NewDelhi : अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है. कच्चा तेल (ब्रेंट) 86 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया है. इसी बीच इराक के तेल मंत्री एहसान अब्दुल जब्बारी का बयान सामने आया है कि ब्रेंट का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. जान लें कि ब्रेंट का भाव पिछले एक साल में दोगुना हो चुका है. तेल उत्पादक देश OPEC ने भी ऐसा संकेत दिया है कि आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और आग लग सकती है.
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OPEC देश दिसंबर तक तेल उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में नहीं
वर्तमान में भारत में पेट्रोल 118.59 रुपये लीटर पहुंच चुका है. राजस्थान के गंगानगर में आज पेट्रोल इसी रेट पर बिक रहा है. दिल्ली में पेट्रोल 106.54 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 112.44 रुपये लीटर भाव है. मुंबई में डीजल 103.26 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि दिल्ली में डीजल का रेट 95.27 रुपये प्रति लीटर है.
इराक के तेल मंत्री के बयान के बाद क्रूड की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है. वहीं ओपेक ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने पर विचार नहीं है. यही नहीं, ठंड बढ़ने के साथ ही क्रूड की मांग में इजाफा होगा. लेकिन OPEC देश दिसंबर तक तेल उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. फिलहाल 7 साल के ऊंचाई पर क्रूड के भाव नजर आ रहे हैं.
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कच्चे तेल में उछाल से भारत का तेल आयात बिल कई गुना बढ़ गया
इधर तेल की बढ़ती कीमतों पर ऑयल एंड गैस इंडस्ट्री के दिग्गजों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा की है. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते सिर्फ डीजल-पेट्रोल ही नहीं, बल्कि बहुत सारी अन्य चीजें भी महंगी हो रही हैं. बता दें कि विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 फीसदी कच्चा तेल मध्य पूर्व और खाड़ी देशों से खरीदता है. हाल के दिनों में कच्चे तेल में उछाल से भारत का तेल आयात बिल कई गुना बढ़ गया है. इससे कोरोना संकट के बीच सरकार की परेशानी बढ़ी है.
भारत अपनी जरूरत का कच्चा तेल इराक, अमेरिका और सऊदी अरब से आयात करता है. सऊदी जहां भारत के लिए पारंपरिक तेल निर्यातक देश रहा है. फिलहाल सऊदी अरब, रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े तेल सप्लायर्स हैं.
मांग बढ़ रही है, पर उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं
पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सेरा वीक के इंडिया एनर्जी फोरम में कहा थी कि तेल की मांग और ओपेक प्लस (OPEC+) जैसे उत्पादकों की तरफ से होने वाली आपूर्ति में अंतर है. ऐसे में उत्पादन बढ़ाये जाने की जरूरत है. अप्रैल, 2020 में डिमांड घटने से कच्चे तेल का भाव 19 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था.
तब तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) व रूस सहित अन्य सहयोगी देशों ने उत्पादन घटा दिया था. अब दुनियाभर में ईंधन की मांग तेजी से बढ़ रही है. बावजूद इसके ओपेक व सहयोगी देशों को उत्पादन बढ़ाना मंजूर नहीं.