Kaushal Anand
Ranchi : आए दिन रांची सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में बिजली के तार से प्रवाहित करंट की चपेट आने से मौत की खबरें आती रहती हैं. ऐसी ही एक खबर 15 अगस्त से एक दिन पूर्व आयी, जिसमें घर के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन तार से प्रवाहित करंट की चपेट में आकर एक ही घर के तीन युवा भाई-बहन की दर्दनाक मौत हो गयी. अगर हम राजधानी रांची की बात करें तो 1980-90 के दशक में पूरा शहर का विस्तार महज 5 से 10 किमी तक सिमटा हुआ था, मगर आहिस्ता-आहिस्ता शहर फैलता चला गया. शहर का विस्तार अब 25-30 किमी तक हो गया है. आज से वर्षों पहले शहर के किनारे हाईटेंशन लाइन, 33 केवी और 11 केवी लाइन का जाल बिछाया गया, मगर बाद मे शहर के विकास के साथ-साथ जमीन भी बिकती गई. लोग जमीन खरीदते भी गए. धड़ाधड़ मकान बनाते गए. इसके बाद वही तार उनके घर की छतों के ऊपर आ गए. ये बिजली के तार सीधे तौर पर मौत के तार हैं. अब ये तौर मौत का आमंत्रण ही दे रहा है. ऐसे ही नए मुहल्ले और कॉलानियों का जायजा शुभम संदेश की टीम ने लिया. जहां पर पाया गया कि उनके घर और मकान की छतों से सीधे तौर मौत के तार झूल रहे हैं, जरा सी चूक हुई कि बड़ा हादसा इंतजार कर रही है.
केस स्टडी : 1
शहर से महज 4 किमी दूर कांके रोड का ब्रह्मचारी कॉलानी जहां पर 1.32 लाख का हाईटेंशन बिजली के तार के टावर हैं, जिससे होकर यह मौत के तार गुजर रहे हैं. कम से कम आधा कॉलानी के मकान के उपर से ये हाईटेंशन तार गुजर रहे हैं. इससे लोग पूरी तरह से बेफिक्र नजर आए. यह कॉलानी अभी पांच साल पहले से बसना शुरू हुआ.
केस स्टडी : 2
पंडरा फ्रेंडस कॉलानी भी मुश्किल से 5 से 10 वर्ष पूर्व बसा. इस कॉलानी में वर्षों पुरानी 1.32 लाख केवी के हाईटेंशन लाइन लगाए गए. अब कम से कम 4 लाख से अधिक आबादी वाला यह कॉलानी बस गया. कई घरों एवं मकान के उपर से सीधे मौत के तार गुजर रहे हैं.
केस स्टडी : 3
कमड़े सरना टोली में कम से कम 50 से अधिक कमान के ऊपर 33 केवी लाइन छत के ऊपर से पार हो रहे हैं. इसमें एक मकान जितेंद्र पंडित का ऐसा मिला जिनके छत से महज एक हाथ की दूरी पर मौत का तार गुजर रहा है. इस संबंध में जितेंद्र पंडित बताते हैं कि कई बार इसको लेकर बिजली विभाग से आवेदन देकर आग्रह किया गया कि अगर इसे शिफ्ट नहीं कर सकते हैं तो कम से कम पाइप डाल दिया जाए. मगर एक भी नहीं सुनी गयी.
कौन-कौन हैं जिम्मेदार, क्या कहते हैं जिम्मेवार
1. ट्रांसमिशन निगम : हम क्या करें, जिन्होंने जमीन खरीदी, मकान बनाया, वहीं जिम्मेवार
झारखंड ऊर्जा ट्रांसमिशन निगम के जीएम मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि 1.32 लाख केवी और 2.20 लाख केवी वोल्टेज के हाईटेंशन लाइन लगाने के कई नॉर्म्स हैं. यह पूरी तरह से सीईए (केंद्रीय विद्युत प्राधिकार) के नियम के अनुसार होता है. हाईटेंशन लाइन का एक कॉरिडोर होता है. अगर सरकारी जमीन है तो सरकारी संस्था से और अगर निजी खेतीहर जमीन है तो जमीन मालिक से एनओसी और उसे मुआवजा देकर यह हाईटेंशन का कॉरिडोर बनाया जाता है. अगर वह लाइन बंद हो गया है, तभी उस लाइन के तार को हटाया जा सकता है. ऐसे स्थानांतरित करना संभव नहीं है. जिन लोगों ने हाईटेंशन लाइन के नीचे जमीन खरीदी और मकान बनाया, वे लोग इसके लिए सीधे जिम्मेवार हैं.
2. वितरण निगम : सेफ्टी मेजर का ख्याल रखें, सारे लाइन अंडरग्राउंड किए जा रहे हैं
झारखंड बिजली वितरण निगम के जीएम पीके श्रीवास्तव बताते हैं कि 33 केवी और 11 केवी लाइन आज नहीं वर्षों पूर्व खाली जमीन में एनओसी लेकर ही बनाया गया होगा. अगर इस लाइन के नीचे घर-मकान बनाना बहुत जरूरी भी हो तो कम से सेफ्टी मेजर लेकर ढाई फीट से 3 फीट की दूरी छत से बनाकर रखें. रही बात 33 केवी व 11 केवी लाइन की तो यह सारे लाइन अंडरग्राउंड किए जा रहे हैं, 40 प्रतिशत यूजी हो चुके हैं, आगामी कुछ सालों में शहर के सारे 33 व 11 केवी लाइन अंडरग्राउंड हो जाएंगे.
3.नगर निगम : कॉलोनियों को चिह्नित कर चलेगा अभियान
शहर में नक्सा पास करने की जिम्मेवारी नगर निगम पर है. नगर निगम के टाउन प्लानर श्रीकांत शरण ने कहा कि अपार्टमेंट और मार्केट कांप्लेक्स को छोड़ दिया जाए तो नयी बस रही कॉलानी या फिर पुराने बने मकान 90 प्रतिशत से बिना नक्सा पास कराए बनाए जा रहे हैं. जमीन के ऊपर से तार जाने वाले मकान मालिक तो निश्चित तौर पर नक्शा पास नहीं कराते हैं, क्योंकि उसमें उनकी जमीन से बिजली के तार क्रॉस कर रहा है या नहीं, यह दिखाना पड़ता है. इसलिए वे नक्शा पास ही नहीं कराते हैं. वे जल्द ही नगर आयुक्त से बात करेंगे और ऐसी कॉलानियों को चिह्नित करके उनके विरुद्ध अभियान चलाएंगे.
बिजली तार : आदित्यपुर : सालडीह बस्ती में पोल पर उलझे बिजली के तार खतरे का दे रहे आमंत्रण
आदित्यपुर नगर निगम के वार्ड 13 स्थित सालडीह बस्ती में बिजली के पोल और तार खतरनाक ढंग से लगे हैं. यहां के मुहल्ले में उलझे हुए बिजली के तार के रूप में लोगों की मौत झूल रही है, जो एक बड़े हादसे को आमंत्रित करती है. यहां एक ही पोल से सैकड़ों कनेक्शन बेतरतीब ढंग से दिए गए हैं, जिससे तारों का मकड़जाल बन गया है. तार भी इतना नीचे है कि छोटा बच्चा भी उसके संपर्क में आ सकता है. बता दें कि 2021 में इसी मकड़जाल में फंसकर एक घर की छत पर प्लास्टर का काम कर रहे एक राजमिस्त्री की मौत हो गई थी. इसके बाद बस्ती की पार्षद द्वारा बस्तीवासियों के साथ जुलाई 21 में सहायक अभियंता से लिखित शिकायत की थी. लेकिन इस संबंध में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. बस्ती के रहनेवाले कैलाश सोनकर, सहदेव कुमार, रूपा कुमारी, माधव मिश्रा, पीके ओझा आदि ने बताया कि इस बात को लेकर कई बार बिजली विभाग के सहायक अभियंता से सामूहिक रूप से मिल चुके हैं. लेकिन अब तक बिजली वितरण व्यवस्था को सुव्यवस्थित नहीं किया गया है.
एक ही पोल से कई कनेक्शन देने की मजबूरी है : ईई
कार्यपालक अभियंता अनूप प्रसाद ने बताया कि बस्ती में गली संकरी है और आबादी बड़ी है. ऐसे में एक ही पोल से कई कनेक्शन देने की मजबूरी हो गई है. बस्तीवासी भी अपना कनेक्शन जैसे-तैसे ले रखे हैं, जिससे तार झूल रही है. हमने इसे सुव्यवस्थित करने का आदेश दिया है. जल्द ही झूलती तारों को सुव्यवस्थित कर दिया जाएगा.
जमशेदपुर (धर्मेंद्र कुमार) : भुइयांडीह स्लम एरिया के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन तार, कभी भी हो सकती है बड़ी दुर्घटना
शहर के बीच स्थित भुइयांडीह क्षेत्र की दर्जनों स्लम बस्तियों में लाखों की आबादी निवास करती है. इन बस्तियों में रहने वाले दिहाड़ी मजदूरी, ठेले खमोचे लगाने वाले किसी तरह जुगाड़ कर सर छुपाने के लिए घर बना कर रहते हैं. भुइयांडीह के छायानगर, चंडीनगर, भुइयांडीह बस्ती, भुईयांनगर, ह्युम पाइप बस्ती जैसी दर्जनों स्लम बस्ती के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन किसी बड़ी दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं. हाईटेंशन तार के नीचे जाली नहीं लगायी गयी है और न ही कोई सुरक्षा कवच की व्यवस्था की गयी है, जिससे हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. यदि कोई हादसा हुआ तो लाखों का आबादी प्रभावित होगी. इस संबंध में झारखंड मानवाधिकार संघ ने उपायुक्त, जीएम जेबीएनएल, ऊर्जा सचिव सहित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी पूरे मामले से अवगत कराया था. आयोग ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए जिला प्रशासन को जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
लोगों के विरोध के बावजूद लगाया गया टावर
झारखंड मानवाधिकार संघ (जेएचआसी) के संयोजक मनोज मिश्रा ने बताया कि शुरुआती दौर में इन स्लम एरिया में कम आबादी थी. तब भी लोगों ने बस्ती में हाईटेंशन तार के लिये लगाए जा रहे टावर का विरोध किया था. विरोध के बाद कुछ दिनों के लिए टावर लगाने का काम बंद कर दिया गया था, लेकिन कुछ दिनों के बाद टावर लगा दिया गया. फिलहाल स्थिति यह है कि कुछ घरों के उपर से गुजरती हाईटेंशन की तारें दुर्घटनाओं को आमंत्रण दे रहे हैं.
मन में हमेशा डर बना रहता है : रामदेव
छाया नगर बस्ती विकास समिति के उपाध्यक्ष रामदेव पाठक ने कहा कि छायानगर बस्ती के घरों के ऊपर से गुजर रहे हाईटेंशन तार के कारण मन में हमेशा भय बना रहता है. किसी तरह जोड़ तोड़ कर एक घर बनाए हैं. बिजली की तार से होनेवाली दुर्घटनाओं को सुन कर मन सिहर जाता है.
गरीबों की कोई नहीं सुनता : वंदना
छाया नगर की ही वंदना मोदक ने कहा कि गरीब लोगों की सुनता कौन है. बिजली की तारों के हटाने अथवा उसके नीचे तार की जाली लगाने को लेकर कई बार आंदोलन किया गया. जिला प्रशासन को लिखित जानकारी दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
धनबाद में काल बन लटक रहे बिजली के जर्जर तार, अबतक कई की जा चुकी है जान
बड़ा सवाल- 15 अगस्त को आकाश किनारी कोलियरी की घटना से सबक लेंगे अधिकारी?
धनबाद (रणजीत कुमार सिंह)
धनबाद जिले में विभिन्न जगहों पर झुके खंभों पर बिजली के जर्जर तार काल बनकर लटक रहे हैं. इनके संपर्क में आने से अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है. थोड़ी भी तेज हवा में बेतरतीब ढंग से झूलते तारों के नीचे से गुजरना खतरे से खाली नहीं. जबकि बिजली विभाग के जिम्मेदार इस ओर से आंखें बंद किए हुए हैं. ताजा मामला बीसीसीएल क्षेत्र अंतर्गत आकाश किनारी कोलियरी की है. 15 अगस्त को पूरा देश स्वतंत्रता दिवस की ख़ुशियां मना रहा था, वहीं धनबाद के आकाश किनारी कोलियरी के पास तिरंगा झंडा लगाने के क्रम में पांच बीसीसीएल कर्मी करंट की चपेट में आ गए. इनमें से एक की मौत हो गई, जबकि चार बुरी तरह झुलस गए. घायलों का इलाज धनबाद के सेंट्रल अस्पताल में चल रहा है.
जिले में अक्सर होते रहे हैं हादसे
केस : 1
धनबाद के बैंक मोड़ स्थित उर्मिला टॉवर के समीप 7 अक्टूबर 2021 को 11 हजार वोल्ट का तार टूटकर गिरने से सड़क किनारे गुपचुप खा रही मां-बेटी व गुपचुप विक्रेता करंट की चपेट में आकर घायल हो गए थे. पूरी घटना पास की दुकान में लगे सीसीटीवी में कैद हो गईं थी. इसके बावजूद आज भी वहां बिजली तारों का जाल फैला हुआ है.
केस 2 :
8 नवंबर 2021 को झरिया के बिहार बिल्डिंग के समीप रहने वाले राहुल केसरी के परिवार के पांच सदस्य 11 हजार तार की चपेट में आकर झुलस गए. बाद में इलाज के दौरान दो लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना से झरिया लोगों में बिजली विभाग के प्रति काफी आक्रोश था. लोगों ने विभाग से बिजली के नंगे तार व जर्जर पोल को बदलने की जोरदार मांग की थी.
केस 3 :
झरिया के कतरास मोड़ के पास इसी साल सब्जी खरीद रहे एक व्यक्ति बिजली का तार टूट कर गिरने से झुलस गया. उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.
केस 4 :
कुछ दिन पहले बलियापुर इलाके में बिजली का तार टूटने से 4-5 मवेशियों की मौत हो गई. घटना के बाद स्थानीय लोगों ने बिजली विभाग का जमकर विरोध किया था.
जीएम बोले- हो रही अंडरग्राउंड केबलिंग
इस संबंध में पूछे जाने पर जेबीवीएनएल, धनबाद के महाप्रबंधक एचके सिंह ने कहा कि कई क्षेत्रों में बिजली के नंगे तारों व जर्जर पोल को बदलने का काम किया जा चुका है. कुछ इलाकों में काम अभी जारी है. शहर में विभाग की ओर से अंडरग्राउंड केबलिंग का काम भी जोरों पर किया जा रहा है. जहां तक 15 अगस्त को आकाश किनारी कोलियरी की घटना की बात है, तो उनके क्षेत्र में इस तरह की कोई घटना नहीं घटी है.
क्या कहते हैं स्थानीय लोग
सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश साव, जसपाल सिंह व मोइन खान ने कहा कि जिले में बिजली के तार व पोल की स्थिति काफी दयनीय है. अक्सर लोग हादसे के शिकार होते रहे हैं. ऐसी घटनाओं के लिए बिजली विभाग पूरी तरह जिम्मेदार है. नंगे बिजली तारों के नीचे कहीं भी सपोर्ट नहीं है, जिससे जर्जर तार टूटकर सीधे जमीन पर गिर जाते हैं और राहगीर उनकी चपेट में आकर जान गंवा बैठते हैं. विभाग को जर्जर बिजली तारों व पोल को तुरंत बदलते हुए तार के नीचे जाली देनी चाहिए. इससे अनहोनी से बचा जा सकता है.
घरों के पास से गुजरे बिजली के नंगे हाईटेंशन तार से जान को खतरा, दहशत में रहते हैं लोग
धनबाद और झरिया शहर के विभिन्न इलाकों में सड़कों व घरों की छत के समीप से गुजरे बिजली के हाईटेंशन तार (नंगी हालत में) दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं. आसपास रहनेवाले लोग हमेशा डर के साए में जिंदगी गुजार रहे हैं. धनबाद के स्टील गेट, पुलिस लाइन के समीप, झरिया में बिहार बिल्डिंग के समीप सहित कई अन्य जगहों पर घर के काफी करीब से गुजरे नंगे तार खतरनाक स्थिति में हैं. थोड़ी भी चूक हुई, तो वहां रहने वाले लोगों की जान जा सकती. कई बार शिकायत करने के बाद भी बिजली विभाग के अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
झरिया में 9 माह पहले दो लोगों की हुई थी मौत, 2 अब भी इलाजरत
झरिया में बिहार बिल्डिंग के समीप से हाईटेंशन तार गुजरा है. 8 नवंबर 2021 को झूलते तार के संपर्क में आकर स्थानीय निवासी राहुल केसरी के परिवार के 4 सदस्यों सहित 5 लोग झुलस गए थे. इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी, जबकि गंभीर रूप से झुलसे राहुल केसरी के परिवार के सत्यम और वंशिका अब भी इलाजरत हैं. राहुल केसरी बताते हैं कि घटना के बाद से घर के सभी सदस्य हमेशा डरे-सहमे रहते हैं. इतना बड़ा हादसा होने के बाद भी बिजली विभाग की ओर से उक्त नंगे तार को न तो हटाया गया, न ही बदला गया. आज भी तार उसी स्थिति में लटक रहा है. झरिया के ही अशोक सिंह ने कहा कि इलाके में हाईटेंशन तार की चपेट में आकर अब तक कई लोग घायल हो चुके हैं. बिजली विभाग को नंगे और जर्जर तारों को बदल कर केबल लगाना चाहिए, ताकि भविष्य में कोई हादसा नहीं होने पाए.
बदले जा रहे नंगे तार : जीएम
इस मुद्दे पर पूछे जाने पर जेबीवीएनएल, धनबाद एरिया के जीएम एचके सिंह ने कहा कि घर के ऊपर या समीप से गुजरे नंगे तारों को बदलने का काम चल रहा है. कई क्षेत्रों में काम पूरा भी हो चुका है. अंडरग्राउंड केबलिंग का काम भी जोरों पर जारी है.
सरायकेला : झूलते लटकते बिजली तार व जमीन पर गिरने को बेताब खम्भों से बेखबर है जेबीवीएनएल
सरायकेला जिला मुख्यालय में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की लचर व्यवस्था को लेकर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ता परेशान हैं. यह परेशानी मात्र बिजली की अनियमित आपूर्ति को लेकर ही नहीं है, विभागीय अनदेखी और मेंटेनेंस के नाम पर केवल कागजी खाना पूर्ति के कारण सुरक्षा को लेकर भी अनेक स्थानों पर समस्या बनी हुई है. ग्रामीण क्षेत्र की बात कौन कहे नगरपंचायत क्षेत्र के अंदर ही बिजली के पुराने खम्भों पर लगे झूलते तारों से कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है. प्रायः बिजली प्रवाहित तार टूट कर गिरा करते हैं, गनीमत है कि अब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है. खम्भों पर कहीं चार तार नजर आते हैं, तो कहीं पांच, अचानक इनकी संख्या दो भी हो जाती है. अन्य तार स्वतंत्र लटकते रहते हैं या मेंटेनेंस के नाम गायब कर दिए जाते हैं यह पता नहीं चलता है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के अनेक स्थानों पर विभाग द्वारा केबुल तार लगाए गए. परन्तु शहर के कुछ स्थानों पर आज भी अंग्रेजों के जमाने के तार लगे हुए हैं. सम्भवतः पुरानी एवं कीमती धातु के इन तारों को विभाग बदलना नहीं चाहती. उपभोक्ताओं के अनुसार विभाग को नियमित बिजली आपूर्ति के साथ ही जनसुरक्षा को भी प्राथमिकता देनी चाहिये.
हर जगह उपभोक्ताओं को वहन करने पड़ते हैं खर्च
खम्भे से घर तक आये कनेक्शन में कभी किसी तरह की गड़बड़ी होने, किसी ऊंचे वाहन से लग कर या अन्य कोई कारण तार के टूटने पर मरम्मती का कोई शुल्क निर्धारण नहीं है. विभागीय पदाधिकारी मात्र कुछ लोगों के नम्बर दे देते हैं कि ये मिस्त्री हैं इनसे बात कर लीजिये. मिस्त्रियों व भुक्तभोगी के आपसी मोल तोल पर ही यह निर्धारित होता है कि इसके लिये उसे कितने खर्च करने पड़ेंगे. सबसे मजे की बात तो यह है कि किसी पोल पर जिसके काम के लिये मिस्त्री चढ़ता है सिर्फ उसी का काम कर उतर जाता है. उसके नजर में अगर अन्य किसी उपभोक्ता के कनेक्शन में कोई कमी दिखाई भी दे तो उसे सही नहीं किया जाता है. ताकि पुनः उसके बुलावे पर उससे मरम्मती खर्च लेकर ही उसे ठीक किया जा सके.
ट्रांसफार्मर लाने के लिए किराया गांव वाले चंदा इकठ्ठा कर देते हैं
ग्रामीण क्षेत्रों में भी ट्रांसफार्मर में कोई गड़बड़ी होने पर पूरे गांव वाले चंदा इकठ्ठा कर बिजली मिस्त्रियों को पैता देते हैं. तभी उनका काम होता है. कभी फ्यूज बंधवाना हो या ट्रांसफार्मर में तेल डालना सबके लिये चंदे जमा किया जाता हैं. ट्रांसफार्मर जब बदला जाता है तो कोई जनप्रतिनिधि या नेता उसका उद्घाटन अवश्य करते हैं पर उसको लाने के नाम पर किराया भी गांव वाले चंदा इकठ्ठा कर देते हैं. शहर के अगल बगल एवं गांव में अनेक बिजली खम्भे जमीन पर गिरने को बेताब हैं. खम्भो के सहारे बिजली तार नहीं बल्कि ऐसे झुके हुए खम्भे बिजली के तारों के भरोसे ही टिके हुए हैं.
बंदगांव (पश्चिमी सिंहभूम) : हे सरकार… हमारी जिंदगी से न खेलो, गुस्सा फूटा तो बिजली अफसरों का हुक्का-पानी बंद करा देंगे
कराईकेला के ग्रामीणों बिजली की खराब हालत से खासे गुस्से में हैं. कहते हैं कि बिजली को लेकर सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं की हैं, लेकिन धरातल पर उन योजनाओं का लाभ गांव के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के तार लटक-झूल रहे हैं. हवा के हल्के झोंके भी झेल नहीं पाते. अक्सर तार टूट कर गिरते हैं और लोगों को अपनी चपेट में लेते हैं, जिससे कई लोग असमय काल के गाल में समा रहे हैं या जख्मी, अपाहिज हो जा रहे हैं. बंदगांव प्रखंड का 90% हिस्सा घने जंगलों में होने के कारण जंगली जानवरों का डर बना रहता है. आए दिन हाथी गांव में आते हैं और फसलों को रौंद डालते हैं, घरों को उजाड़ कर नुकसान पहुंचाते हैं. सरकार लटकते-झूलते बिजली के तारों को जल्द बदले, हमारी जान से न खेले, अन्यथा मजबूर होकर ग्रामीण उग्र आंदोलन करने को विवश हो जाएंगे. गुस्सा फूटा, तो बिली अफसरों और कर्मियों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शेंगे. हुक्का-पानी बंद करा देंगे. डॉक्टर लोहरा, भोभो महंती, शत्रुघ्न लोहार ,कार्तिक लोहार, रंजीत तांती, शिबू तांती, काजल प्रमाणिक ,छोटे लाल लोहार, बोरजो लोहार, मुकेश बिहारी, रोशनलाल केसरी समेत काफी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे.
हल्की आंधी-बारिश में ही टूट जाती है बिजली की तार
बंदगांव (पश्चिमी सिंहभूम) एके तिवारी कहते हैं कि बंदगांव प्रखंड में बिजली तारों की स्थिति काफी दयनीय है. जर्काजर तार टूट कर गिरते रहते हैं. बारिश के दिनों में तो हालत कते इन तारों से हमेसा हादसे का खतरा बना रहता है. . जिससे कई लोगों की जान जा चुकी है. कई लोग करंट से झुलस कर अपंग तक हो चुके हैं. मवेशियों को नुकसान पहुंचा है. लेकिन बिजली विभाग कभी इन तारों को बदलने की दिशा में कार्रवाई नहीं करता है.
तार जर्जर, कई-कई दिनों तक बिजली गुल रहती है : पुष्पलता मंडल
दगांव की पुष्पलता मंडल कहती हैं बिजली तारों को अविलंब बदलकर नए तार नहीं लगाए गए, तो हमेशा हादसे होते रहेंगे. जर्जर तारों की वजह से कई-कई दिनों तक बिजली गुल रहती है. हल्की आंधी-बारिश में ही तार टूट जाते हैं, जिससे अब तक कई लोगों की जानें भी जा चुकी हैं. विभाग के लोग कभी इस ओर ध्यान नहीं देते, लेकिन बिजली बिल वसूलने चले आते हैं.
अंडरग्राउंड केबलिंग कर बिजली पहुंचायी जाए : गागराई
समाजसेवी राजेश गागराई कहते हैं कि प्रखंड क्षेत्र में बिजली तार कब टूट कर गिर जाएं, कहा नहीं जा सकता. हमेशा हादसे का अंदेशा बना रहता है. बारिश के दिनों में तो स्थिति और भी खराब हो जाती है. विभाग को चाहिए अंडर ग्राउंड केबलिंग कर बिजली गांव-गांव में पहुंचाई जाए, ताकि बारिश और गर्मी के दिनों में बिजली के तार नहीं टूटे. 24 घंटे में 10 घंटा भी बिजली ग्रामीण क्षेत्र में नहीं मिल पाती है. पावर कमी का बहाना बनाकर रात-रात भर बिजली काट दी जाती है.
साहिबगंज : दहशत बनकर छत के ऊपर लटक रहा है हाईटेंशन तार, बना हुआ है जान का खतरा
साहिबगंज जिला के विभिन्न इलाकों में हाईटेंशन तार डर और दहशत बनकर लटक रहा है. साहिबगंज शहर में वार्ड नंबर 22 में जयप्रकाश चौक के नजदीक शारदानगर मोहल्ला हैं. मोहन गुप्ता, उनके पड़ोसी राजीव सिंह सहित अन्य लोगों के छत के ऊपर से हाईटेंशन का तार गुजरा हुआ है. अरसे से लोग यहां अनहोनी की आशंका के बीच रहने को विवश हैं.
डर के साये में लोगों की ज़िंदगी
मोहन गुप्ता ने बताया कि मकान के छत के उपर खुला तार रहने से रहना मुश्किल हो गया है. जिन-जिन मकान के छत के ऊपर से तार गया हैं. परिवार को हमेशा करंट लगने का डर सताते रहता हैं. छत पर कोई काम नहीं हो पाता. बरसात के दिनों मे कभी-कभी मकान मे करंट का भी अनुभव होता है. पड़ोसी राजीव कुमार सिंह ने बताया कि साहिबगंज बिजली विभाग के उच्च अधिकारियों को इस बात से अवगत कराया गया. लेकिन अब तक हर नहीं निकला.
वार्ड नं 19 के झरना कॉलोनी के इमली टोला मोहल्ला निवासी गणेश ठाकुर ने बताया कि उनके मकान के ऊपर से हाईटेंशन 11 हजार का तार गुजरने से हमेशा डर के साए में जीवन जीने को विवश हैं. उसी मोहल्ले के निवासी और स्कूल प्राचार्य बीपी सिंह ने बताया कि वो इस मोहल्ले में एक संत टेरेसा स्कूल का संचालन करते हैं. स्कूल के छत के ऊपर कम ऊंचाई से 11 हजार वोल्ट का हाई टेंशन तार गुज़रा रहा है. बच्चे और अभिभावक सभी डरे सहमे गुजरते हैं. बताया कि तार से कई बार चिंगारी भी निकलती है. इसकी सूचना बिजली विभाग को दी गई. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
विभाग दे रहा नियमों का हवाला
बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता राज कुमार ने बताया कि उन इलाकों में बिजली का तार वर्षों से लगा हुआ है. अगर लोगों को खतरा है लिखित शिकायत मिलने पर ज़रूरी पहल की जाएगी. तय एस्टीमेट बना कर घर मालिक को दिया जाएगा. मकान मालिक के निजी खर्च पर तार को किसी दूसरे क्षेत्र में शिफ्ट किया जाएगा.
चाईबासा (सुकेश कुमार): खेतों में झूल रहे बिजली के तार, कभी भी हो सकता हादसा
पश्चिमी सिंहभूम के कई हिस्सों में बिजली की तार झूलने की समस्या का समाधान अब तक विभाग की ओर से नहीं किया गया है. शहर में अधिकतर जगहों पर केबल तार खींच दिया गया है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी स्थिति जस की तस है. खेतों के नीचे किसान काम कर रहे हैं, लेकिन ऊपर से तार झुका हुआ है. कभी भी बड़ी दुर्घटना घट सकती है. विभाग को कई बार शिकायत की जा चुकी है. लेकिन अभी तक तार को ठीक नहीं किया गया. सदर प्रखंड के तूईबीर गांव के पास एक खेत में कई महीनों से तार झुकी हुई है. ग्रामीणों के मुताबिक 11000 वोल्ट की तार है. कभी भी पोल गिर जाने की संभावना दिख रही है. लगातार विभाग को शिकायत की गई, लेकिन अभी तक ठीक नहीं किया गया. जान जोखिम में रखकर किसान खेतों में काम कर रहे हैं. अभी नियमित रूप से किसान खेत आ रहे हैं. नीचे का जमीन यदि धंस गया तो पोल नीचे गिर जाएगा. अगर किसान नीचे काम करते होंगे तो एक बड़ी घटना घट जाएगी. मालूम हो कि पश्चिमी सिंहभूम के तांतनगर, झिकपानी, टोंटो क्षेत्र में अधिकतर तार झुकी हुई है, जिसे विभाग ने ठीक नहीं किया.
मनोहरपुर (अजय सिंह) : झूलते तारों से तुरी टोला के उपभोक्ताओं को हो रही परेशानी
पश्चिमी सिंहभूम जिले के मनोहरपुर शहर से सटे तुरी टोला में आज भी बिजली सप्लाई लकड़ी के डंडों व बांस के खंभे के सहारे की जा रही है. बिजली पोल के बिना बिजली की तार नीचे की ओर झूल रही हैं. स्थानीय बिजली उपभोक्ताओं ने बिजली पोल के लिये विभाग से कई बार गुहार लगाई किंतु कोई सुनवाई नहीं हुई. अभी कुछ दिन पूर्व मनोहरपुर पंचायत समिति सदस्य ख़ुशबू कुमारी गुप्ता की पहल पर बिजली विभाग ने तुरी टोला के लिये दस बिजली पोल उपलब्ध कराया है. फ़िलहाल ज़रूरत के मुताबिक सभी दसों पोल तुरी निचली टोला में उपभोक्ताओं के श्रमदान व आपसी सहयोग से लगाया गया है. किंतु तुरी ऊपर टोला को भी बिजली पोल की जरूरत है. ऊपर टोला के लोग पिछले 10 वर्षों से लकड़ी व बांस के सहारे बिजली सप्लाई का कनेक्शन लिए हुए हैं, जिससे खासकर आंधी तूफान के मौके पर बिजली तार का क्षतिग्रस्त होना आम बात है.
विभाग से बिजली पोल देने की मांग की गई है
मनोहरपुर की पंचायत समिति सदस्य खुशबू कुमारी गुप्ता ने कहा कि तुरी ऊपर टोला को भी दर्जनों बिजली पोल की आवश्यकता है. उपभोक्ताओं की परेशानी को देखते हुए विभाग से बिजली पोल देने की मांग की गई है, ताकि झूलती बिजली तार से लोगों को निजात मिल सके.
पाकुड़ में कई घरों के ऊपर से गुजरा है हाईटेंशन तार, कभी भी हो सकती है अनहोनी
बीते एक साल में दो बार टूटा 11 हज़ार वोल्ट का तार, बाल-बाल बचा था परिवार
नगर परिषद क्षेत्र पाकुड़ के वार्ड नंबर तीन स्थित छोटी अलीगंज मोहल्ले में कई घरों के ऊपर से गुजरा हाईटेंशन तार बड़ी अनहोनी कर सकता है. मोहल्ले में सत्यनारायण राय और सुनील राय सहित कई अन्य लोगों के घर के छत के ऊपर से एक हाईटेंशन 11 हज़ार वोल्ट का तार गुजरा है.
हो चुके हैं कई हादसे, डरे सहमे हैं लोग
मकान मालिक सुनील राय कहते हैं कि उनका परिवार हमेशा डर के साए में हम जीता हैं. हादसे के डर से परिवार छत पर नहीं जाता. उन्होनें बताया कि 1 साल पहले बिजली का तार टूट कर नीचे आंगन में गिर गया था. गनीमत थी कि उस समय परिवार घर के अंदर था. लोगों के द्वारा हल्ला करने पर पता चला कि बिजली का तार टूट कर आंगन में गिर गया है. इसकी सूचना बिजली विभाग को दी गई उसके 2 घंटे के बाद तार को उठाकर पोल के ऊपर बांधा गया. इसके ठीक 2 माह के बाद ही रात के समय में बिजली का तार टूट कर आंगन में लगे सहजन के पेड़ पर गिर गया. सहजन का पूरा पेड़ आग में स्वाहा हो गया. अफरातफरी मच गयी. घटना की सूचना रात में ही विभाग को दी गई. लेकिन विभाग सुबह होने के बाद ही पहुंचा. बताया कि बिजली विभाग को कई बार मौखिक और लिखित सूचना दी गई है. लेकिन आज तक विभाग की ओर से कोई पहल नहीं हुआ.
कोई लिखित शिकायत ही नहीं मिली है : एसडीओ
बिजली विभाग के एसडीओ महादेव मुर्मू ने दूरभाष पर बताया कि बिजली का तार आज से नहीं है. बल्कि घर बनने के बहुत पहले से ही तार गुजरा है. कहा कि आज तक स्थानीय लोगों या घर मालिकों की तरफ़ से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली. उन्होंने बताया कि लोगों को खतरा होने पर प्रावधान है कि घर मालिक की शिकायत पर विभाग उन्हें खर्च का एस्टीमेट देता है. घर मालिक के निजी खर्च पर तार को कहीं और स्थानांतरित किया जाता है. एसडो ने कहा कि वो अपने स्तर से भी लाके का दौरा कर हालात का जायजा लेंगे.
बिजली के खंभों में तारों का जंजाल
लातेहार में बिजली छुईमुई सी हो गयी है. हल्की हवा व बारिश में जिला मुख्यालय में घंटों बिजली गुल रहना नियति बन चुकी है और इसका प्रमुख कारण है बिजली के झूलते व जर्जर तार. जिला मुख्यालय के कई इलाकों मे बिजली के झूलते व जर्जर तार दुर्घटनाओं को आमंत्रित कर रहे हैं. बिजली व ट्रांसफॉर्मरों के खंभों में तारों का जंजाल है. शहर के बाइपास चौक में अक्सर झूलते तार गिरते हैं और घंटों बिजली बाधित होती है. गनीमत यह रही है कि यहां अभी तक कोई हताहत नहीं हुआ है. पुलिस निरीक्षक बंगला के पास कई बार जर्जर तार टूट चुकी है. तार इतने अधिक झूल गए हैं कि कोई बड़े ट्रक गुजरने पर गाड़ी में सट जाते हैं. इसी प्रकार थाना चौक में ट्रांसफॉर्मर के पास बेतरीब ढंग से तार झूल रहे हैं. यहां भी अक्सर बिजली का शॉर्ट सर्किट होता है. यहां ट्रांसफॉर्मर से अक्सर चिंगारी निकलते देखा जा सकता है. शहर के शिवपुरी व चंदनडीह मुहल्ले में भी यही स्थिति है. यहां भी कई पोलों मे बिजली के तार झूल रहे हैं. अमवाटीकर निवासी अभिषेक ने बताया कि उनके घर के पास भी बिजली के तार झूल रहे हैं और कई बार विभागीय कर्मचारियों को इसकी जानकारी दी गयी है, लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं की गयी है. इस संबंध में पूछे जाने पर कनीय विद्युत अभियंता अंकित कुमार ने बताया कि जिला मुख्यालय में अक्सर बिजली के तारों की मेंटनेंस की जाती है. जर्जर तारों को बदला जाता है. इसके अलावा तार को छूने वाली पेड़ों की टहनियों की कांटछांट भी की जाती है.
देवघर की प्रोफेसर कॉलोनी में हाईटेंशन तार कभी भी मचा सकता है कोहराम
मई 2015 में 11 हजार हाई वोल्टेज की चपेट में आकर राजमिस्त्री की हुई थी मौत
देवघर जिले में घनी आबादी वाले इलाके के बीच से गुजरे हाईटेंशन तार कभी भी रांची की घटना को दोहरा सकते हैं. प्रोफेसर कॉलोनी में घनी आबादी क्षेत्र से 11 हज़ार हाई वोल्टेज तार को ले जाया गया है. कॉलोनी के कई लोगों ने बिजली विभाग को आज से 7 वर्ष पहले लिखित आवेदन देकर हाई वोल्टेज तार को हटाने की मांग की थी. तब से लेकर अभी तक ना ही हाई वोल्टेज तार को हटाया गया और ना ही विभाग के अधिकारी ने किसी तरह का कोई एक्शन लिया.
मिस्त्री की हो चुकी मौत
मई 2015 में कॉलोनी के एक घर के ऊपर ढलाई के सेंटरिंग पटरी को खोलने के दौरान एक मिस्त्री हाईटेंशन तार की ज़द में आ गया था. उसकी मौत हो गई थी. इसके बाद तत्कालीन एसडीओ ने तार को हटाने का आश्वासन दिया था. लेकिन वो आश्वासन भी उसी तार के साथ हवा में लटक रहा है. हादसे के पहले घर के मालिक सच्चिदानंद सिंह ने बिजली विभाग को लिखित आवेदन देकर तार को हटाने की मांग की थी. यह जिक्र भी किया था कि घर का निर्माण हो रहा है. किसी तरह का हादसे होता है तो जिम्मेदार कौन होगा. लेकिन विभाग ने उन आवेदन पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की और अंततः पाटा खोलने के दौरान मिस्त्री की मौत हो गई.
विभाग कर रहा प्रावधानों पर अमल की बात
देवघर बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता अशोक कुमार उपाध्याय ने कहा कि सुरक्षा को लेकर जो भी नियम और प्रावधान होंगे. उस पर अमल किया जाएगा. अगर इस तरह की घटना हुई है, तो घरवाले आवेदन लेकर आएं उस पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी. संबंधित अधिकारी मौके पर जाकर जांच करेंगे.
हजारीबाग में मौत को आमंत्रण देता बिजली का नंगा तार
हजारीबाग शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली का नंगा तार खुलेआम मौत को आमंत्रण दे रहा है. हालांकि विभाग का काम चल रहा है, लेकिन अब भी अधिकतर इलाकों में सुधार नाम की कोई चीज नहीं है. पीटीसी-कनहरी मार्ग में कहीं सड़क के आर-पार, तो कहीं पेड़ों से सटे, तो कहीं घरों के पास उलझे हुए बिजली के तारों की कतार लगी हुई है. स्थानीय लोगों का कहना है कि कितनी बार गुहार लगाई, लेकिन इस पर अब तक संज्ञान नहीं लिया गया है. कनहरी मार्ग निवासी मनोज कुमार का कहना है कि उन्होंने कई बार बिजली विभाग से मौखिक और लिखित शिकायत की, लेकिन बिजली का झूलता नंगा तार अब भी उसी हालत में है. विभाग से बस आश्वासन मिलता रहा कि सब प्लास्टिक कोटेड कर दिया जा रहा है. लेकिन कनहरी मार्ग की हालत नहीं बदली. भगवान न करे कि कोई हादसा हो, इससे पहले इन झूलते बिजली के तारों को दुरुस्त करने की जरूरत है.
केस 1 :
अभी हाल ही में बारिश के बाद शहर से तीन किलोमीटर दूर सिंदूर में ऐसे ही झूलते बिजली के तारों को ठीक करने गया, तो करंट की चपेट में आकर बुरी तरह झुलस गया. अगर वह तार प्लास्टिक कोटेड कर दिया गया होता, तो यह नौबत ही नहीं आती.
केस 2 :
कटकमसांउी के पबरा में पिछले दिनों एक बड़ा हादसा भी हुआ. एक खेत में अचानक 11,000 वोल्ट का तार गिर गया. वहां खेत में काम कर रहे एक किसान की मौत भी हो गई थी.
इन इलाकों में अब भी झूल रहे बिजली के तार
हजारीबाग शहर के कई इलाकों शिवदयालनगर, शिवपुरी, कुम्हारटोली, मटवारी, बाबू गांव कोर्रा, ओकनी, सुरेश कॉलोनी, नुरा, आजाद रोड, इधर ग्रामीण इलाकों कटकमसांडी में पबरा बस्ती से लेकर सिमराही नदी तक मुख्य मार्ग पर 11,000 वोल्ट के तार लटक रहे हैं. यहां कभी भी हादसा हो सकता है. पबरा के मुखिया प्रतिनिधि रंजीत रजक और पूर्व मुखिया सुनीता देवी का कहना है कि विभाग को कई बार सूचना दी गई, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया.
बरही में कभी भी हो सकता है हादसा
बरही के बाईपास रोड, बरही नदी के पास, सूर्यमंदिर, न्यू कॉलोनी मार्ग, साधनापुरी, जीटी रोड, कोनरा तालाब जाने के मार्ग पर और वीर कुंवर सिंह पथ, गया रोड में बिजली के नंगे तार वर्षों से झूल रहे हैं. विभाग को कई बार लोगों ने आवेदन दिया, लेकिन अब तक सुधार का आश्वासन ही मिलता रहा.
क्या कहते हैं बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता
केबलिंग कर तार को अंडरग्राउंड करना है : महावीर मुर्मू
बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता महावीर मुर्मू कहते हैं कि जल्द ही केंद्र सरकार की एक स्कीम आ रही है, जिसे धरातल पर लागू किया जाएगा. इसमें केबलिंग कर तार को अंडरग्राउंड करना है. सात किलोमीटर के एरिया खासकर रामनवमी रूट संत कोलंबा कॉलेज की ओर यह काम हुआ है. इससे झूलते बिजली के तार का झंझट ही खत्म हो जाएगा. शहरी क्षेत्र में 107 किलोमीटर तक 440 वोल्ट के तार को प्लास्टिक कोटेड कर दिया गया है. लक्ष्य 400 किलोमीटर तक का है. फंड के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में अधिक काम हुआ है.शहर में जहां काम बचा है, उसे भी जल्द ही दुरुस्त कर दिया जाएगा.
बोकारो : मौत को दावत दे रहे झूलते बिजली के तार
बोकारो जिले के चास बाजार समिति कई कस्बाई इलाकों में बिजली पोल पर झूलते हुए बिजली के तार मौत को दावत दे रहे हैं. फिलहाल चास के कुंवर सिंह कॉलोनी, वार्ड नंबर 23, 26, 29, 34 समेत कई जगहों पर तार झूल रहा है. बिजली के पोल पर तार का मकड़जल फैला हुआ है. विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिजली पोल पर झूल रहे तारों को ना तो ठीक किया जाता है और ना ही इन्हें हटाया जा रहा है. सबसे अहम बात तो यह है कि पोलों पर लटके हुए ये तार अधिकतर अवैध कनेक्शन वाले हैं. विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के कारण और उनकी मिलीभगत से अवैध कनेक्शनधारी अपने घर के सामने से गुजर रहे पोलों से कनेक्शन कर लेते हैं. लिहाजा इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ता है. बिजली के पोलों पर लटके हुए तार और पोल पर मकड़जाल के रूप में फैला हुआ यह तार आए दिन या तो गिर जाते हैं या फिर शॉर्ट सर्किट होने के कारण उपभोक्ताओं की बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है. शटडाउन, ओवरलोड समेत कई परेशानियां तो होती ही हैं, उसके अलावा लोगों की जान पर भी खतरा हो जाता है. यह बिजली पोल पर लटके हुए तार से कई बार बड़ी घटनाएं भी हो चुकी हैं. लोगों की जानें भी जा चुकी हैं. इसके बावजूद भी बिजली विभाग के अधिकारियों ने ना तो इस पर कोई कार्रवाई की और ना ही इस दिशा में उनके द्वारा कोई पहल की गयी. लिहाजा इसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को या तो अपनी जान गंवा कर भुगतना पड़ता है या फिर अंधेरे में रहकर अपना जीवन बसर करना उनकी मजबूरी हो जाती है. इसकी शिकायत विभागीय अधिकारियों से भी की गयी है, लेकिन अधिकारियों ने अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की. विभागीय अधिकारियों की मानें तो इन अवैध कनेक्शनधारियों के खिलाफ अभियान चलाए जाते हैं और जलाए जा रहे अवैध बिजली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी जाती है. सबसे बड़ी बात यह है कि जो तार झूल रहे हैं , वे काफी पुराने हैं. जो कभी भी टूटकर यदि गिर जाएं तो उसकी चपेट में आने से लोगों की मौत भी हो सकती है. कई घटनाएं इस तरह की घटी भी हैं, लेकिन इससे आज तक विभाग सबक नहीं ले पाया.
बहरागोड़ा : खेतों में बांस पर मौत बनकर दौड़ती है बिजली
कृषि प्रधान बहरागोड़ा प्रखंड के ग्रामीण इलाके में बांस और लकड़ी के खंभों पर बिजली मौत बनकर दौड़ती है. खेतों में सिंचाई के लिए सेलो बोरिंग चलाने के लिए बांस और लकड़ी पर बिजली तार ले जाए गए हैं. करंट युक्त बिजली के तार जमीन पर गिरने से हर साल कई किसानों और मवेशियों की मौत होती है. प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने धान समेत अन्य फसलों की सिंचाई के लिए अपने खेत में समरसेबल लगवाया है. समरसेबल तक बिजली के तार को ले जाने के लिए सीमेंट के खंभों की बजाय बांस या लकड़ी का प्रयोग करते हैं. प्रखंड के पूर्वांचल क्षेत्र में समरसेबल तक बिजली की तार ले जाने के लिए सैकड़ों बांस का प्रयोग किया गया है. इसे सहज ही देखा जा सकता है. बरसात में या फिर तेज हवा से बिजली की तार समेत बांस जमीन पर गिर जाते हैं और तार से सट कर लोगों की मौत हो जाती है. एक आकलन के मुताबिक पिछले 10 वर्षों में खेत में गिरे बिजली की तार से सटकर करीब 50 लोगों की मौत हो चुकी है. दर्जनों मवेशियों की भी मौत तार की चपेट में आकर हुई है.
विभाग को रिपोर्ट भेजी जा रही है, जल्द सुधार होगा : जेई
बिजली विभाग के बहरागोड़ा के कनीय अभियंता रवि नायक ने बताया कि कई जगहों पर व्यवस्था दुरुस्त की गई है. जहां-जहां लकड़ी और बांस पर बिजली की तार ले जाई गई हैं, उनकी रिपोर्ट विभाग को भेजी जा रही है. ताकि सुधार किया जा सके.
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