Ahmedabad : हिंदू समाज ढोंगी नंबर वन है. गऊ माता की जय तो बोलते हैं लेकिन जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे घर से निकाल देते हैं. गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने यह कह कर हिंदू समाज को कटघरे में खड़ा कर दिया है. बता दें कि आचार्य देवव्रत, कल 7 सितंबर को गुजरात के नर्मदा जिले में प्रकृति की गोद में जैविक खेती विषय पर आधारित एक सेमीनार में बोल रहे थे.
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बेचारी दूध नहीं देती तो घर से भी बाहर निकाल देते हो
इस क्रम में कहा कि गऊ माता को समझने और जानने की जरूरत है, तभी इसका सही अर्थ निकलेगा. उन्होंने कहा, तुम जय तो बहुत बोलते हो गऊ माता की, पूजा भी करते हो, तिलक भी लगाते हो, घंटी भी बजाते हो पर बेचारी दूध नहीं देती तो घर से भी बाहर निकाल देते हो. गऊ माता की जय हो…गऊ माता की जय हो…न दूध पीते हो न गाय पालते हो और गऊ माता की जय हो…. इसलिए मैं कहता हूं ये हिंदू समाज ढोंगी नंबर वन है.
आचार्य देवव्रत अपनी रौ में थे. कहा, ये न दूध पीते हैं न ही गाय पालते हैं, बस गऊ माता की जय कहते हैं, क्या इससे हो जायेगी गऊ माता की जय? गऊ माता को समझो और जानो, यही सही अर्थ में गऊ माता का सम्मान होगा.
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सोशल मीडिया पर छिड़ गयी बहस
आचार्य देवव्रत के बयान पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गयी है.कई लोग उनके बयान का समर्थन करते नजर आये तो कई ने आपत्तिजनक करार दिया. नीरज कुमार नाम के यूजर ने लिखा, अब देखता हूं कितनों की भावनाएं आहत होती हैं. अमरदीप ने अपनी पोस्ट में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा को टैग करते हुए लिखा, कुछ बोलिये इसपर. प्रकाश गोडबोले का कहना था कि बिल्कुल सही कहा ,गलत क्या है इसमें?
आचार्य देवव्रत प्राकृतिक खेती के हिमायती माने जाते हैं
आचार्य देवव्रत को गौ आधारित प्राकृतिक खेती के हिमायती माने जाते हैं.जान लें कि वे मंच पर अक्सर कहते रहे हैं कि गौ आधारित खेती से किसी और उर्वरक की जरूरत नहीं होगी. इस खाद्यान्न से स्वास्थ्य तो ठीक रहेगा ही, किसानों की आय भी दोगुनी हो जायेगी. बता दें कि राज्यपाल बनने से पूर्व आचार्य देवव्रत, सक्रिय तौर पर आर्य समाज से भी जुड़े रहे हैं गुरुकुल का काम देखने के क्रम में गौ सेवा से लेकर प्राकृतिक खेती पर जोर देते रहे हैं