NewDelhi : ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ ने जकिया जाफरी को गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों के लिए उकसाया था. एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है. बता दें कि गुजरात दंगे से जुड़े 9 बड़े मामलों की जांच करने वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम(एसआईटी) ने कल गुरुवार को SC में कहा कि उसने जकिया जाफरी और तीस्ता सीतलवाड़ के उन आरोपों की गहराई से जांच की, जिनमें कहा गया था कि दंगे के पीछे एक बड़ी साजिश थी और उसमें तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी शामिल थे.
एसआईटी के अनुसार जांच के क्रम में पता चला कि आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. आरोप निराधार हैं. एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि दंगों को नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार ने सेना को बुलाने का फैसला समय रहते किया था.
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नरेंद्र मोदी सहित 63 लोगों को क्लीन चिट मिली थी
2008 में सुप्रीम कोर्ट ने दंगे से जुड़े 9 मामलों की अपनी निगरानी में जांच के लिए सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर आरके राघवन की अगुआई में 5 सदस्यों वाली स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया था. 2009 में कोर्ट ने एसआईटी को एहसान जाफरी की हत्या में कथित तौर पर तत्कालीन सीएम मोदी व अन्य के शामिल होने से जुड़े जकिया जाफरी के आरोपों की जांच की भी जिम्मेदारी सौंपी.
जांच के बाद एसआईटी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 63 अन्य लोगों को क्लीन चिट दी थी. बता दें कि उसी क्लीनचिट को जकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
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2018 में नये सिरे से जांच की मांग की गयी
एसआईटी (SIT) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच से कहा कि 2006 में जकिया जाफरी ने जो मूल शिकायत दर्ज कराई थी, वह 30-40 पेज की थी. इसमें आरोप थे कि बड़ी साजिश के तहत दंगे हुए थे जिसमें सत्ताधारी पार्टी के नेता, नौकरशाही के साथ पुलिस भी शामिल थी. रोहतगी ने कहा कि समय बीतने के साथ गंभीर आरोपों की सूची बढ़ती चली गयी. 2018 में नये सिरे से जांच की मांग की गयी.
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गहराई से जांच में आधारहीन पाये गये आरोप
मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, शिकायतकर्ता जकिया जाफरी तीस्ता सीतलवाड़ और उनके एनजीओ के प्रभाव में थी. सीतलवाड़ के उकसावे पर जकिया जाफरी ने कई तरह के गंभीर आरोप लगाये. रोहतगी ने कहा कि एसआईटी ने हर एक आरोपों की गहराई से जांच की. कई ऐसे लोगों के खिलाफ मुकदमों की सिफारिश की गयी, जो पहले छूट गये थे. लेकिन दंगे के पीछे बड़ी साजिश के आरोपों में सच्चाई नहीं थी.
कहा कि यह आरोप तीन दागी पुलिस अफसरों आरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट के बयानों पर आधारित थे. रोहतगी ने कहा कि एमिकस क्यूरी और वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन ने एसआईटी जांच के डीटेल्स की गहन छानबीन के बाद सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि श्रीकुमार और संजीव भट की गवाहियां विश्वसनीय नहीं हैं और उन्हें रेकॉर्ड में नहीं लिया जा सकता.
दंगे नियंत्रित करने को राज्य सरकार ने समय पर सेना बुलाई थी
बता दें कि एक दिन पूर्व बुधवार को एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दंगों को नियंत्रित करने के लिए गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने समय पर आर्मी बुलाने का फैसला ले लिया था. एसआईटी ने कहा कि 28 फरवरी 2002 को दंगे भड़कने के दिन ही सरकार ने सेना बुलाने का फैसला कर लिया और उसी दिन जवानों की तैनाती भी शुरू कर दी. एसआईटी ने कोर्ट को बताया कि दंगे के दिन पुलिस कंट्रोल रूम में राज्य सरकार के मंत्री शायद इसलिए मौजूद थे कि इससे पुलिस का मनोबल ऊंचा रहता.
पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं जकिया
जकिया जाफरी दंगों में मारे गये कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं. 28 फरवरी 2002 को दंगाइयों की भीड़ ने अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसाइटी में उत्पात मचाया था. पत्थरबाजी की गयी. घरों को आग के हवाले कर दिया गया. इस घटना में एहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गये थे.
जकिया ने SIT चीफ की निष्पक्षता पर उठाये सवाल
जकिया जाफरी ने एसआईटी चीफ की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाये हैं. जान लें कि मोदी समेत 64 लोगों को दी गयी क्लीन चिट को चुनौती देते हुए जाफरी ने दावा किया है कि एसआईटी ने कुछ अहम सबूतों को नजरअंदाज करते हुए क्लोजर रिपोर्ट पेश की. उन्होंने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के खिलाफ ही इन्वेस्टिगेशन की मांग की है. जाफरी के वकील कपिल सिब्बल ने गुरुवार को एसआईटी चीफ राघवन की निष्पक्षता पर यह कहते हुए सवाल उठाया था कि जांच के बाद उन्हें साइप्रस में भारत का हाई कमिश्नर बनाया गया
एसआईटी ने मोदी को क्लीन चिट देते हुए निचली अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की
आरके राघवन की अगुआई में 5 सदस्यों वाली एसआईटी ने नरेंद्र मोदी और जकिया जाफरी से भी पूछताछ की. फरवरी 2011 में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर केस में नये एमिकस क्यूरी राजू रामचंद्रन ने एसआईटी जांच की गहराई से पड़ताल की की. जुलाई 2011 में रामचंद्रन ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंपी. 8 फरवरी 2012 को एसआईटी ने मोदी को क्लीन चिट देते हुए निचली अदालत में क्लोजर रिपोर्ट पेश की जिसे अदालत ने स्वीकार किया.
इसके खिलाफ जाफरी गुजरात हाई कोर्ट पहुंचीं. अक्टूबर 2017 में हाई कोर्ट ने अपील रद्द् करदी. बता दें कि हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जकिया जाफरी ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगायी है. मामले की सुनवाई जस्टिस ए. एम. खानविलकर की अगुआई वाली SC की तीन सदस्यीय बेंच कर रही है.