Ranchi : राज्य के सरकारी विभागों में कार्यरत अनुसूचित जनजाति जाति के सरकारी सेवकों को मुख्यमंत्री हेमंत हेमंत सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है. सरकार ने इन कर्मियों की प्रोन्नति पर लगी रोक पर हटा दी है. कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग ने इस बाबत एक पत्र जारी किया है. पत्र सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव सहित सभी विभाग के अध्यक्ष, प्रमंडलीय आयुक्त और उपायुक्तों को जारी किया गया है. सरकार के इस फैसले से करीब 57000 से अधिक अनुसूचित जाति, जनजाति के सरकारी कर्मियों को प्रोन्नति का सीधा लाभ मिल पाएगा.
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शिकायत पर विधानसभा ने समिति की थी
कार्मिक विभाग ने पत्र में बताया है कि राज्य कर्मियों की प्रोन्नति में अनुसूचित जनजाति तथा जाति के वरीय सरकारी सेवकों को प्रोन्नति से वंचित कर सामान्य वर्ग के जूनियर कर्मियों को मिल रही प्रोन्नति पर एक शिकायत हुई थी. शिकायत पर विधानसभा द्वारा एक समिति गठित की गई थी. कमेटी ने पूरे मामले की जांच के क्रम में सरकार द्वारा 24 दिसंबर 2020 को एक पत्र जारी कर प्रोन्नति की प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी. उसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट मे चला गया. कोर्ट ने सरकार को प्रोन्नति से वंचित कर्मियों के आंकड़े जुटाने का निर्देश सरकार को दिया. जिसके बाद सरकार ने IAS अपर मुख्य सचिव एल खियांगते की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित की.
समिति ने नवंबर में सीएम को दी थी रिपोर्ट
समिति ने माना कि झारखंड में प्रत्येक स्तर के प्रोन्नति वाले पदों पर अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व निर्धारित कोटे से काफी कम है. समिति में अन्य 2 सदस्य केके सोन और वंदना डाडेल थी. समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को नवंबर 2021 को दी. समिति ने बताया कि प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य सरकार के 34 विभागों में से 31 प्रमुख विभागों में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 3,01,1 98 है. जिनमें से 57,182 पद प्रोन्नति के आधार पर भरे जाते हैं. जबकि 2,44,016 पद सीधी नियुक्ति से भरे जाते हैं. इसके बाद विभाग ने रिपोर्ट के आधार पर एक विधेयक लाया और इसमें परिणामी वरीयता के आधार पर एससी-एसटी को प्रोन्नति देने की बात कही.
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