- इनमें 2014 की धोती, साड़ी और लुंगी देने की योजना, दाल-भात योजना, खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में सीधी नियुक्ति व मदरसा को अनुदान देना शामिल
- पिछले कार्यकाल में ही पंचायत सचिव पद पर दलपति की नियुक्ति का फैसला लिया था
Ranchi : विधानसभा चुनाव 2019 के घोषणा पत्र में झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा कई चुनावी वादे किए गए थे. इन वादों में 2014 के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के लोकहितकारी फैसले को दोबारा लागू करना था. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष व राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वादों को पूरा कर जनता का दिल जीतने की पुरजोर कोशिश की है. चुनावी वादों में धोती, साड़ी और लुंगी देने की योजना, दाल-भात योजना, खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में सीधी नियुक्ति, स्वीकृत मदरसा को अनुदान देना शामिल हैं. जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक हेमंत सोरेन ने राज्य के मुख्यमंत्री रहते कई फैसले लिये थे. अब इनमें से कई फैसलों को उनके इस कार्यकाल में भी फिर से लागू किया गया है. ये फैसले चुनावी घोषणा पत्र से अलग हैं. इसमें दलपतियों का पंचायत सचिव पर नियुक्ति का फैसला भी शामिल है.
इसे भी पढ़ें –टी-20 वर्ल्ड कप : भारत ने जिम्बाब्वे को 71 रनों से हराया, सेमीफाइनल में इंग्लैंड से होगा मुकाबला
धोती साड़ी सोबरन योजना
जुलाई 2013 से दिसंबर 2014 तक मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने सोना सोबरन धोती साड़ी योजना को लांच किया था. योजना के तहत 10 रुपये में धोती, साड़ी और लुंगी दी जा रही थी. रघुवर सरकार के आते ही इस योजना को बंद कर दिया गया था. सितंबर 2021 को हेमंत सोरेन ने उप राजधानी दुमका से योजना को फिर से लांच किया. योजना के तहत लाभार्थियों को 10 रुपए में वर्ष में दो बार एक साड़ी एवं लुंगी या धोती दी जाती है. लोगों को साड़ी, लुंगी और धोती जनवितरण प्रणाली की दुकानों से दिये जा रहे हैं.
मदरसों को अनुदान
हेमंत सोरेन सरकार के एक साल (जुलाई 2014) पूरे होने पर मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को अनुदान देने की घोषणा हुई थी. 28 दिसंबर 2014 में सरकार बदलते ही इस पर काम बंद हो गया. दोबारा सीएम बनने के बाद हेमंत सोरेन ने मदरसों के शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों को अनुदान देने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनायी. कमेटी में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम, शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो और विधायक सुदीप्त कुमार सोनू शामिल थे. सितंबर 2020 को कमेटी ने अनुदान देने पर सहमति जतायी. राज्य की 117 मदरसों के 425 शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों को अनुदान देने पर सहमति बनी. जिस पर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने 58 करोड़ रुपए जारी किए. मदरसों को अनुदान देने के साथ बीते दिनों कैबिनेट की बैठक में मदरसा और संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों को पेंशन देने का भी फैसला हुआ है.
खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति
हेमंत सरकार का वादा था कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में शामिल होनेवाले खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी में सीधी नियुक्ति दी जाएगी. 29 दिसंबर 2020 को एक खिलाड़ी को रांची जिला खेल पदाधिकारी के कार्यालय में लोअर डिवीजन क्लर्क, 17 मार्च 2021 को 27 खिलाड़ियों को गृह विभाग में आरक्षी के पद और 3 अगस्त 2021 को 10 अन्य खिलाड़ी को गृह विभाग में नियुक्ति पत्र दिया गया. इनमें भाग्यवती चानू, मधुमती कुमारी समेत 8 को आरक्षी के पद पर नियुक्ति पत्र मिला.
पांच रुपये में पौष्टिक भोजन
राज्य के कामकाजी, गरीब लोगों को बिना भेदभाव के पांच रुपये में न्यूनतम पौष्टिक भोजन देने का चुनावी वादा था. इसके लिए पूर्व में चल रही दाल भात योजना को दोबारा लागू करना था. बजट 2021 में इसे दोबारा चालू कराने का फैसला लिया गया. हालांकि दाल भात योजना का नाम बदलकर गुरुजी रसोई योजना कर दी गयी. गुरुजी रसोई योजना में सरकार गरीब लोगों को 5 रुपये में भोजन उपलब्ध करा रही है. वर्तमान में राज्य के 24 जिलों में 380 के करीब दाल भात केंद्र चल रहे हैं.
ग्राम रक्षा दल (दलपति) का पंचायत सचिव में नियुक्ति
मुख्यमंत्री रहते हेमंत सोरेन ने अक्टूबर 2014 में पंचायत सचिव पद पर दलपति की नियुक्ति को लेकर फैसला किया था. उन्होंने पंचायत सचिव के स्वीक़ृत बल के 50 प्रतिशत पदों को दलपति कोटे से भर्ती करने का निर्देश दिया था. दिसंबर 2014 में सरकार बदली. जुलाई 2015 को तत्कालीन सरकार ने पंचायत सचिव पद पर नियुक्ति के लिए झारखंड पंचायत सचिव (नियुक्ति, सेवा शर्त एवं कर्तव्य) नियमावली (संशोधित) 2014 लागू की. संशोधित नियमावली में पंचायत सचिव पद की सभी रिक्तियों को झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) द्वारा संचालित प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर सीधी नियुक्ति से भरने का प्रावधान किया गया. इससे योग्य दलपति भी पंचायत सचिव पद पर नियुक्त होने से वंचित रह गए. बीते दिनों हेमंत सोरेन कैबिनेट में योग्य दलपतियों की पंचायत सचिव के पद पर नियुक्ति का फैसला हुआ है. हालांकि नियम में बदलाव केवल एक बार के लिए होगा.
इसे भी पढ़ें – नए परिप्रेक्ष्य में भारत-ब्रिटेन संबंध