- विकास कार्यों को बढ़ावा देने के बदले सीआरपीएफ कैंप बना रही सरकार
- ग्रामीणों और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति
- आदिवासियों की पूजा स्थल जाहेरथान,कबरस्थान पर सीआरपीएफ कैंप का निर्माण
- ग्रामीण नाबालिग लड़कियों, महिलाओं के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ करने की शिकायत
Ranchi: मानवाधिकार संगठनों ने गिरिडीह जिले के नक्सल प्रभावित 16 गांवों का 5 और 6 मार्च फैक्ट फाइडिंग अभियान चलाया. इन गांवों में केंद्र सरकार द्वारा निर्माणाधीन पारा मिलिट्री कैंपों का ग्रामीण कर रहे हैं. विरोध को दबाने के लिये कई तरह के हथकंडे भी अपनाये जा रहे हैं. ग्रामीणों के उपर केस भी दर्ज किये जा रहे हैं. CDRO एवं HRLN ने फेक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट जारी की है. जिसमें कहा गया है सरकार को इलाके में विकास कार्य को तेज करना चाहिए, लेकिन इसके स्थान पर वह सीआरपीएफ कैंप बनाने में लगी है. ग्रामीणों के मानवाधिकारों का हनन मधुबन, डुमरी और पिरटांड थाना क्षेत्र के 16 गांवों में किया जा रहा है.
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क्या है फैक्ट फाइडिंग रिपोर्ट में
जांच के दौरान यह पता चला कि यहां के निवासी मुख्यतः आदिवासी हैं. पूरे क्षेत्र में जंगल, पहाड़ होने के साथ खाद्य- खनिज संपदा से भरपूर है. यहां के मूल-निवासियों के लिए बने जंगल के अधिकार, भूमि अधिकार और ग्रामसभा का अधिकार को भी शुरू से ही सरकार ने अनदेखा किया है. वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत आज तक व्यक्तिगत और सामुदायिक दावा पत्रों का निष्पादन नहीं हुआ है. साथ ही यहां रह रहे स्थानीय निवासियों के लिए ढंग के रोजगार का साधन नहीं हैं. गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा और शिक्षा सुविधा इलाके में नदारद है.
आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक समस्या झेल रहे इन ग्रामीणों का जीवन और भी नरकीय तब बन गया, जब इस क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ सरकार ने पुलिस और सीआरपीएफ अभियान चलाना शुरु किया. लोगों का यह कहना है कि उन्हें यह पता नहीं कि आखिर यहां के निर्दोष आदिवासी ग्रामीणों पर सरकार इस तरह से दमन क्यों कर रही है. जिसके कारण उन्हें और आने वाली पीढ़ी को एक निरंतर भय और आतंक का जीवन जीना पड़ेगा.
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फैक्ट फाइंडिंग टीम ने चिंगियापहरी, टेसफुली, बरियारपुर, जीतपुर, भनपुरा, कारिपाहरी, बेलाथान और ताराटांड़ इलाकों में कुल 16 गांव की महिलाओं और बच्चों समेत ग्रामीणों से जानकारी हासिल की. इस दौरान टीम के समक्ष निम्नलिखित जानकारियां आयीं-
- यौन शोषण – टेसफुली इलाके में सुरक्षा बलों द्वारा एक दुष्कर्म का मामला सामने आया है.
- यौन उत्पीड़न – 7 नाबालिग किशोरियों के साथ भनपुरा में सुरक्षा बलों द्वारा यौन शोषण किया गया.
- फर्जी मुठभेड़ – फर्जी मुठभेड़ कर एक मजदूर की डोलकट्टा में हत्या कर दी गयी.
- हिरासत में मौत – पुलिस हिरासत में पीरटांड थाना के झरहा गांव के निवासी की हत्या कर दी गई.
- हिरासत में मारपीट – तारटांड़ गांव के दो युवकों को पुलिस द्वारा हिरासत में लेकर, एसपी कोठी गिरीडीह में अमानवीय तरीके से मारपीट की गई.
कारीपहरी गांव के एक मनरेगा कर्मी को पुलिस ने हिरासत में लेकर बेरहमी से मारपीट की. उसके मोबाइल, बाइक, बैंक पासबुक और 15 मनरेगा कर्मियों के वेतन सूची पुलिस ने छिन लिया. इस घटना के कारण 15 मनरेगा कर्मियों को 2 हफ्ते का वेतन आज तक नहीं मिल पाया है.
- महिला बच्चे एवं निर्दोष ग्रामीणों के साथ लगभग सभी गांव में मारपीट का मामला सामने आया है. कुछ ग्रामीणों के घरों में भी तोड़फोड़ की गई है. दिन और रात कभी भी समय सुरक्षा बलों द्वारा छापेमारी कर दी जाती है. घरों से पैसा और जेवर लूट लेने की घटना भी हुई है. अकसर छापेमारी के दौरान घरों में रखे फसल और अनाज को भी नष्ट कर दिया जाता है. इसी प्रकार की छापेमारी में कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं रहती हैं. लगभग हर छापेमारी के दौरान नाबालिग लड़कियों, युवतियों और महिलाओं के साथ छेड़खानी और अभद्र व्यवहार किया जाता है.
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- निर्दोष ग्रामीणों पर फर्जी मामले- 6 लोग फर्जी मामलों में अभी जेल में बंद हैं. 2 अज्ञात लोगों पर फर्जी मामले दर्ज हुए हैं. इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. इन जगहों पर यूएपीए और सीएलए का दुरुपयोग किया गया.
जाहेरथान पर किया जा रहा सीआरपीएफ कैंप का निर्माण
फैक्ट फाइंडिंग दल के सामने सभी जगहों से यह बात सामने आई है कि सुरक्षा बलों द्वारा लगातार उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप का विरोध करते हैं तो उनको प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. ग्रामीण सीआरपीएफ कैंप नहीं बल्कि अस्पताल, स्कूल, रोजगार और विकास की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सीआरपीएफ ने उनके पूजा स्थल, कबरस्थान, जाहेरस्थान की जगह जबरन कैम्प का निर्माण करा रही है.