Dhanbad : देश की कोयला राजधानी धनबाद में ऊंची इमारतें धड़ल्ले से बन रही हैं, इन भवनों के निर्माण के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र भी मिल जाता है. परंतु इन बहुमंजिली इमारतों में कोई हादसा हो जाए तो उससे निपटने के लिए संसाधन नहीं है. अग्निशमन विभाग भी मात्र तीन मंजिला भवन तक ही पहुंच सकता है.
टेक्निकल कर्मी फंसा तो रांची से आई मशीन
अभी विगत 4 मार्च की ही बात है, आईआईटी-आइएसएम में एक टेक्नीकल कर्मी हाई मास्ट लाइट लगाने के लए 100 फीट ऊंचाई पर ट्रॉली मशीन से चढ़ा. मगर तभी ट्रॉली में खराबी आ गई और वह वही फंस गया, क्योंकि उसको उतारने के लिए धनबाद में कोई व्यवस्था नहीं थी. अग्निशमन विभाग की पहल पर रांची से हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म लेवल मशीन मंगवाई गई और 10 घंटे तक ऊपर फंसे रहने के बाद टेक्नीकलकर्मी को नीचे उतारा जा सका.
अग्निशमन के लिए मात्र 4 दमकल गाड़ियां
एक तरफ धनबाद कोयलांचल तेजी से विकास कर रहा है. मगर किसी हादसे से निपटने के लिए यहां कोई मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. शहर में एक अग्निशमन विभाग है, जिनके पास मात्र 7 वाहन हैं, जिनमें एक रेस्क्यू टेंडर, एक फॉर्म टेंडर तथा एक छोटी गाड़ी है. आग बुझाने के लिए मात्र 4 दमकल हैं, वह भी लगभग 20 वर्ष पुराना. कुल 16 कर्मी हैं, जिनमें मात्र 8 फायरमैन हैं और 4 हवलदार.
अग्निशमन विभाग तीन मंजिला तक ही देता है एनओसी
अग्निशमन विभाग तीन मंजिला भवन का ही एनाओसी देता है. फिर भी 10 मंजिली इमारतें कैसे बन रही हैं, विभाग के पास भी तीन मंजिला वन तक पंहुचने का ही संसाधन है. अगर 8,9 या 10 वीं मंजिल पर कोई हादसा हो जाए तो क्या होगा, इसकी जिम्मेवारी किसकी होगी और रांची से जब तक हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म लेवल मशीन आएगी भी तो तब तक क्या होगा. जिला प्रशासन का भी इस पर ध्यान नहीं है.
आबादी के हिसाब से संसाधन कम : बिनोद कुमार
अग्रिशमन विभाग के प्रभारी बिनोद कुमार सिंह ने लगातार से बात करते हुए कहा कि शहर में आबादी और बिल्डिंग के अनुपात में हम काफी पीछे हैं. दमकल की गाड़ी की कमी है कर्मी की भी. ऊंची इमारत के लिए रांची की तरह धनबाद में भी एक हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म लेवल मशीन जरूरी है. कहा कि अग्निशमन तो सिर्फ तीन मंजिला का ही एनओसी देता है. कहा कि दमकल और कर्मी बढ़ाने के लिए कई बार विभाग को लिख चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
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