Pravin Kumar
Ranchi: झारखंड में मनरेगा योजनाओं का सोशल ऑडिट नहीं कराये जाने से बिचौलियों की चांदी हो गई है. राज्य में 9 महीने से मनरेगा योजनाओं की सोशल ऑडिट नहीं हुई है. मनरेगा योजनाओं में वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन के कई उदहारण मौजूद हैं. 3254 पंचायतों में किये गये सोशल ऑडिट में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी का मामला उजागर हुआ है.
होना चाहिए नियमित ऑडिट
मनरेगा कानून के प्रावधान के अनुसार योजनाओं का नियमित सोशल ऑडिट किया जाना है, जो कि राज्य में बंद है. मनरेगा की धारा 17 (2) के अनुसार, ग्राम सभा, ग्राम पंचायत (जीपी) में ली गई योजना के तहत सभी परियोजनाओं का नियमित सामाजिक ऑडिट करने का प्रावधान है. इसके अलावा, मनरेगा की धारा 17 (3) में कहा गया है कि सोशल ऑडिट के संचालन के उद्देश्य से ग्राम पंचायत सभी प्रासंगिक दस्तावेज उपलब्ध कराएगी, जिसमें मस्टर रोल, बिल, वाउचर, माप की किताबें, मंजूरी आदेश की प्रतियां और ग्राम सभा से संबंधित खाता और कागजात की अन्य पुस्तकें शामिल हैं.
राज्य के 3254 पंचायतों में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी का मामला उजागर
राज्य में महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) योजनाओं की सोशल ऑडिट बंद है. सोशल ऑडिट बंद रहने की वजह से योजनाओं में बिचौलियों की पैठ बढ़ती जा रही है.
वर्ष 2018- 19 से 2021- 22 तक 3254 पंचायतों में ही सोशल ऑडिट एक बार की गई. जिसमें 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी सामने आई. मनरेगा कानून के प्रावधान के अनुसार धारा 17 (2) के तहत ग्राम सभा, ग्राम पंचायत (जीपी) के भीतर ली गई योजनाओं का सामाजिक ऑडिट होना चाहिए.
किस वर्ष कितने पंचायतों में हुई सोशल ऑडिट
वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 4403 पंचायतों में चल रहे मनरेगा योजना में से 1831 पंचायतों में सोशल ऑडिट हुआ. वहीं वर्ष 2019—20 में 1274 पंचायतों में चल रहे मनरेगा योजनाओं का सोशल ऑडिट किया गया. इस दौरान वैसे पंचायतों में सोशल ऑडिट किया गया, जहां पूर्व में ऑडिट नहीं हुआ था. वहीं 2020-21 के दौरान मात्र 149 पंचायतों में चल रहे मनरेगा योजनाओं का सोशल आडिट हो पाया. जबकि 1139 पंचायतो में सोशल ऑडिट किया जाना था. वहीं चालू वित्तीय वर्ष में मनरेगा योजनाओं का सोशल ऑडिट नहीं किया जा सका है.
किसी भी पंचायत में वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन का केंद्र है मनरेगा योजना
सूबे में 2016 से 21 के बीच मनरेगा योजना के तहत सिचाई के लिये 56,191 सिचाई कूप निर्माण के लिये मनरेगा योजना से राशि निर्गत किया गया. जिसमें मात्र 4844 कूप का निर्माण कार्य पूरा हो सका है. मनरेगा योजनाओं में संचालित सभी कार्यों में वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन के कई उदहारण हैं. गत वर्ष बंद होने के बाद से मनरेगा योजना लूट का केंद्र बना हुआ है.
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2020 में झामुमो और कांग्रेस के चार विधायकों ने ऑडिट का किया था विरोध
झामुमो और कांग्रेस के चार विधायकों ने मनरेगा की सोशल ऑडिट का विरोध किया था. जिसके कुछ दिन के बाद पुन:सोशल ऑडिट 2020-21 के दौरान 1139 पंचायतों में किये जाने का पत्र ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा निकाला गया. इस दौरान 149 पंचायतों में सोशल ऑडिट कार्य पूरा होने के बाद पुन: ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा बंद करा दिया गया.
रजिस्ट्रेशन का फाइल विभाग में लटका
प्राप्त सूचना के अनुसार सोशल ऑडिट के लिए अलग से संस्था रजिस्ट्रेशन कराने का निर्देश विभागीय मंत्री के द्वारा दिया गया था. इसके बावजूद विभाग में साल भर से यह फाइल एक टेबल से दूसरे टेबल घूम रही है. संस्था के सदस्यों का नाम तय नहीं होने के कारण रजिस्ट्रेशन नहीं कराया जा सका है. विभागीय मंत्री के द्वारा जल्द रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरा करने का निर्देश भी दिया गया है.
क्या कहते हैं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम
सोशल ऑडिट में झारखंड स्टेट लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाइटी के लोगों के शामिल होने और कई तरह की शिकायत मिलने के कारण रोका गया था. साथ ही झारखंड स्टेट लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाइटी से अलग एक सरकारी संस्था बनाने के लिये विभाग के अधिकारियों को कहा गया था. लेकिन अधिकारी इस काम को समय पर पूरा नहीं किये. जिसके कारण सोशल ऑडिट की प्रक्रिया रूकी हुई है. 2021-22 के दौरान 500 पंचायतों में चल रही मनरेगा योजनाओं की सोशल ऑडिट कराये जाने का विभाग को निर्देश दिया है.
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