Ranchi : वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण विद्यालय लंबे समय तक बंद रहे. अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है. लंबे अंतराल के बाद जिले के सभी सरकारी विद्यालय खुल गये हैं. सभी बच्चों को पुनः विद्यालय में वापस लाने एवं उनकी नियमित उपस्थिति बनाए रखने के लिए झारखंड शिक्षा परियोजना ने बैक टू स्कूल कैंपेन शुरू किया है. देश के जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज कहते हैं कि एक माह का यह कैंपेन झारखंड के गरीब और ग्रामीण बच्चों के लिए नाकाफी है. इसके लिए ठोस रणनीति के तहत कार्य करना जरूरी है. बच्चों के स्कूली शिक्षा प्रणाली से लंबे समय तक दूर रहने के कारण बड़े पैमाने पर निरक्षरता की स्थिति बन गई है.
बच्चों ने एक साधारण वाक्य पढ़ने की क्षमता खो दी है
ज्यां द्रेज कहते हैं कि महामारी के दैरान शिक्षा को लेकर ग्रामीण इलाके के बच्चों को जो नुकसान हुआ है, उसकी कैंपेन से भरपाई नहीं की जा सकती है. इसके लिए झारखंड सरकार को पहल करनी चाहिए. सरकार को हमने कुछ सुझाव दिया था. जिसमें झारखंड के ग्रामीण इलाकों में स्कूली शिक्षा के संकट को बताया था. आज, जब हम ग्रामीण झारखंड के गरीब आदिवासी और दलित परिवारों में उस उम्र के बच्चों का सर्वेक्षण करते हैं, तो पाते हैं कि उनमें से अधिकांश ने एक साधारण वाक्य पढ़ने की क्षमता खो दी है.
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क्या कहती हैं राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी
लंबे समय तक स्कूल बंद रहने से बच्चों का लर्निंग लॉस हुआ है. इसको लेकर सरकार की ओर से कदम उठाया गया है. ज्ञानसेतु बुक सीरीज के माध्यम से लर्निंग प्रक्रिया को मजबूत करने की पहल की जा रही है. वहीं सिलेबस में भी कटौती की गई है. अपना सिलेबस पूरा करने के लिए सभी कक्षा के बच्चों को 3 महीने तक का एक्सटेंशन भी दिया गया है. आने वाले समय में अनुभव के आधार पर और भी प्रयास किये जायेंगे.
क्या होगा बैक टू स्कूल कैंपेन में
इस कैंपेन की कुल अवधि 30 दिनों की है. कैंपेन 5 अप्रैल 2022 से 4 मई 2022 तक चलाया जायेगा. इस अभियान में विशेष रूप से प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने का सरकार की ओर से प्रयास किया जा रहा है. इसके तहत माता-पिता, अभिभावक, शिक्षक एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के आपसी समन्वय स्थापित कर लक्ष्य प्राप्ति का प्रारूप तैयार किया गया है. लेकिन सरकार का यह प्रयास कितना सफल होगा, यह आने वाला समय ही बतायेगा.
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कैंपेन के तहत ये कार्य किये जायेंगे
- जिला स्तर पर जनप्रतिनिधि, सभी विभागों के जिला स्तरीय पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, क्षेत्र शिक्षा पदाधिकारी एवं प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी, बीआरपी/ सीआरपी, गैर सरकारी संस्थाओं के प्रतिनिधि, पीआरआई के प्रतिनिधि की बैठक कर ई-विद्यावाहिनी के माध्यम से प्राप्त बच्चों के नामांकन एवं उपस्थिति की समीक्षा की जाएगी.
- जिला स्तर पर बच्चों के उच्च कक्षाओं में ट्रांजिशन की समीक्षा की जायेगी. इसके लिए सभी प्राथमिक विद्यालयों का मध्य विद्यालयों, मध्य विद्यालयों का उच्च विद्यालयों के साथ मैपिंग करने की कार्रवाई की जायेगी, ताकि कक्षा 5 के बच्चे को कक्षा 6 में, कक्षा 8 के बच्चों को कक्षा 9 में एवं कक्षा 10 के बच्चों को कक्षा 11 में जाने में कोई परेशानी न हो.
- विद्यालय से बाहर रहने वाले बच्चों (आउट ऑफ स्कूल चिल्ड्रेन), अप्रवासी परिवार के बच्चों, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों, कोरोना प्रभावित बच्चों आदि को “DAHAR APP” के माध्यम से चिन्हित कर उनका नामांकन सुनिश्चित करने की कार्रवाई की जायेगी.
- आंगनबाड़ी केंद्रों एवं निकटतम विद्यालयों के बीच विभागीय समन्वय स्थापित करने की पहल की जायेगी.
- निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 12 (1) सी के तहत निजी विद्यालयों के प्रारंभिक कक्षाओं में जरूरतमंद बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन सुनिश्चित कि जायेगा.
- सभी विद्यालयों में आवश्यकतानुसार रंग-रोगन, वर्ग कक्षाओं की मरम्मत, शौचालय एवं पेयजल की समुचित व्यवस्था की जायेगी एवं सामुदायिक जागरूकता पर आधारित पोस्टर को प्रखंड स्तर तक उपलब्ध कराया जायेगा.
- जिला परियोजना कार्यालय में एक स्कूल रुमाल कार्यक्रम की संचालन अवधि तक कोषांग का गठन करना है, जो गूगल लिंक के माध्यम से प्रतिदिन बच्चों की उपस्थिति एवं गतिविधि का प्रतिवेदन तैयार करेगा. इसकी सूचना जिले एवं राज्य परियोजना कार्यालय को उपलब्ध कराया जायेगा.
- “स्कूल राऊर, 2022” के आयोजन हेतु प्रखंड स्तर पर कार्यक्रम में सहायता की रूपरेखा तैयार कर प्रखंड एवं संकुल स्तर के कर्मियों को शामिल करते हुए उनकी जिम्मेवारी सुनिश्चित की जायेगी. साथ ही उन्हें जिला एवं प्रखंड स्तर के प्रशासनिक पदाधिकारियों द्वारा कम से कम 02 विद्यालयों का भ्रमण कर इस अभियान को गति प्रदान करने का निर्देश दिया गया है.
- माता-पिता एवं अभिभावकों को अपने बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने हेतु अपील करना तथा शत-प्रतिशत उपस्थिति वाले विद्यालयों के प्रधानाध्यपक एवं विद्यालय प्रबंध समिति को सम्मानित करना.
- विद्यालय अवधि में कोई भी बच्चा विद्यालय से बाहर न रहे, इसके लिए व्यापक पहल की जायेगी. साथ ही अभियान का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने एवं जनसाधारण को कार्यक्रम से जोड़ने की व्यवस्था की जायेगी एवं विभिन्न स्तरीय कार्यक्रमों के संचालन में कोविड-19 के मानकों का अनुपालन सुनिश्चित किया जायेगा.
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