और पूरे झारखंड में 05 सौ से ज्यादा उर्दू स्कूलों को सामान्य स्कूल बनाकर जुम्मा की छुट्टी समाप्त कर दी गई.
मदरसा आलिम व फाजिल डिग्री को सरकारी नियुक्तियों में मान्यता नहीं दी जा रही है. 544 वित्त रहित मदरसों को अनुदान से जोड़ने आलिम और फाजिल की परीक्षा विश्वविद्यालय से कराने पर कोई पहल नहीं. स्कूलों में 3700 उर्दू शिक्षकों के पद खाली हैं. एसटी एवं एससी के लिए उर्दू शिक्षक बहाली में आरक्षित पद खाली रह जाते जिसे भरने का कोई नियम नहीं है.
कांफ्रेंस को झारखंड मदरसा शिक्षक संघ के सचिव फजलूल कदीर अहमद, डॉ. तस्लीम आरिफ, प्राथमिक उर्दू शिक्षक संघ पलामू के अध्यक्ष फैयाज अहमद, जावेद अहमद खान, अमीन रहबर, मुमताज़ अहमद, मौलाना शाहिद जमाल, इस्तियाक आलम, हाफिज़ महबूब, हसन इमाम, जियाउद्दीन अंसारी, हारिस आलम, अफताब आलम, आरिफ अंसारी, लाल मोहम्मद, मो फिरोज आदि ने भी संबोधित किया.
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