Hazaribag : जनवरी 2021 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की जिस टीम ने हजारीबाग हॉलीक्रॉस के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र (केबीके) को क्लीन चिट का सर्टिफिकेट दिया, महज डेढ़ साल जुलाई 2022 में उसी संस्थान ने केबीके की मान्यता रद्द कर दी. इससे कृषि विज्ञान केंद्र हजारीबाग पर हुई कार्रवाई सवालों के घेरे में आ गया. इसमें कई तरह के तथ्य सामने आए और कहीं न कहीं कार्रवाई को लेकर मामला विवाद में आ गया. फिलहाल यह मामला झारखंड हाइकोर्ट में पहुंचा हुआ है और अब फैसले की प्रतीक्षा है. दरअसल भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की ओर से हॉलीक्रॉस के प्रेसीडेंट के पास पत्र आया कि केबीके की मान्यता रद्द कर दी गई है. इसके पीछे का कारण बताया गया कि जिस एनजीओ के तहत केबीके संचालित है, उसकी अपनी भूमि नहीं है. वह संस्था पोर्टल दर्पण में रजिस्टर्ड नहीं है. संस्था के कई खाते खोले गए और उसे मिलनेवाली विदेशी फंडिंग की जानकारी भी नहीं दी गई. हालांकि हॉलीक्रॉस की ओर से हर आरोप को नकार दिया गया और बताया गया कि वह एनजीओ हर मानदंड पर खरा उतरता है.
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6 कृषि वैज्ञानिक समेत 16 कर्मियों के वेतन पर संकट
यहां केबीके 33 साल से किसानों को उन्नत खेती का प्रशिक्षण दे रहा है. इस केंद्र से छह कृषि वैज्ञानिकों के अलावा 10 अन्य कर्मी भी जुड़े हुए हैं. यह वैज्ञानिक किसानों को प्रशिक्षण देकर खेती-बारी में दक्ष करते हैं और कर्मी उन्हें तकनीकी सहयोग प्रदान करते हैं. अब जब केबीके की मान्यता रद्द कर दी गई है, तो कृषि वैज्ञानिकों और कर्मियों के वेतन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. बताया जा रहा है कि सितंबर 2021 में पटना से चार सदस्यीय टीम आयी थी. उसके बाद न कोई स्पष्टीकरण पूछा गया और न किसी प्रकार की जानकारी दी गई. सीधा एक जुलाई 2022 को केबीके की मान्यता रद्द करने से संबंधित पत्र जारी कर दिया गया. इस मामले को लेकर हाइकोर्ट में हॉलीक्रॉस ने केस किया. यह भी बताया गया कि पहले क्यूआरटी (क्विक रेसपोंस टीम) हर 3-4 साल में आती थी. इस बार डेढ़ साल में टीम का दो-दो बार दौरा हुआ. आखिर इसके पीछे की वजह क्या है, यह चर्चा का विषय बना हुआ है. बताया जाता है कि कुछ दिन पहले केबीके से एक कृषि वैज्ञानिक को हटा दिया गया था. उन पर कई तरह के आरोप लगे थे. उसके बाद से ही सारा खेल शुरू होने की बात चर्चा का विषय बना है. अब अंदर की बात क्या है, यह तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ही जाने, लेकिन केबीके की मान्यता रद्द होने का मामला कहीं न कहीं इस प्रसंग से भी जोड़कर देखा जा रहा है.
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“मान्यता रद्द होने से बढ़ी किसानों की परेशानी”
होलीक्रॉस की निदेशिका सिस्टर सजीता ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक केंद्र की मान्यता रद्द होने से सबसे अधिक परेशानी किसानों को होगी. चूंकि सभी कृषि वैज्ञानिक और कर्मी खेतों में जाकर फसलों की जांच करते हैं और फिर पैदावार बढ़ाने का प्रशिक्षण देते हैं. मान्यता रद्द होने से अब ये किसान प्रशिक्षण कैसे लेंगे. चूंकि वैज्ञानिकों को वेतन नहीं मिलेंगे, तो वे काम कैसे करेंगे. कृषि विज्ञान केंद्र में भी प्रशिक्षण से संबंधित कार्यक्रम बंद हैं. उन्होंने कहा कि एक वरीय वैज्ञानिक को हटाए जाने के बाद से ही यह सारा मामला शुरू हुआ है. उस वैज्ञानिक का आचरण सही नहीं थी. किसी को भी आदर-सम्मान नहीं देता था. सिस्टर सजीता ने बताया कि मान्यता रद्द होने के बाद हाइकोर्ट में मामला दायर किया गया है. अब फैसले का इंतजार है.