- पांच साल की प्रतिनियुक्ति अवधि हो चुकी है पूरी
- केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में रहते हुए ही रिटायर हो जाएंगे
- ज्योत्सना वर्मा ने बर्खास्त होना मुनासिब समझा, पर झारखंड नहीं आई
- स्मिता चुग और राजीव कुमार भी झारखंड नहीं आए
Ranchi : केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात झारखंड कैडर के आइएएस अफसर झारखंड आना मुनासिब नहीं समझते. फिलहाल टॉप लेवल के आधा दर्जन आइएएस जो केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में हैं. जिनकी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति की पांच साल की अवधि भी पूरी हो चुकी है. नियमतः पांच साल की अवधि पूरी होने के बाद वापस अपने कैडर में योगदान देना होता है. लेकिन ये अफसर अब झारखंड में योगदान नहीं दे पाएंगे. केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात आधा दर्जन अफसर इसी साल रिटायर हो जाएंगे. वहीं झारखंड में आइएएस के 224 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 182 अफसर कार्यरत हैं. 42 पद अब तक रिक्त पड़े हैं.
राज्य सरकार ने पीएम को लिखा था पत्र
पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर कहा था कि झारखंड सरकार को जो केंद्र से एक प्रस्ताव मिला है, जिसमें आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में कुछ संशोधन प्रस्तावित किए गए थे, उसमें झारखंड सरकार ने असहमति जताई थी. पूर्व सीएम ने पीएम को पत्र लिखकर अखिल भारतीय सेवा से जुड़े अधिकारियों को बिना राज्यों की सहमति और एनओसी लिए पदस्थापित करने का विरोध किया था. जबकि केंद्र सरकार ने आईएएस कैडर नियमों में संशोधन प्रस्तावित किया है, जो उसे राज्य सरकारों की आपत्तियों को दरकिनार करते हुए आईएएस अधिकारियों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात करने में सक्षम बनाएगा.
कई अफसरों ने दिल्ली में रहना उचित समझा
कई अफसरों ने प्रतिनियुक्ति में ही रहना मुनासिब समझा. बात करें आइएएस ज्योत्सना वर्मा रे की तो वे केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में गईं, लेकिन झारखंड वापस नहीं आई. कई बार राज्य सरकार ने रिमांडर भी भेजा, लेकिन राज्य सरकार को कोई जवाब नहीं मिला. अंत में ज्योत्सना को सरकार ने बर्खास्त कर दिया. इसी तरह आइएएस डॉ. स्मिता चुग रिटायर हो गईं, लेकिन अपने कैडर में वापस नहीं आईं. राजीव कुमार पांच साल से भी अधिक अवधि से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहे. लेकिन वे झारखंड नहीं आए. इसी तरह टी नंदकुमार और एके चुग ने भी झारखंड के बजाए दिल्ली में ही रहना उचित समझा.
वीआएस लेने में भी आगे रहे अफसर
वीआरएस लेने में भी आइएएस अफसर आगे रहे हैं. अबतक जिन्होंने वीआरएस लिया है, उनमें. मुनिगला, विमल कीर्ति सिंह, जेबी तुबिद, संत कुमार वर्मा और बीके चौहान के नाम शामिल हैं. हालांकि अपर मुख्य सचिव केके खंडेलवाल ने भी वीआरएस के लिए आवेदन दिया था, लेकिन अंतिम समय में उन्होंने अपना आवेदन वापस ले लिया था.
क्या वजह है कि अफसर नहीं आना चाहते झारखंड
- हर बार सिस्टम में बदलाव से परफॉरमेंस पर पड़ता है असर
- झारखंड में काम करने के एवज में नहीं मिल पाता एक्सपोजर
- झारखंड में सुझावों पर भी अमल नहीं होता. गंभीरता से बातों को नहीं सुना जाता
- जल्दी-जल्दी होने वाली ट्रांसफर पोस्टिंग से भी परफॉरमेंस पर पड़ता है असर
- तबादले के कारण नये कामकाज को समझने में एक से डेढ़ माह का लगता है समय
- महत्वपूर्ण निर्णय लेने में होती है कठिनाई
पांच साल से अधिक समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अफसर
- राजीव गौबा : कैबिनेट सेक्रेट्री, सेवानिवृति की तिथिः 30-08-2024
- एनएन सिन्हा : सचिव इस्पात मंत्रालय, सेवानिवृति की तिथिः 31-07-2024
- एमएस भाटियाः चेयरमैन कैबिनेट सेक्रेट्रेरियटः सेवानिवृति की तिथिः 30-09-2024
- एसकेजी रहाटेः सेक्रेट्री मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिसः सेवानिवृति तिथिः 30-04-2024
- सुरेंद्र सिंहः एडिशनल सेक्रेट्री, मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिसः सेवानिवृति तिथिः30-06-2024
- अलका तिवारीः सेक्रेट्री, नेशनल कमिश्न फॉर शिड्यूल ट्राइब
- निधि खरेः एडिशनल सेक्रेट्रीः कंज्यूमर अफेयर्स