Bismay Alankar
Hazaribagh: हजारीबाग शहर का सारले मौजा भू माफियाओं के लिए हॉट केक बना हुआ है. सारले में सीओ के आदेश और नोटिस बोर्ड लगाए जाने के बाद भी भू माफिया धड़ल्ले से सरकारी जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. हजारीबाग के सारले मौजा में खाता 93 के अंतर्गत प्लॉट 72 में सरकारी जमीन का बोर्ड लगा हुआ. उसके बगल में प्लॉट 93 है. जिसकी जमीन नाले के लिए अधिग्रहित की गई है. बावजूद इसके भू माफिया वहां धड़ल्ले से मिट्टी भराई का काम कर रहे हैं.
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने की नियत से मिट्टी भराई का कार्य कर रहे भू माफिया के खिलाफ स्थानीय मटिडा लिंडा द्वारा कोर्रा थाने में आवेदन देने का प्रयास किया गया. लेकिन यह कह कर कि मामला जमीन से जुड़ा है, इस आवेदन को अंचल अधिकारी कार्यालय में देना है, वहां से बैरंग लौटा दिया गया. जबकि आवेदन में लिखा है कि खाता 72 का बगल वाला प्लॉट 80 इन आदिवासियों के निकास का रास्ता है. जिसे भू माफिया प्रदीप मेहता एवं अन्य लोगों द्वारा भर कर बेचने का काम किया जा रहा है. मना करने पर उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है. इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों द्वारा अंचल अधिकारी के यहां आवेदन देने का प्रयास किया गया. लेकिन रैदास जयंती की छुट्टी होने के कारण पीड़ित पक्ष अपना आवेदन नहीं दे सका. इस संबंध में जब सदर सीओ को फोन किया गया तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया.
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प्रतिबंधित सूची में है 93 खाते की अधिकांश जमीन
सारले मौजा में खाता 93 के अंतर्गत अधिकांश प्लॉट प्रतिबंधित सूची में है. प्रतिबंधित सूची का अर्थ यह है कि इसकी खरीद बिक्री दाखिल खारिज नहीं हो सकती है. बावजूद इसके भू माफियाओं की नजर इस जमीन पर है. सारले मौजा के अलग-अलग हिस्सों में भू माफिया द्वारा जमीन पर कब्जा करने की खबरें आए दिन मीडिया की सुर्खियां बनती रही हैं. बावजूद इसके यहां जबरन कब्जा का काम रूक नहीं रहा है. नाले में मिट्टी भराई मामले में जब प्रदीप मेहता से पूछा गया तो उसने कहा मेरे पास जमीन के कागज हैं. पता नहीं क्यों सभी को मुझसे ही दुश्मनी है. मैं जहां भी काम करता हूं. लोग सवाल करने लगते हैं. जिस जमीन पर नोटिस बोर्ड है. उस जमीन को मैंने छोड़ दिया है. इस जमीन में और भी लोग हैं. जिनके पास कोई कागज नहीं है. लेकिन उन्हें कोई कुछ नहीं कहता. सब मेरे पीछे पड़े हैं.
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