Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : झारखंड उच्च न्यायालय ने अपने एक आदेश में माना है कि किसी अन्य पक्ष के धन या संपत्ति को अनुचित तरीके से रोकना न्याय और निष्पक्षता के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. एक कंपनी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने अनावश्यक मुकदमेबाजी में शामिल होने और तुच्छ बातें पेश करने के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के प्रबंध निदेशक पर 5 लाख रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया है. जेबीवीएनएल (झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड) ने एक कंपनी का टीडीएस का पैसा रोक दिया था, जिसकी कुल राशि 2,90,32,000 थी. जेबीवीएनएल ने याचिकाकर्ता के डिमांड नोटिस के खिलाफ अपील भी की थी. हाइकोर्ट में सुनवाई के दौरान एक्टिंग चीफ जस्टिस की अध्य्क्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि ”जिस पार्टी ने बिना किसी उचित कारण के मुकदमा शुरू किया या गलत और तुच्छ बचाव किया, उस पर जुर्माना लगाना आवश्यक है. कंपनी को अनावश्यक रूप से अदालत में घसीटा गया और वह भी जानबूझकर और बिना किसी गलती के. न्यायालय में प्रस्तुत मुकदमे की फाइल से पता चलता है कि इस न्यायालय द्वारा पारित 14 मार्च 2024 के आदेश के संदर्भ में जेबीवीएनएल के प्रबंध निदेशक के उच्चतम स्तर पर निर्णय लिया गया है. इसलिए जेबीवीएनएल पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाना चाहिए और यह राशि प्रबंध निदेशक से वसूला जाएगा.
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