ख़ास है 2024 की रामनवमी : रामभक्तों के नगर हजारीबाग में निराली लगती है झंडा पर्व की फ़िज़ा
Ranjana Kumari/Umesh Chaubey
Hazaribagh: हजारीबाग की दस साल की रामनवमी बेहद खास है. रामलला अब टेंट में नहीं, बल्कि अद्भुत, अलौकिक और भव्य श्रीराम मंदिर में पधार चुके हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम की जन्मस्थली अयोध्या के साथ संपूर्ण दुनिया रामलला के जन्मोत्सव को खास तरीके से मना रही है. झारखंड राज्य के रामभक्तों के शहर के नाम से मशहूर हजारीबाग में झंडा पर्व की फ़िज़ा (माहौल) निराली लगती है. सद्भावना, एकता और भाईचारगी की मिसाल हजारीबाग की विश्व विख्यात रामनवमी शोभायात्रा का आकर्षक नजारा दिखेगा. सैकड़ों अखाड़ों लोग भगवान श्रीराम के आदर्शों का अनुशरण करते हुए हाथों में केसरिया परचम लिये एक अद्भूत जोश, जुनून और उमंग के साथ थिरकते- नाचते- झूमते सड़क पर उतरेंगे. यह धार्मिक जुलूस अनवरत कल देर शाम तक जारी रहेगा. इस दौरान सामाजिक जागरूकता, राष्ट्रीय एकता, भारतीय संस्कृति, सभ्यता, धार्मिकता और सामाजिकता के साथ भाईचारगी का संदेश बिखेरता दर्जनों ऐतिहासिक झांकियों का कतारबद्ध कारवां, नन्हें- नन्हें विद्युतीय बल्बों से निकलती रोशनी के बीच चौंधियाती आंखें और अखाड़ाधारियों के लाठी, डंडा, भुजाली, तलवार आदि से हैरतअंगेज कारनामे जुलूस को और मनोहारी बना देते हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, देवों के देव महादेव और वीर बजरंगबली के नारे से हजारीबाग की चारों दिशाएं गूंज उठेगी. इन मनभावन, अद्वितीय, अनुपम, ख़ुशगवार दृश्यों का अवलोकन करने हेतु दूर-दराज से जनसैलाब उमड़ पड़ेगा.
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हजारीबाग रामनवमी का जुलूस विरासतों व अस्मिता का प्रतीक
बता दें कि हजारीबाग रामनवमी का जुलूस यहां की तहजीब, समृद्धि, सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत एवं अस्मिता का प्रतीक बन चुका है. यहां रामनवमी अतिविशिष्ट लोक उत्सव के रूप में मनायी जाती है. मनाये भी क्यों नहीं, यह उनके जन्मदिन का उमंग है, जो पापी, अत्याचारी और अधार्मिक व्यक्ति को भी सन्मार्ग पर लाकर श्रेष्ठ व्यक्ति बना सकते हैं. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव हजारीबाग वासियों द्वारा विशेष तरीके से मनाया जाता है. भगवान श्री राम के आदर्श चरित्र और धार्मिक उपदेश को पहल करके मनुष्य उत्कृष्ट आचरण का उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है. जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं के सेवार्थ यहां दर्जनों स्टॉल लगाए जाते हैं.
जुलूस के सफल संचालन को लेकर विधि व्यवस्था दुरुस्त
रामनवमी जुलूस के सौहार्दपूर्ण संचालन के लिए यहां तमाम जनप्रतिनिधि, रामनवमी महासमिति के सभी पदाधिकारी और सदस्यगण के अलावे जिला प्रशासन, सभी राजनीतिक दलों के लोग, सद्भावना समिति के लोग, सभी धर्म- संप्रदाय के लोग, समाजसेवी, शिक्षाविद्ध, प्रेस- मीडिया और हजारीबाग के प्रबुद्ध लोगों के साथ समस्त आम अवाम जुलूस में तैनात रहेंगे. जुलूस के संचालन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा भी विधि व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया गया है. जिले के वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी लगातार जुलूस मार्ग का खुद निरीक्षण कर रहे हैं. शहर में भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है. सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों के अलावे ड्रोन कैमरे से भी निगरानी रखी जा रही है.
कोरोना के कारण दो वर्ष नहीं दिखा शोभायात्रा का पारंपरिक स्वरूप
कोरोना के विध्वंसकारी स्वरूप ने जो भयावह स्थिति पैदा की. उसके कारण हजारीबाग की रामनवमी शोभायात्रा का पारंपरिक स्वरूप हजारीबाग की सड़कों पर दो वर्ष यानी साल 2020 एवं 2021 में नहीं दिखा. साल 2022 में पारंपरिक रामनवमी जुलूस निकालने को लेकर राम भक्त उत्साहित दिखे. कोविड प्रोटोकॉल के साथ रामनवमी का त्योहार मनाया गया. साल 2023 में कोविड प्रोटोकॉल पूरी तरह समाप्त होने के बाद राम भक्तों का उत्साह वैभव पर है, लेकिन उनके उत्साह को जिला प्रशासन द्वारा रामनवमी शोभा यात्रा के दौरान डीजे पर पाबंदी लगा कर कम करने का प्रयास किया गया. हालांकि उस वक्त हजारीबाग के जनप्रतिनिधि और रामभक्त इसे लेकर मुखरता से आवाज बुलंद करते रहे. साल 2023 में डीजे के बगैर सौहार्दपूर्ण माहौल में रामनवमी मनायी गयी.
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पारंपरिक इतिहास एक बार फिर दोहराने को बेताब लोग
100 से अधिक वर्ष का रामनवमी जुलूस का पारंपरिक इतिहास एक बार फिर दोहराने को यहां के लोग बेताब है. हजारीबाग में रामनवमी लोकउत्सव के रूप में मनाया जाता है. इस धार्मिक उत्सव के दौरान वृहत स्तर पर समाज के कई वर्गों को रोजगार भी मिलता है. इसमें ताशा पार्टी, साउंड वाले, झंडों के व्यवसाई, झांकी के सामग्री विक्रेता, फ्लैक्स, पोस्टर, रशीद छपाई वाले, मिठाई वाले, पूजन सामग्री विक्रेता, गाड़ी वाले, पारंपरिक हथियार विक्रेता, कपड़ा विक्रेता, मूर्तिकार, ठेला – खोमचे वाले सहित अन्य शामिल हैं.
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