Ranchi: भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लोकतंत्र की मर्यादा से बाहर जा रहे हैं. उनके बौखलाने से क्या होगा. इस सरकार में जो पाप हुए हैं, उसकी कीमत तो उन्हें चुकानी ही होगी. हेमंत सोरेन राज्य के लिए बोझ बन चुके हैं. भाजपा जबतक इस सरकार को उखाड़ नहीं फेंकती, तबतक चैन से नहीं बैठेगी. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन भाजपा को धमकी न दें. हम धमकी से नहीं डरते हैं. वे अपने कार्यकर्ताओं को कष्ट न दें. 7 नवंबर से सरकार के खिलाफ शुरू होने वाले धरना-प्रदर्शनों का वीडियो भाजपा उन्हें भेज देगी. बाबूलाल मरांडी प्रदेश भाजपा मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे.
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आदिवासी हैं तो क्या झारखंड को लूटने का लाइसेंस मिल गया
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन मुसीबत सिर पर देखते ही आदिवासी कार्ड खेलने लगते हैं. आदिवासी हैं तो क्या उन्हें झारखंड को लूटने का लाइसेंस मिल गया है. जनता ने राज्य का खनिज लुटाने के लिए बहुमत नहीं दिया था. भाजपा अब और राज्य के खनिजों को लुटने नहीं देगी. अब हम 2024 तक इंतजार नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि राज्य को लूट रहे हैं तो पूछताछ तो होगी ही. जब नरेंद्र मोदी गुजरात के सीएम थे, तब उन्होंने भी 10-10 घंटे एसआईटी जांच में सहयोग किया था. लालकृष्ण आडवाणी ने भी करप्शन के आरोप पर पार्लियामेंट से इस्तीफा दे दिया था. हेमंत सोरेन को भी विनम्र होकर जांच में सहयोग करना चाहिए.
उस समय जाग जाते तो आज यह दिन न देखना पड़ता
उन्होंने कहा कि भाजपा 3 साल से एक सजग विपक्ष की भूमिका निभा रहा है. गड़बड़ियों को लेकर सैकड़ों बार सरकार को पत्र लिखा गया. उन्होंने खुद भी पत्र, ट्विटर और फेसबुक से कई मामले सरकार के संज्ञान में लाया, लेकिन सरकार ने किसी मामले में संज्ञान नहीं लिया. साहिबगंज में 1000 करोड़ का खनन घोटाला सामने आने से डेढ़ साल पहले ही उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अवैध खनन और ढुलाई का मामला उनके सामने लाया. उस समय अगर मुख्यमंत्री संज्ञान ले लेते, तो गंगा में नाव हादसा नहीं होता और उन्हें आज यह दिन भी नहीं देखना पड़ता.
राज्य को बिचौलियों और दलालों के हाथ में छोड़ रखा है
बाबूलाल ने कहा कि हेमंत ने राज्य को बिचौलियों और दलालों के हाथ में छोड़ रखा है. एक दलाल के घर से 2 एके 47 राइफल मिलता है. यह राइफल सीएम आवास में पदस्थापित कॉन्सटेबल्स का होता है. यानी वह दलाल सीएम से भी प्रभावशाली है. वहीं दो बार राज्य में डीएसपी स्तर के पदाधिकारियों का ट्रंसफर किया गया, लेकिन फिर ट्रांसफर को विलोपित कर दिया गया. इसका मतलब यह है कि इनसे इतर भी कोई और है, जो सत्ता पर हावी है और सीएम उसके सामने लाचार हैं.
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