Chatra: एनआईए द्वारा ब्लैकलिस्टेड टीपीसी या उसके संबंधियों के लोडर को पैसे लेकर चलाया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, टंडवा स्थित आम्रपाली कोल परियोजना में चल रहे टीपीसी उग्रवादियों के रिश्तेदारों के लोडर को ब्लैकलिस्टेड किया गया था. एनआइए के द्वारा ब्लैकलिस्टेड किए जाने के बाद भी लोडर चल रहे हैं. जिनमें से कई ऐसे भी लोडर का फिटनेस टैक्स और इंश्योरेंस भी फेल हैं. ऐसे लोडर को कोल परियोजना में चलाने के एवज सीसीएलकर्मी के द्वारा प्रत्येक हर महीने एक लोडर 50 हजार रुपया ली जाती है.
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इन लोगों के चल रहे हैं लोडर
विनोद राणा, पारस कुमार साव (पार्टनर गणेश गंझू), पंकज साव (ब्रजेश गंझू का साला), अमन भोक्ता (आक्रमण का भाई), जनता भोक्ता (कोहराम का साला), संतोष भोक्ता (ब्रजेश का भगिना), उमेश यादव, सुबोध कुमार साव(बृजेश का दोस्त), हुलास उमेश, सुभान मियां, छोटू सिंह और अर्जुन गंझू (आक्रमण का रिश्तेदार) का नाम शामिल है.
NIA ने टीपीसी उग्रवादियों पर दर्ज किया है केस
चतरा के टंडवा प्रखंड में स्थित मगध और आम्रपाली कोल परियोजनाओं पर टेरर फंडिंग के आरोप लगे थे. टंडवा थाना में साल 2018 में एक केस दर्ज किया गया था, जिसे बाद में एनआइए ने टेकओवर किया. जब जांच शुरू की, तो मालूम हुआ कि सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल), चतरा जिला की स्थानीय पुलिस, उग्रवादी संगठन और शांति समिति की मिलीभगत से लेवी वसूली का एक गिरोह संचालित हो रहा है.
एनआइए ने सीसीएल के एक कर्मचारी सुभान खान सहित 14 आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल की. इसमें एनआइए ने बताया कि उग्रवादी संगठन टीएसपीसी को लेवी देने के लिए ऊंची दर पर मगध व आम्रपाली कोल परियोजना से कोयला ढुलाई का ठेका लिया गया. टीएसपीसी के उग्रवादी आक्रमण जी की अनुशंसा पर ट्रांसपोर्टर सुधांशु रंजन उर्फ छोटू सिंह को ठेका मिला. ट्रांसपोर्टेशन से मिलने वाली राशि का एक बड़ा हिस्सा टीएसपीसी को मिलता था. इस मामले में एनआईए ने टीपीसी के उग्रवादी और उसके सहयोगियों पर मामला भी दर्ज किया था.
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