Ranchi : श्री नरसिंह बालाजीधाम वर्णपुर के प्रमुख संतोष भाई जी ने कहा कि भक्ति का दूसरा नाम हैं राम के अनन्य भक्त हनुमान. संतोष भाई अग्रसेन भवन में आयोजित श्री हनुमान चालीसा के अखंड पाठ कार्यक्रम में पांचवें दिन अपने असंख्य अनुयायियों को अपना आशीर्वचन दे रहे थे.
उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन भगवान श्री राम की भक्ति में लगा दिया. उन्हें दुनिया का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है. उनका स्मरण करने से ही दुखों का अंत हो जाता है. कोई उन्हें अंजनीपुत्र और कोई पवनसुत के नाम से जानते हैं. इस ब्रह्मांड में उनके समान कोई भी बलवान न हुआ है और न ही होगा. हनुमान दुनिया के सबसे बड़े पराक्रमी हैं और बुद्धिहीन को बुद्धि प्रदान करते हैं. उन्होंने हनुमान चालीसा के प्रारंभ में वर्णित दोहे और चौपाई का विश्लेषण करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदास ने चालीसा के प्रारंभ में ही इस प्रकार विनती की-हे पवनपुत्र हनुमान, मैं आपसे विनती करता हूं कि मुझ जैसे निर्बल और बुद्धिहीन को ऊर्जा, बुद्धि और ज्ञान देकर मेरे क्लेश और दुखों को दूर कीजिए. आपके ज्ञान और गुण पृथ्वी पर सागर की तरह विशाल है, जिनका कोई अंत नहीं है. इस ब्रह्मांड के तीनों लोक आकाश लोक, भूलोक और पाताल लोक में उनका यश और कीर्ति है.
इधर गुरुवार को पांचवें दिन भी अखंड सवा लाख हनुमान चालीसा का पाठ जारी रहा. हजारों की संख्या में पहुंचे रामभक्तों ने मौन रहकर हनुमान चालीसा का पाठ किया. गुरुवार को भक्तों ने 21 पाठ से लेकर 121 तक पाठ किए. इस क्रम में बनारस से आये प्रख्यात कथावाचक राम मोहन महाराज ने श्री राम हनुमत कथा जारी रखते हुए तीसरे दिन शिव महिमा का गुणगान किया. उन्होंने कथा शुरू करने से पहले हर हर महादेव शंभु, काशी विश्वनाथ शंभु, माता पार्वती संगे, हर हर महादेव शंभु गाकर माहौल को शिवमय कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने गुरु और माता-पिता की हर बात मानने की बात कही. भगवान शिव को सदैव लोकोपकारी और हितकारी बताया. अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की तुलना में शिवोपासना को अत्यन्त सरल बताया. उन्होंने कहा कि अन्य देवताओं की तरह उन्हे सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की जरूरत नहीं पड़ती. शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल यथा-धतूरा से ही प्रसन्न हो जाते हैं. शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की भी जरूरत नहीं है.
मुख्य यजमान अनिल और शोभा अग्रवाल की मौजूदगी में गुरुवार को सुबह की आरती पप्पू-रंजना जैन तथा पवन-कलावती देवी ने की, जबकि शाम की आरती राजेश-मोनिका लाड़िया और विनय-पूनम पांडेय ने की. सवामनी की सेवा कमल किशोर सिंघानिया ने की. भंडारे में अंकुर चौधरी, विकास बंसल, संतोष भैया, शंकर जैन और पप्पू केजरीवाल ने योगदान दिया. आसनसोल से आए पंडित दिलीप शास्त्री ने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए.