Gaurav Prakash
Hazaribagh: सदर विधायक मनीष जायसवाल को वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार हैं. दरअसल हजारीबाग में इन दिनों अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 23वां प्रांतीय अधिवेशन चल रहा है. इसमें राज्य भर से 2000 से अधिक विद्यार्थी और शिक्षक हिस्सा ले रहे हैं. रविवार को कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत की गई. इसमें केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा मुख्य अतिथि थे. इसके अलावा अभाविप के केंद्रीय स्तर के पदाधिकारी भी शामिल थे. उद्घाटन सत्र के दौरान सभी अतिथियों का बैज लगाकर स्वागत किया गया.
मामले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं
इस दौरान केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा समेत अन्य पदाधिकारियों को बैज लगाया गया. लेकिन हजारीबाग के स्थानीय सदर विधायक मनीष जायसवाल को बैज नहीं लगाया गया. वह बैज लगवाने के लिए खड़े भी हुए, लेकिन उन्हें यह सम्मान प्राप्त नहीं हुआ. ऐसे में उनके चेहरे पर भी नाराजगी के भाव दिख रहे थे. वह अधिवेशन में उद्घाटन सत्र के विशिष्ट अतिथि भी थे. कुछ लोगों का कहना था कि उन्हें मंच पर जगह मिलनी चाहिए थी. लेकिन उन्हें मंच पर भी जगह नहीं दी गई. वह नीचे विद्यार्थी वर्ग में बैठे नजर आए. इसे लेकर अब हजारीबाग में चर्चा का बाजार गर्म है. कोई इसे राजनीति से प्रेरित बता रहा है, तो कोई इसे लापरवाही कह रहा है. अमूमन यह देखने को मिलता है कि कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधियों को मंच मिलता है. उनका स्वागत भी किया जाता है.
एबीवीपी है भारतीय जनता पार्टी का छात्र संगठन
अभाविप भारतीय जनता पार्टी का ही छात्र संगठन है. मनीष जायसवाल भारतीय जनता पार्टी से ही विधायक हैं. इसके बावजूद माजरा क्या है, यह खुद में सवाल खड़ा कर रहा है. इस बाबत हजारीबाग में विधायक प्रतिनिधि के तौर पर जो लोग अपनी जिम्मेवारी उठा रहे हैं, उन लोगों ने भी इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं की. अंदर खाने से यह भी जानकारी है कि मनीष जायसवाल ने कार्यक्रम की सफलता के लिए संगठन को मदद भी पहुंचाई है. दूसरी ओर एबीवीपी के पुरातन सदस्य ने बताया कि संगठन में सब कुछ पहले से तय होता है. जिसके नाम का अनुमोदन होता है, उसे ही मंच पर बैठाया जाता है. ऐसे में कोई राजनीति नहीं की गई है. हां उन्होंने यह अवश्य कहा कि अगर सभी को बैज लगाया जा रहा था, तो उन्हें भी लगाया जाता, तो अच्छा रहता. संगठन में राजनीति के लिए कोई जगह नहीं है.
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