अमन सिंह हत्याकांड में चौकीदारी व्यवस्था, एसपीओ और विशेष शाखा सभी फेल
Rizwan Shams
Dhanbad : धनबाद जेल में चली गोलियों की तड़तड़ाहट झारखंड से लेकर यूपी तक में सुनाई दे गई. जबकि सिर्फ टायर देखकर ट्रक में लोड कोयले का सटीक आकलन करने वाले खाकीधारी जेल में हथियार पहुंचने की भनक भी नहीं पा सके. इस सनसनीखेज वारदात से जुड़े सवालों के पिटारे में सबसे अहम यह है कि आखिर पुलिस के जासूस कहां लापता हो गए हैं. पूरी सूचनातंत्र बुरी तरह क्यों नाकाम हो रही है. खाकी के गुप्तचरों के जाल में छेद क्यों, इन सवालों के जवाब ढूंढती शुभम संदेश की खास रिपोर्ट.
पूरे राज्य में 40 प्रतिशत कम हो गए चौकीदार
धनबाद : पुलिस की सूचनातंत्र का सबसे मजबूत स्तंभ है, यहां की चौकीदारी व्यवस्था. गांव हो या मुहल्ला अजनबी चेहरे को देख कर उसकी प्रारंभिक पड़ताल तो चौकीदार ही करता है. करीब 17 हजार चौकीदारों के स्वीकृत पद झारखंड में हैं. इनमें फिलहाल नौ हजार ही तैनात हैं. यानी 40 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त पड़े हैं. पूरे झारखंड में 450 से अधिक चौकीदारों को विभिन्न आरोपों के कारण सेवामुक्त किया गया है. इसके साथ ही शेष चौकीदारों से थानों में अलग-अलग ड्यूटी भी ली जाती है. ऐसे में महकमा को सटीक सूचनाएं नहीं मिल पाती. कुछ चौकीदार अवैध कमाई के आरोप में सेवामुक्त हुए हैं. इस साधन का सही उपयोग पुलिस महकमा को सूचनाओं से लैस रख सकता है. इधर, धनबाद में भी 125 चौकीदारों के पद खाली हैं.
सूचना नहीं ‘समझौते’ करा रहे एसपीओ
धनबाद : वर्ष 2001 में पुलिस महकमे की सूचनातंत्र को मजबूती देने के लिए एसपीओ की बहाली हुई. इसके तहत कानून बनाकर 18 से 25 साल के नौजवानों को पुलिस से जोड़ने का काम हुआ. नक्सल और संवेदनशील थानों में इनकी बहाली हुई. लगभग 6000 पद सृजित हुए और वर्तमान में करीब 4100 एसपीओ कार्यरत हैं. पुलिस को सूचना देने की जिम्मेदारी वक्त के साथ बदलती गई. आज थानों में ‘समझौते’ कराने का जिम्मा ऐसे ही ‘ऑफिसर’ उठा रहे हैं. सूचना मिले न मिले लेकिन थानेदारों की कमाई बढ़ाने में इनका भरपूर योगदान होने लगा है.
एसपीओ से महकमा का सौतेला व्यवहार भी
धनबाद : एसपीओ से जब लाभ अर्जित होता है तब तक ठीक है, लेकिन मुखबिरी में यदि उसकी हत्या हो जाये तो विभाग अपने हाथ झाड़ लेता है. झारखंड में आधा दर्जन एसपीओ की हत्या हो गई, लेकिन विभाग ने सिर्फ तीन को पुलिस का सहयोगी माना. चाईबासा के सुंदर स्वरूप दास, लोहरदगा के जागीर भगत और धनबाद के प्रभु दयाल पांडेय इनमें शामिल हैं. शेष को तो विभाग ने गुप्तचर भी नहीं माना. ऐसे में जान जोखिम में देकर सूचना देना, तो मुश्किल है.
एके 47 की गोलियों से किया था छलनी
धनबाद : वर्ष 2017 में धनबाद के हरिहरपुर थाने में बतौर एसपीओ काम करने वाले प्रभु दयाल पांडे को नक्सलियों ने एके 47 की गोलियों से भून दिया था. हत्या की इस वारदात को उनके घर में अंजाम दी गई थी. परिवारवालों को उनकी हत्या का दुख आजीवन सालता रहेगा.
राजभवन के समक्ष चल रहा धरना
धनबाद : चौकीदार संघ की तरफ से पिछले 18 दिन से चौकीदार संघ का धरना जारी है. इनमें रिक्त पदों में बहाली समेत कई अन्य मुद्दे हैं. संघ अध्यक्ष कृष्ण दयाल सिंह कहते हैं कि नए पद तो सृजित नहीं हुए बल्कि स्वीकृत पदों में भी आधे की कमी है, ऐसे में सूचनातंत्र कैसे मजबूत होगा.
अब सिर्फ कोयलाचोर ही थाने के मुखबिर
धनबाद: पहले हर तरह के चोर, उचक्के, छुटभैये थानों की परिक्रमा कर जीवन यापन करते थे. इस कारण हर वर्ग की सूचनाएं थाने तक आती थीं, लेकिन अभी तो सिर्फ कोयलाचोरों की ही थानों में चलती है. बाकी सारे लोग तो अब बाबुओं के ट्रांसफर के इंतजार में ऊंगली गिन-गिन कर अपना दिन जैसे-तैसे काट रहे हैं, ऐसे में सिर्फ कोयला चोरी की ही सूचना पुलिस को मिलती है.
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