Ranchi: रांची यूनिवर्सिटी में रिसर्च को लेकर अक्सर विवाद सामने आता रहता है. कभी दूसरे का आलेख अपने नाम से प्रकाशित कराने को लेकर तो कभी रिसर्च के नाम पर राशि मांगे जाने को लेकर मामला आता है. इस बार पीजी कॉमर्स के निवर्तमान एचओडी डॉ. जीप त्रिवेदी पर पीएचडी के लिए रिसर्च के नाम पर पैसे मांगने का आरोप लगा है. अभ्यर्थी ने पूर्व एचओडी पर पीएचडी रजिस्ट्रेशन से पहले 20 से 30 हजार रुपए मांगे जाने का आरोप लगाया है. अभ्यर्थियों ने इस संबंध में शिकायत पत्र एसीबी, रांची विवि और उच्च शिक्षा विभाग को दिया है. इसके बाद उच्च शिक्षा विभाग ने रांची यूनिवर्सिटी प्रशासन को लेटर भेजकर मामले की जांच कराने के लिए कहा है. साथ ही जांच के बाद रिपोर्ट से उच्च शिक्षा विभाग के डायरेक्टर को अवगत कराने के लिए कहा है.
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गाइड मिलना आसान नहीं
बताया जाता है कि उच्च शिक्षा विभाग से लेटर मिलने के बाद रांची यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा कार्रवाई शुरू कर दी गई है. जांच कमेटी गठित करने से पहले आरयू प्रशासन द्वारा शोकॉज कर जवाब मांगा जाएगा. इसके बाद जांच कमेटी गठित की जाएगी. बताया जाता है कि रांची विवि में पीएचडी इंट्रेंस पास करने के बाद भी अभ्यर्थी को गाइड मिलना आसान नहीं है. क्योंकि स्थायी शिक्षकों की संख्या कम है. शिक्षक सीमित संख्या में ही अपने अंतर्गत पीएचडी करा सकते हैं. तय संख्या से अधिक अपने अंतर्गत पीएचडी नहीं करा सकते हैं.
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कैटेगरी वाइज कोटा तय
विवि शिक्षकों को पीएचडी कराने के लिए कैटेगरी वाइज कोटा तय है. असिस्टेंट प्रोफेसर अपने अंतर्गत आठ अभ्यर्थियों को पीएचडी करा सकते हैं. वहीं एसोसिएट प्रोफेसर अपने अंतर्गत 11 और प्रोफेसर 14 पीएचडी करा सकते हैं. देखा जाय तो रांची यूनिवर्सिटी में वर्तमान में कॉमर्स विषय में एक भी प्रोफेसर नहीं है. सिर्फ एसोसिएट और असिस्टेंट प्रोफेसर अभी सेवा दे रहे हैं. ऐसे में एंट्रेंस टेस्ट पास करने वाले सभी अभ्यर्थियों को पीएचडी करने के लिए गाइड मिलना मुमकिन नहीं है.