Saurav Singh
Ranchi : झारखंड में जिस विभाग के पास आपराधिक समेत अन्य मामलों में साक्ष्य जुटाने की जिम्मेदारी है, वो नेतृत्व विहीन चल रहा है. वो है, झारखंड का एफएसएल (फॉरेंसिक साइंस लैब) विभाग, जहां काफी लंबे समय से डायरेक्टर का पद खाली चल रहा है. गौरतलब है कि किसी भी आपराधिक समेत अन्य घटनाक्रम को वर्कआउट करने में एफएसएल रिपोर्ट बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. एफएसएल से मिलने वाली वैज्ञानिक तथ्यों वाली रिपोर्ट को झुठलाया नहीं जा सकता. उसी रिपोर्ट के आधार पर केस में मजबूती आती है.
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FSL निदेशक पद पर सीधी नियुक्ति की फाइल लौटा दी गई थी
एसएफएसएल के निदेशक पद पर सीधी भर्ती से बहाली संबंधित फाइल को झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने 28 सितंबर 2022 को गृह विभाग को वापस कर दिया था. जेपीएससी ने टिप्पणी की थी कि त्रुटियों के निराकरण के बाद ही यह प्रक्रिया आगे बढ़ेगी. राज्य सरकार ने एफएसएल के निदेशक पद पर सीधी भर्ती से बहाली के लिए जेपीएससी से पत्राचार भी किया था. जेपीएससी ने कुछ बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए गृह विभाग को फाइल वापस कर दी थी. साथ ही जेपीएससी की ओर से तर्क दिया गया था कि इस पद के लिए संबंधित नियमावली में उम्र सीमा व चयन की प्रक्रिया का उल्लेख नहीं है. त्रुटि निराकरण के बाद ही जेपीएससी इस दिशा में आगे बढ़ेगा. एफएसएल के निदेशक का पद फिलहाल रिक्त है. 15 सितंबर 2022 तक पूर्व निदेशक एके बापुली का कार्यकाल था. उनकी कार्यावधि विस्तार के लिए भी फाइल सरकार को बढ़ी है, लेकिन अब तक उक्त फाइल पर विचार नहीं हो सका.
क्या होता है FSL का काम
– एफएसएल एक सरकारी विभाग है.
– आपराधिक मामले की जांच करता है एफएसएल.
– एफएसएल अपराधों के खुलासों में अहम भूमिका निभाता है.
– एफएसएल में क्राइम के साक्ष्यों की जांच की जाती है.
– क्राइम के एविडेंस कुछ भी हो सकते हैं.
– एफएसएल में क्राइम बायोलॉजिकल एविडेंस को भी परखा जाता है.
– बायोलॉजिकल में ब्लड, विसरा और अन्य सैंपल लिये जाते हैं.
– सेरोजिकल जांच से भी क्राइम के एविडेंस को पुख्ता किया जाता है.
– इसमें घटना स्थल से जुटाये साक्ष्य जैसे बाल, कपड़े या अन्य चीजों को परखा जाता है.
– एफएसएल में क्राइम के इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस पर भी काम किया जाता है.
झारखंड का हर जिला होगा फॉरेंसिक लैब से लैस
कई बार घटना के बाद फॉरेंसिक जांच शुरू होने में देर होती है. फॉरेंसिक टीम के पहुंचने तक साक्ष्य हट भी जाते हैं. लेकिन अब झारखंड में इसके लिए नयी व्यवस्था शुरू होने जा रही है. अब घटनास्थल से फॉरेंसिक नमूने एकत्र करने और प्रारंभिक व कुछ सामान्य जांच के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा. सभी जिलों व राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला (एसएफएसएल) के लिए 25 फॉरेंसिक लैब वैन की खरीद की जाएगी. साथ ही फॉरेंसिक जांच से जुड़े अन्य आवश्यक उपकरण की भी खरीदारी होगी. झारखंड सरकार के गृह विभाग ने इसपर अपनी स्वीकृति दे दी है. खरीदारी के लिए गृह विभाग ने 24.29 करोड़ रुपया आवंटित किया है. यह तब संभव होने जा रहा है, जब हाईकोर्ट ने पिछले दिनों धनबाद के जज उत्तम आनंद की हत्या के बाद कड़ी टिप्पणी की थी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान राज्य विधि विज्ञान प्रयोगशाला के विरुद्ध टिप्पणी की थी.
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