- छोटी-मोटी शरारतों और अभिभावकों द्वारा समय पर फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को फेल करना या स्कूल से निकालने जैसी सजा को सभी ने किया खारिज
- छात्रों को स्कूल से निकालना गलत
Ranchi : स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उनकी छोटी-मोटी शरारतों और अभिभावकों द्वारा समय पर फीस जमा नहीं करने के कारण स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों को फेल करना या स्कूल से निकालने जैसी सजा को सभी ने सिरे से खारिज किया है. निजी स्कूल के संचालकों, शिक्षकों एवं अभिभावकों ने इसे गलत करार दिया है. इनका कहना है कि परीक्षा में फेल होने पर छात्र-छात्राओं को स्कूल से निकालना गलत है. मालूम हो कि बच्चों को जिम्मेदारी पूर्वक सही या गलत की शिक्षा देना अभिभावक और शिक्षकों का दायित्व है. इस लिहाज से स्कूल को अपना दायित्व समझना चाहिए, साथ ही अभिभावकों को भी इस मामले में लगातार प्रेरित करने की जरूरत है ताकि वे समय पर स्कूल की फीस जमा करे और बच्चों को अच्छा संस्कार दे. छात्र को स्कूल से निकाल देना समस्या का समाधान नहीं होता. छात्रों को स्कूल भेजने का उद्देश्य उनकी बेहतर शिक्षा और भविष्य निर्माण का होता है. ऐसी स्थिति में स्कूल प्रबंधक,शिक्षक और अभिभावकों का प्रयास छात्रों के भविष्य निर्माण के लिए होना चाहिए. शुभम संदेश की टीम ने इस संदर्भ में विभिन्न जिलों के स्कूल प्रबंधक, प्राचार्य, शिक्षक और अभिभावकों से बातचीत की है. पेश है रिपोर्ट.
टैगोर सोसाइटी हाई स्कूल से टीसी देने के मामले में परिजनों से बातचीत
पिंकी पांडेय, आयुष कुमार की मां
आयुष कुमार कक्षा 6बी का छात्र हैं. उसे स्कूल से यह कहकर टीसी दिया गया था कि उसने स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है. यह घटना जनवरी माह की है. आयुष ने अपने कक्षा के एक छात्र के साथ शर्त लगाई थी. इस दौरान उससे खिड़की का कांच टूट गया था और वह घायल भी हुआ. इस मामले में अब जाकर उसे टीसी दिया गया है. उसने सॉरी भी कहा और आगे से ऐसी गलती नहीं करने की भी बात कही, पर प्रबंधन ने एक न सुनी.
रौनक यास्मीन, रमशा की मां
रमशा रियाज कक्षा 9वीं की छात्रा हैं. वह तीन विषय में फेल है और बाकी विषयों में सामान्य अंक के साथ पास हुई है. शुरु से ही रमशा पढ़ने में कमजोर रही है, पर स्कूल की ओर से उसपर ध्यान नहीं दिया गया. शायद इसलिए वह फेल हो गई. अब प्रबंधन की ओर से उसे टीसी दे दिया गया है. अब रमशा के अभिभावक एडमिशन के लिए दूसरे स्कूल की तलाश कर रहे हैं. अगर टैगोर सोसाइटी हाई स्कूल में ही पढ़ाई के लिए दोबारा एडमिशन हो जाए तो अच्छा होता.
आदिल्हा (छात्रा)
मैं टैगोर सोसाइटी हाई स्कूल में 8वीं की छात्रा हूं. पूर्व में स्कूल द्वारा मौखिक रूप से बताया गया था कि एक विषय में फेल होने से उसे निकाल दिया जायेगा. मैं 11 विषयों में से 7 विषयों में फेल हूं. अगर प्रबंधन फिर से एक मौका देता तो बेहतर होता. मेरी कोशिश आगे बेहतर रुप से पढ़ाई करने की हैं. इस स्कूल से मैं पूरी तरह बाकिव हूं. यहां पढ़ाई करने में मुझे मन भी लगेगा. साथ ही मैं चाहती हूं कि मेरी आगे की पढ़ाई इसी स्कूल से हो.
उमेश कुमार, आयुष के पिता
बेटे आयुष कुमार को नर्सरी कक्षा से ही टैगोर सोसाइटी हाई स्कूल में पढ़ा रहे हैं. अब वह 8वीं कक्षा में है. स्कूल की ओर से यह नहीं बताया गया था कि फेल होने पर स्कूल से निकाल दिया जायेगा. वह पढ़ने में भी काफी तेज रहा है. पर इस बार वह 7 विषयों में फेल हो गया है. स्कूल से 60 दिनों का समय मिलने की सूचना पर वह घर में पहले से ज्यादा पढ़ाई कर रहा है. इसके अलावा ट्यूशन भी जाता है. बेटे को उसी स्कूल में पढ़ाएंगे.मेरे बेटे को भी इस स्कूल में पढ़ाई करने में सहूलियत होगी.
किसी भी बच्चे से साथ बुरा व्यवहार नहीं होना चाहिए : प्रिंसिपल मनीषा तिवारी
रांची के वीवीपीएस की प्रिंसिपल मनीषा तिवारी कहना है कि स्कूल हो या घर किसी भी बच्चे के साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चहिए. बच्चों की गलती या नादानी के लिए पहले उनसे बात करने की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि बच्चे आने वाले कल के भविष्य हैं. ऐसे में उनके साथ अच्छा बर्ताव करना शिक्षक और परिवार वालों का काम है. कम उम्र में बच्चों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे बच्चे वैसा ही सीखेंगे. इसलिए सबसे पहले बच्चों की मानसिकता समझने की जरुरत है.
बच्चे से साथ गलत तरीके से पेश आना अपराध है : प्रिंसिपल रेखा नायडू
रांची के मनन विद्या मंदिर की प्रिंसिपल रेखा नायडू ने कहा कि जमशेदपुर में हुए मामले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन कभी भी किसी भी बच्चे के साथ गलत स्वभाव एक अपराध है. किसी भी स्कूल या घर कहीं भी बच्चों के साथ गलत व्यवहार करना सही नहीं है. हमें बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चें हमसे अच्छा सीख सकें.उन्होंने कहा कि वे हमेशा ये सलाह देती है कि बच्चों के साथ एक कम्युनिकेशन होना बहुत जरुरी है, ताकि उनके साथ एक फ्रेंडली व्यवहार किया जाए और उनकी बातों को समझा जाए.
बच्चे फेल मतलब स्कूल के प्रिंसिपल और टीचर भी फेल : अशोक कुमार
राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डीएवी पब्लिक स्कूल हजारीबाग के प्राचार्य अशोक कुमार कहते हैं कि निजी स्कूलों में फेल करने या फीस समय पर नहीं जमा कर पाने या छोटी-मोटी शरारत करने के कारण बच्चों को स्कूल से निकालना कहीं से भी जायज नहीं है. अगर बच्चे स्कूल में फेल करते हैं, तो इसके लिए स्कूल प्रबंधन की पूरी जिम्मेवारी बनती है. बच्चे फेल मतलब प्रिंसिपल और टीचर भी फेल. उनके स्कूल में दो-दो सत्र से कई बच्चों के फीस जमा नहीं हुए.
फेल होने पर बच्चों को स्कूल से निकालना उचित नहीं : सोनाक्षी सिन्हा
शोभा ज्ञान पब्लिक स्कूल हजारीबाग की प्रिंसिपल मीनाक्षी सिन्हा कहती हैं कि फेल होने पर बच्चों को स्कूल से निकालना उचित नहीं है. स्कूल में बच्चों की एक लंबी अवधि गुजरती है. बच्चे हैं, तो शरारत करेंगे ही.बच्चों को सुधारने और सही मार्ग दिखाने के लिए उन्हें स्कूल भेजा जाता है. अगर स्कूल से बच्चे को निकाल दिया जाए, तो वह राह भटक जाएंगे. बच्चों को फेल होने का मौका ही नहीं देना चाहिए. बच्चों को सही ढंग से पढ़ाने और उन्हें मेहनत करने के लिए प्रेरित करने से वह फेल नहीं होंगे.
फेल होने पर बच्चे में पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी जगाना चाहिए : मोनिता कुमारी
ग्रीन गोल्ड पब्लिक स्कूल की प्राचार्या मोनिता कुमारी कहती हैं कि फेल होने पर बच्चों को स्कूल से निकालना अन्याय है. पहले तो यह चिंतन और मंथन का विषय है कि बच्चे फेल कैसे होते हैं. अगर उन्हें सही तरीके से पढ़ाया जाए, उनमें पढ़ाई के प्रति दिलचस्पी जगाई जाए, तो बच्चे फेल हो ही नहीं सकते. उसके बाद भी बच्चे फेल हो जाते हैं तो उन्हें मौका देना चाहिए. पुरानी कक्षा में रिपीट करें, लेकिन स्कूल से कैसे निकाल सकते हैं. स्कूल से बच्चों को निकालना समस्या का समाधान नहीं है.
फेल होने वाले बच्चों को हटाना समाधान नहीं है : प्रिंसिपल विपिन सिन्हा
इंदिरा गांधी मेमोरियल स्कूल के प्रिंसिपल विपिन सिन्हा कहते हैं कि फेल होने पर बच्चों को स्कूल से हटाना समस्या का समाधान नहीं है. बच्चों क्यों फेल हुए, इस पर स्कूल प्रबंधन को आत्ममंथन करने की जरूरत है. बच्चे अगर शरारत करते हैं, तो यह तो उनका स्वभाव है. कोई अभिभावक वक्त पर फीस नहीं दे रहे हैं, तो उनके बच्चे का नाम काट देना भी उचित नहीं है. किसी भी हाल में यह नहीं होना चाहिए. बच्चों को सुधारना स्कूल प्रबंधन की जिम्मेवारी है.
निकालना गलत,बच्चों में सुधार का प्रयास करना चाहिए : प्राचार्य सुधा पांडे
देवघर के मिश्रा रेसीडेंसी स्कूल के प्राचार्य सुधा पांडे का कहना है कि बच्चे तो नादान होते ही हैं. छात्रों को स्कूल से निकालने के बजाय स्कूल प्रशासन को इसमें सुधार लाने का सार्थक प्रयास करना चाहिए, ताकि बच्चे गलती की पुनरावृति न करें. अभिभावकों को भी समय समय पर फीस भुगतान करने के लिए गंभीर होना चाहिए. भोजन की तरह शिक्षा भी मूलभूत जरूरत है. स्कूल फीस पर ही स्कूल के शिक्षकों के वेतन से लेकर पूरी व्यवस्था निर्भर है.
फेल होने पर स्कूल दोषी,इसका समाधान होना चाहिए : प्राचार्य सुबोध कुमार
सुबोध कुमार झा, देवघर सेंट्रल स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि अगर कोई छात्र परीक्षा में फेल होता है तो विद्यालय अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकता है. समुचित मार्गदर्शन की व्यवस्था करना विद्यालय की जिम्मेवारी होती है. अनुशासनहीनता के कारण बच्चों को विद्यालय से बाहर करना एक अपराध माना जा सकता है. विद्यालय आत्मचिंतन कर अविभावकों के सहयोग से सकारात्मक भाव से बच्चे को मुख्य धारा में लाने का काम करे.
शरारत या फेल होने पर स्कूल से निकालना गलत : प्राचार्य रविशंकर शाह
रविशंकर शाह, सर्वोदय विद्यालय के प्राचार्य कहते हैं कि अगर बच्चे फेल होते हैं तो स्कूल जिम्मेवार है.फेल होने पर बच्चों को स्कूल से निकालना किसी भी तरह से सही नहीं है. लेकिन शरारत और फीस जमा न करने पर बच्चों को स्कूल से निकालना गलत नहीं है. स्कूल की व्यवस्था फीस पर ही निर्भर करता है. शिक्षकों से लेकर स्कूल में कार्यरत सभी कर्मचारियों को बच्चों की फीस से ही वेतन भुगतान किया जाता है. कुछ अभिभावक आदतन जानबूझकर समय पर फीस जमा नहीं करते हैं जो गलत है.
अभिभावक, शिक्षक, छात्र तीनों मिलकर प्रयास करें : प्रसनजीत कर्मकार, विद्यालय प्रबंधक
प्रसनजीत कर्मकार, विद्यालय प्रबंधक, संत नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर घाटशिला का कहना है कि बच्चों को विद्यालय में कक्षा नर्सरी से लेकर आठवीं तक फेल नहीं किया जाता है, उन्हें प्रमोट करना ही पड़ता है. कक्षा नौवीं के छात्र यदि फेल करते हैं तो रीटेस्ट लेकर उन्हें पास कराने का हर संभव प्रयास विद्यालय के शिक्षक करते हैं, यदि बच्चे सभी विषय में फेल हो जाते हैं तो उन्हें प्रमोट नहीं किया जा सकता है. स्कूल से निकालना कहीं से भी उचित नहीं है. अभिभावक, शिक्षक व छात्र तीनों मिलकर बेस तैयार करें ताकि बेहतर से बेहतर रिजल्ट हो सके.
निकालना गलत है, बच्चों की काउंसलिंग कर पढ़ाई के लिए प्रेरित करें : प्रिंसिपल शशिभूषण पांडेय
लातेहार प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, लातेहार के प्रेसिडेंट सह चिल्ड्रेन कान्वेंट स्कूल के प्रिंसिपल शशिभूषण पांडेय का कहना है कि परीक्षा में फेल होने पर स्कूल प्रबंधन के द्वारा छात्रों को स्कूल से निकाल देना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. ऐसा कहीं कोई प्रावधान नहीं है कि फेल होने पर उन बच्चों को स्कूल से निकाल दिया जाये. होना तो यह चाहिए कि उन बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें पढ़ाई के लिए प्रेरित करना चाहिए. परीक्षा में फेल होने के लिए स्कूल प्रबंधन भी जिम्मेवार है. कमजोर बच्चों पर स्कूल में अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए.
बाल-मन की कोमलता व संवेदनशीलता का ख्याल जरूरी : प्राचार्य डॉ.एएस गंगवार
डॉ.एएस गंगवार, प्राचार्य, डीपीएस बोकारो का कहना है कि शरारतें तो बचपन की पहचान है, परंतु यह अत्यधिक भी न हो जाय. मामूली गलतियों पर उन्हें स्कूल से सीधे निकाल देना कतई सही नहीं. शरारत की प्रकृति के मुताबिक उन्हें बागवानी, निर्धन बच्चों की सेवा, पुस्तकालय-संधारण, लेखन, संभाषण जैसे सृजनात्मक कार्यों में लगाया जाना चाहिए. परीक्षा में फेल होने या समय पर फीस जमा न कर पाने की स्थिति में अभिभावकों को हमेशा अवसर मिलने चाहिए. बच्चों को किसी भी परिस्थिति में हतोत्साहित नहीं करना चाहिए.
स्कूल बच्चों को ऐसी शिक्षा दें कि उनके फेल होने की नौबत ही न आए : मुरारी सिंह
कोडरमा के झुमरीतिलैया स्थित जैन विद्यालय के मुरारी सिंह का कहना है कि यह एक चैरिटेबल संस्था है, यहां बच्चों को लाड प्यार से समझा कर बढ़ाया जाता है. उन्हें उनकी गलतियों पर इसको स्कूल से निकाला नहीं जाता है. सबसे बड़ी बात यह है कि अगर बच्चे फेल होते हैं तो यह जिम्मेदारी स्कूल की बनती है. बच्चों को इस तरह से शिक्षा दी जाए कि उनके फेल होने की नौबन ही न आए. इससे उनका मनोबल भी बढ़ेगा साथ ही वे एक अच्छा नागरिक भी बनेंगे.
छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, उन्हें स्कूल से निकाला नहीं जाना चाहिए : प्राचार्य मुकेश भास्कर
लातेहार पब्लिक स्कूल के प्राचार्य मुकेश भास्कर का कहना है कि परीक्षाओं में फेल हो जाने पर उन छात्रों पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए. उन्हें मोटिवेट करना चाहिए न कि उन्हें विद्यालय से निकाल देना चाहिए. यह सरासर गलत है. सभी छात्रों की क्षमता एक सी नहीं होती है. इसके अलावा सब छात्रों की पारिवारिक परिवेश व पृष्ठभूमि भी एक सी नहीं होती है. ऐसे में सभी छात्रों से सौ में सौ अंक लाने की अपेक्षा करना गलत है. अगर कोइ विद्यालय ऐसा करता है तो गलत है.
फेल होने के कारण स्कूल से निकालना सही नहीं : प्राचार्य अशोक कुमार पाठक
अशोक कुमार पाठक, प्राचार्य, मिथिला एकेडमी पब्लिक स्कूल, का कहना है कि परीक्षा में फेल होने के कई कारण हो सकते हैं. स्कूल को चाहिए कि पैरेंट्स को भी कन्वीन्स करे और बच्चे को एक मौका तो अवश्य देना चाहिए. जहां तक फीस की बात है, तो पूरे विद्यालय की शिक्षण-व्यवस्था, शिक्षकों, शिक्षकेत्तरकर्मियों का जीवन-यापन इसी पर निर्भर रहता है. अभिभावकों को समय पर फीस जमा करनी चाहिए. अगर किसी कारणवश वे असमर्थ हैं, तो विद्यालय को समय रहते बता दें, ताकि हरसंभव सहायता के उपाय किए जा सकें.
सभी बच्चों पर स्कूल का ध्यान रहना चाहिए,निकालना गलत है : प्रिंसिपल दीपक कुमार वर्मा
कोडरमा के झुमरीतिलैया स्थित पथ फाइंडर अकादमी के प्रिंसिपल दीपक कुमार वर्मा का कहना है कि सभी बच्चों के ऊपर स्कूल का ध्यान रहता है. कोई बच्चा बदमाशी करें तो उन्हें प्यार से समझाया जाता है और कोई बच्चा फेल होता है तो यह स्कूल प्रबंधन की बदनामी होती है. इसलिए हर एक बच्चा पढ़ाई लिखाई में अव्वल रहे स्कूल का यह प्रयास होना चाहिए. पर किसी बच्चे को उसकी गलती के लिए स्कूल से निकाला नहीं जाना चाहिए. स्कूल प्रबंधन को इसका ख्याल रखना चाहिए.
8वीं कक्षा में बच्चों को फेल करना नियम विरुद्ध है,इसकी जानकारी जरुरी है : नमिता अग्रवाल
जमशेदपुर पब्लिक स्कूल की प्राचार्य नमिता अग्रवाल का कहना है कि 8वीं कक्षा में बच्चों को फेल करना आरटीई नियम के विरुद्ध है. स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों को प्रोन्नति की सही जानकारी होनी चाहिए. इसके लिए जरुरी है स्कूल प्रबंधन द्वारा बच्चों के साथ अभिभावकों की भी काउंसलिंग की जाए. कमजोर बच्चों के लिए अलग से क्लास आयोजित की जाए. बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए स्कूल प्रबंधन के साथ ही अभिभावक भी जिम्मेवार हैं. अभिभावकों को अपने बच्चों की प्रत्येक गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए. बच्चों के फेल होने की सारी जिम्मेवारी स्कूल प्रबंधन पर थोप कर अभिभावक अपनी जिम्मेवारी से नहीं बच सकते.
बच्चों को स्कूल से बाहर निकालना गलत, उन्हें अतिरिक्त कक्षा मुहैया की जानी चाहिए : प्रमोद चौरसिया
बर्ड्स गार्डन स्कूल राजगंज के प्राचार्य प्रमोद चौरसिया ने कहा है कि फेल होने वाले या शरारत करने वाले बच्चों को टीसी थमा कर स्कूल से बाहर निकालकर स्कूल अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. स्कूल फेल होने वाले बच्चे को चिह्नित कर उन्हें अतिरिक्त कक्षा मुहैया करा सकता है. निजी स्कूलों में मोटी फीस देकर बच्चों को भेजने का अभिभावकों का मकसद ही यही होता है कि प्रबंधन जिम्मेदारी पूर्वक विद्यार्थियों को पढ़ाएं व अनुशासित करें.
गलतियों पर उन्हें सुधार करने की नसीहत दी जाती है, निकालना ठीक नहीं : निर्देशक अशोक चौरसिया
कोडरमा के झुमरीतिलैया स्थित शरदम्बा विद्या मंदिर के निर्देशक अशोक चौरसिया का कहना है कि हमारे विद्यालय में बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जाती है. यहां पर उनकी गलतियों पर उन्हें सुधार करने की नसीहत दी जाती है. साथ ही बदमाशी करने पर उन्हें डांट कर समझाया जाता है, उन्हें स्कूल से नहीं निकाला जाता है.सभी स्कूलों को इस दिशा में सोचना चाहिए. स्कूल से निकालने या कार्रवाई करने पर बच्चों के मनोबल पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही पढ़ाई में बाधा उत्पन्न होती है.
कोरोना के कारण बच्चों का विकास अवरुद्ध हुआ है, उनपर ध्यान देना जरुरी है: स्वर्णा मिश्रा
दयानंद पब्लिक स्कूल की प्राचार्य स्वर्णा मिश्रा का कहना है कि कोरोना काल के दो वर्ष के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चों का विकास अवरुद्ध हुआ है. दो वर्षों के बाद ऑफलाइन कक्षा में उनका परफॉर्मेंस काफी खराब हुआ है. बच्चों को विषयों को समझने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसके कारण बच्चों के रिजल्ट खराब हुआ है. इस बात को स्कूल प्रबंधन के साथ ही अभिभावकों को भी समझना होगा. आरटीई के तहत 9वीं कक्षा में तीसरे टेस्ट लेने का प्रावधान नहीं है, लेकिन हमने बच्चों के भविष्य को देखते हुए टेस्ट का आयोजन कर उन्हें एक मौका दिया.
री-एग्जाम की व्यवस्था करनी चाहिए, छात्रों को स्कूल से बाहर करना गलत : मदन कुमार सिंह
द्वारिका मेमोरियल फाउंडेशन स्कूल के प्राचार्य मदन कुमार सिंह का कहना है कि कक्षा में फेल होने वाले या किसी प्रकार की शरारत करने वाले बच्चों को स्कूल से बाहर करना सही नहीं है. इसके स्थान पर स्कूल प्रबंधन को जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें एक मौका देना चाहिए. फेल होने वाले बच्चों की संख्या अधिक होने की सूरत में उन्हें कुछ समय देकर री-एग्जाम, कंपार्टमेंट या सप्लीमेंट्री जैसी परीक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए. शरारती बच्चों को अनुशासन का पाठ पढ़ाना भी स्कूल की जिम्मेदारी है.
अभिभावक बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल भेजते हैं,इसपर ध्यान हो : प्रिंसिपल महेश प्रसाद
कोडरमा के डोमचांच स्थित महेश अकादमी के प्रिंसिपल महेश प्रसाद का कहना है कि बच्चों अच्छी शिक्षा के लिए स्कूल पूरी मेहनत करता. अगर कोई बच्चा बदमाशी करे या फिर फेल हो जाए तो इससे स्कूल की बदनामी होती है. इसलिए स्कूल यह कोशिश करता है कि इस तरह की नौबन ही न आए. इसलिए स्कूल प्रबंधन को इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है. अभिभावक बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल भेजते हैं. स्कूल का प्रयास उन्हें अच्छी शिक्षा देने में होनी चाहिए.
बच्चों को स्कूल से निकालना उचित नहीं,इसका समाधान करें : प्रधान शिक्षिका आशा कुमारी
शिक्षायतन पब्लिक स्कूल की प्रधान शिक्षिका आशा कुमारी का कहना है कि शरारत या फीस ने मिलने के कारण बच्चों को स्कूल से निकालना गलत होता है. इसका बच्चों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ता है. इसलिए बच्चों के ऊपर किसी भी प्रकार की कार्रवाई से बचना चाहिए. स्कूल प्रबंधन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए. क्योंकि बच्चों को स्कूल से निकालना यह समाधान नहीं है. बल्कि कोशिश यह होनी चाहिए कि बच्चे आगे कैसे अपनी पढ़ाई पूरी करे.
स्कूल बच्चों के सीखने और विद्यार्जन करने का स्थान, निकालना ठीक नहीं : प्रिंसिपल अभिजित शुक्ला
चांडिल स्थित एनएसके स्कूल के प्रिंसिपल अभिजित शुक्ला का कहना है कि निजी स्कूलों में बच्चों को फेल करना या फीस समय पर नहीं जमा कर पाने या छोटी-मोटी शरारत करने के कारण उन्हें स्कूल से निकालना किसी भी प्रकार से जायज नहीं है. यदि बच्चे स्कूल में फेल हो जाते हैं, तो बच्चों के साथ इसमें शिक्षकों को भी फेल माना जाना चाहिए. इसके लिए स्कूल प्रबंधन की भी जिम्मेवारी बनती है. स्कूल बच्चों के सिखने और विद्यार्जन करने का स्थान है. जहां बच्चों को पढ़ाया और सिखाया जाता है.
स्कूल को चाहिए कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दे और उनके संस्कार भी कायम रहे : अमरदीप रायकोडरमा के गुमो निवासी
अमरदीप राय का कहना है कि स्कूल को चाहिए कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दे. साथ ही मां बाप द्वारा दिए संस्कार को कायम रखने में मदद करे. बच्चों की पढ़ाई इस तरह हो कि इसके फेल या बदमाशी करने की नौबन ही नहीं आए. अभिभावकों द्वारा फीस जमा नहीं होने यहा बच्चों द्वारा शरारत किए जाने पर उनके खिलाफ कार्रवाई ठीक नहीं है. उन्हें फेल होने पर स्कूल से निकाला भी नहीं जाना चाहिए. स्कूल की कोशिश हो कि बच्चे आगे की पढ़ाई करे.
अगर छात्र फेल हुए हैं तो स्कूल प्रबंधन भी फेल है : अभिभावक अविनाश कुमार
अविनाश कुमार ने कहा कि ऐसे विद्यालयों पर कार्रवाई होना चाहिए. विद्यालय प्रबंधन छात्र को स्कूल से नहीं निकाल सकता है. अगर छात्र फेल हुआ है तो स्कूल प्रबंधन भी फेल्योर है. जरूर विद्यालय कि शिक्षा पद्धति में कमी होगी या फिर शिक्षकों ने भी अपना दायित्व ठीक से नहीं निभाया होगा. आज कल तो ऊंची दुकान फीकी पकवान वाली कहावत हर ओर चरितार्थ हो रही है. स्कूलों को चाहिए कि ऐसे कमजोर छात्रों के अभिभावकों के साथ बैठ कर काउंसलिंग करें.
संवेदनशील हो विद्यालय प्रबंधन,बच्चों को निकालने की घटना ठीक नहीं : बिप्लव दास, अभिभावक
बिप्लव दास, अभिभावक, सेक्टर- 3, बोकारो का कहना है कि परीक्षा में फेल होने पर स्कूल से 83 बच्चों को निकाल देने की जो घटना सामने आई है, वह वास्तव में उचित नहीं है. इसे स्वच्छ और स्वस्थ शिक्षा की दिशा में सही नहीं ठहराया जा सकता है. विद्यालय प्रबंधन को बच्चों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. उन्हें अवसर दिया जाना चाहिए. इससे बच्चों को अपनी पढाई जारी रखने में सहूलियत होती है. साथ ही उनका मनोबल भी बढ़ता है.
बच्चों को स्कूल से निकालना गलत है, उन्हें प्यार से समझाना चाहिए : सोनू सिंह
कोडरमा के गुमो निवासी सोनू सिंह का कहना है कि फेल या बदमाशी करने पर बच्चों को स्कूल से निकालना गलत है. उन्हें प्यार से समझाना चाहिए. साथ ही उनकी शिक्षा दिशा इस तहर होनी चाहिए कि वह एक अच्छा नागरिक बने और अच्छे समाज का निर्माण हो सके. बच्चों को उनकी कमियों के कारण स्कूल से निकालने से उनका मनोबल गिरता है.साथ ही उनके आगे की पढ़ाई भी ठीक नहीं होती है. इसलिए स्कूल का प्रयास यह होना चाहिए कि बच्चा आगे की पढ़ाई कर सके.
अभिभावकों एवं बच्चों की लगातार काउंसिलिंग करना जरूरी है : मीना बिल्खू
विद्या भारती चिन्मया विद्यालय की प्राचार्य मीना बिल्खू का कहना है कि वर्तमान में अभिभावकों के साथ बच्चों की लगातार काउंसिलिंग करना आवश्यक है. कोरोना के बाद अचानक ऑफलाइन क्लास के कारण बच्चों पर बोझ बढ़ गया है. जिसको समझने एवं संभालने में थोड़ा समय लगेगा. इसके लिए स्कूल प्रबंधन के साथ ही अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेवारी निभानी होगी. इसके विद्यालय में बच्चों की लगातार काउंसिलिंग की जा रही है. पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि बढ़ाने के लिए प्रयास किए जा रहे है.
बच्चों को निकालना गलत, पैसे कमाने से ज्यादा शिक्षा-दान जरूरी : सुरेन्द्र कुमार, अभिभावक
सुरेन्द्र कुमार, अभिभावक, सेक्टर- 9, बोकारो का कहना है कि स्कूल फीस जमा नहीं करने या बच्चों के फेल करने पर विद्यालय प्रबंधन द्वारा बच्चों को स्कूल से निकालना कतई सही नहीं है. विद्यालय की स्थापना समाज को साक्षर करने के लिए हुआ है, न कि पैसे कमाने के लिए. सरकार का सख्त निर्देश है कि स्कूल फीस जमा नहीं करने पर बच्चों को स्कूल पढ़ाई से वंचित नहीं कर सकता है. यह सरकारी आदेश का उल्लंघन है. इस दिशा में सभी स्कूल प्रबंधन को ध्यान देना चाहिए.
बच्चों को स्कूल अच्छी शिक्षा के लिए भेजा जाता है,उन्हें स्कूल से निकालना गलत : बबलू पांडेय
कोडरमा के गुमो निवासी बबलू पांडेय का कहना है कि स्कूल से बच्चों को निकालना गलत है. किसी से भी गलती हो सकती है, बच्चे भी गलती करते हैं. लेकिन उन्हें स्कूल से निकालना गलत है. बच्चों को स्कूल अच्छी शिक्षा के लिए भेजा जाता है. इसलिए स्कूल का दायित्व बनता है कि उन्हें अच्छी शिक्षा दे ताकि बच्चे के फेल होने या उन्हें निकालने की नौबत ही न आए.सभी स्कूल प्रबंधक को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है. इससे बच्चों की पढ़ाई भी अच्छी होती है.
मौजूदा दौर में स्कूल प्रबंधन का शिक्षा से ज्यादा फीस पर ध्यान : भुवन प्रसाद
अभिभावक भुवन प्रसाद का कहना है कि निजी स्कूल का पूरा ध्यान फीस पर रहता है. बिना किसी सूचना के प्रत्येक वर्ष फीस में वृद्धि कर दी जाती है. शिक्षा के स्तर में कोई सुधार नहीं हो रहा, बस फीस कैसे वसूला जाए यही निजी स्कूल प्रबंधन का एक मात्र उद्देश्य रहता है. अभिभावकों की कहीं कोई सुनवाई नहीं होती. सरकार भी निजी स्कूल पर अंकुश लगाने में विफल है. स्कूल प्रबंधन अभिभावकों की मजबूरी सुनने को तैयार नहीं है. उसे हर हाल में फीस चाहिए, नहीं तो कभी बच्चों को क्लास करने से रोक देते हैं.
अच्छा करे तो स्कूल, खराब रिजल्ट हो तो अभिभावक दोषी : सोनू कुमार महतो,अभिभावक
दामोदरपुर निवासी सोनू कुमार महतो बताते हैं कि बच्चा जब अच्छा रिजल्ट करता है तो स्कूल उसका श्रेय लेता है, लेकिन जब बच्चा फेल करता है तो उसे टीसी देकर बाहर निकाल देना सही कैसे हो सकता है. इसलिए जमशेदपुर के एक स्कूल में फेल होने पर बच्चों के निकाल दिया जाना गलत है. इसे किसी भी रुप में सही नहीं ठहराया जा सकता है. इस दिशा में सभी स्कूल प्रबंधन को ध्यान देने की जरुरत है. क्योंकि बच्चे स्कूल पढ़ाई के लिए भेजे जाते हैं.
बच्चों पर कार्रवाई उनके करियर पर असर डालता है,इसपर ध्यान देना जरुरी है : मनोज सहाय पिंकू
कोडरमा के झुमरीतिलैया निवासी मनोज सहाय पिंकू का कहना है कि बच्चों के द्वारा गलती करने या उनके फेल हो जाने पर किसी भी प्रकार की कार्रवाई गलत है. ऐसा करने से उनके करियर पर असर पड़ता है. इसलिए स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि बच्चों को अच्छी शिक्षा दे. ताकि उनके फेल होने या गलत करने की स्थिति ही पैदा न हो. हर स्कूल का उद्देश्य उनके अच्छे भविष्य का होना चाहिए. ऐसे करने से उनकी पढ़ाई अच्छी होती है. साथ ही वे अच्छे नागरिक भी बनते हैं.
स्कूल को बच्चों पर कार्रवाई से पहले विचार करना चाहिए: कानू दास,अभिभावक
अभिभावक कानू दास के अनुसार बच्चों के प्रति स्कूल प्रबंधन कोई कदम उठाता है तो उससे पहले गहन विचार विमर्श करना चाहिए. क्योंकि एक बार विद्यालय अभिभावकों की नजर में रेखांकित हो गया तो आने वाले समय में विद्यालय के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न लग जाएगा. बच्चों के स्कूल जाने का उद्देश्य उनकी पढाई से है. इसलिए भी स्कूल का दायित्यव बनाता है कि बच्चों की पढ़ाई पर स्कूल विशेष ध्यान दे. किसी भी तरह की कार्रवाई से अभिभावकों से विचार विमर्श अच्छा होता है.
किसी भी खामी के लिए स्कूल प्रबंधन की ओर से समीक्षा बैठक होनी चाहिए : ओमिय प्रसाद सिंह, अभिभावक
अभिभावक ओमिय प्रसाद सिंह का कहना है कि परीक्षाफल प्रकाशित होने के बाद स्कूल प्रबंधन की ओर से समीक्षा बैठक होनी चाहिए, जिसमें स्कूल प्रबंधन, शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थियों को एक साथ बैठने का मौका मिले. ऐसे में सभी प्रकार की बातें सामने आएगी और शिक्षक, विद्यार्थी, विद्यालय प्रबंधन और अभिभावकों की कमी-खामी सामने आएगी. स्कूल में विद्यार्थियों का वर्ताव कैसा रहता है, पढ़ाई में मन लगाता है या नहीं इसकी जानकारी मिलेगी. अभिभावक समय पर स्कूल की फीस जमा करते हैं या नहीं प्रबंधन के सामने इसका खुलासा हो पाएगा.
स्कूल से निकाल देने की घटना निंदनीय है,सरकार इस पर संज्ञान ले : दीपक विश्वकर्मा
अभिभावक दीपक विश्वकर्मा का कहना है कि स्कूल में फेल हो जाने या फीस जमा नहीं करने पर स्कूल से निकाल देने की घटना निंदनीय है. सरकार को इस पर संज्ञान लेना चाहिए कि भविष्य में ऐसा नहीं हो. स्कूल से निकाले जाने पर बच्चों के मानसिक रूप से आघात लग सकता है, ऐसे में वे कोई भी गलत कदम उठा सकते हैं. अभिभावक और बच्चों के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण स्थापित कर ही बच्चों के शैक्षणिक स्तर को सुधारा जा सकता है. इस पर ध्यान देने की आवश्कता है.
स्कूल अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता, उन्हें अपना दायित्व निभाना चाहिए : प्रदीप झा,अभिभावक
तेलीपाड़ा निवासी एवं हरि भागवत प्रदीप झा बताते हैं कि निजी स्कूल मोटी फीस लेते हैं. ऐसे में उन्हें बच्चों के शिक्षा संबंधित जिम्मेदारी लेनी चाहिए. फेल होने पर बच्चों को बाहर निकाल कर स्कूल अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता. उन्हें अपना दायित्व निभाना चाहिए. अभिभावक बच्चों को स्कूल अच्छी शिक्षा के लिए भेजते हैं. इसलिए पढ़ाई की जिम्मेदारी स्कूल की होती है. इस दिशा में हर स्कूल प्रबंधक को ध्यान देना चाहिए. बच्चों पर कार्रवाई ठीक नहीं है.
अभिभावकों की गलतियों की सजा बच्चों को नहीं मिलना चाहिए : अभिभावक ओम प्रकाश साहू
अभिभावक ओम प्रकाश साहू का कहना है कि अभिभावकों की गलतियों की सजा बच्चों को नहीं मिलना चाहिए. समय-समय पर ऐसी बातें सुनने को मिलती है कि फीस जमा नहीं करने के कारण बच्चें को स्कूल से निकाल दिया जाता है. स्कूल प्रबंधन को समझना चाहिए कि लोग मेहनत-मजदूरी कर अपने बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दिलाने की कोशिश करते है. किसी कारण वे कभी-कभी समय पर फीस जमा नहीं कर पाते हैं. स्कूल प्रबंधन को अभिभावकों की समस्या को भी समझना चाहिए.
ऐसे मामलों में बच्चों पर नहीं स्कूल पर कार्रवाई होनी चाहिए : रुपम कुमारी
रांची की रुपम कुमारी का कहना है कि अगर स्कूल में बच्चे फेल हो रहे हैं तो यह बच्चों की नहीं बल्कि शिक्षकों की गलती है.सवाल यह है कि बच्चों को हम स्कूल क्यों भेजते हैं. अगर बच्चे सिख नहीं पा रहे हैं तो इसके लिए शिक्षक दोषी हैं. जिस स्कूल में बच्चों को निकाला गया है. उसमें तो बच्चों की गलती कम शिक्षकों की गलती ज्यादा है. इसलिए शिक्षकों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. बच्चों को स्कूल से निकालना गलत है.
बच्चों को निकालना समाधान नहीं, उद्देश्य अच्छे भविष्य का होना चाहिए : डॉ. त्रिभुवन कुमार
रांची निवासी डॉ. त्रिभुवन कुमार साही का कहना है कि अगर बच्चे फैल होते हैं तो उन्हें स्कूल से निकालना समाधान नहीं है. बच्चे क्यों फेल हुए इस पर विचार करने की जरुरत है. बच्चे अगर शरारत करते हैं तो वह उनका बचबना भी हो सकता है. मैं एक शिक्षक के साथ अभिभावक भी हूं. जूनियर क्लास के बच्चों को थोड़ा ज्यादा केयर करने की जरूरत होती है. हर स्कूल का उद्देश्य बच्चों के भविष्य का होना चाहिए.
बच्चे फेल हो रहे हैं तो इसके लिए स्कूल जिम्मेवार : प्रमोद प्रसाद
अभिभावक प्रमोद प्रसाद कहते हैं कि बच्चे फेल हो रहे, तो पूरी तरह स्कूल जिम्मेवार है. बच्चों का ज्यादातर वक्त स्कूल में गुजरता है. बच्चे पैरेंट्स से ज्यादा शिक्षक पर भरोसा करते हैं. ऐसे में बच्चों के प्रति शिक्षक की बड़ी जिम्मेवारी बनती है. अगर बच्चा फेल हो रहा है, तो कहीं न कहीं शिक्षक फेल्योर हैं. स्कूल प्रबंधन बच्चे को स्कूल से निकालकर इस तरह पल्ला नहीं झाड़ सकता है. इसके लिए बच्चों को मौका देना चाहिए और शिक्षकों को भी समझना चाहिए कि आखिर चूक कहां हो रही है.
बच्चों को स्कूल से निकालना, उनके भविष्य से खेलना : जगेश्वर रजक
अभिभावक जगेश्वर रजक कहते हैं कि फेल होने पर बच्चों को स्कूल से निकालना, उनके भविष्य से खिलवाड़ है. स्कूल अपनी गलतियों को बच्चों के माथे पर थोप कर नहीं बच सकता. स्कूल से निकालना बच्चों के लिए काफी बड़ी सजा है. इससे बच्चों का मन-मस्तिष्क और मनोबल प्रभावित होता है. बच्चे हताश हो जाते हैं. कोई अभिभावक नहीं चाहता है कि बच्चे की फीस वक्त पर जमा नहीं हो. परिस्थितिवश ही ऐसा होता है, तो इसे मिल-बैठकर स्कूल प्रबंधन बात कर ले, न कि बच्चों को इसके लिए टीसी थमा दे.
फेल का ठीकरा सिर्फ बच्चों पर फोड़ना ठीक नहीं, शिक्षक जिम्मेवार : नंदकिशोर
अभिभावक नंदकिशोर कहते हैं कि फेल का ठीकरा सिर्फ बच्चों पर फोड़ना ठीक नहीं है. इसके लिए स्कूल प्रबंधन और शिक्षक भी उतने ही जिम्मेवार हैं. बच्चों को स्कूल से निकाल देना कहीं से सही कदम नहीं है. उन्हें मौका देना चाहिए और फेल होने के पीछे की वजह का आकलन करने की आवश्यकता है. एक तो प्राइवेट स्कूल भारी भरकम फीस भी लेता है और बच्चों को सुधारने के लिए परिश्रम भी नहीं करना चाहता है.
फेल हुए बच्चों को स्कूल से निकालना पूरी तरह गलत : गणेश कुमार वर्मा
अभिभावक गणेश कुमार वर्मा उर्फ सीटू कहते हैं कि फेल हुए बच्चों को स्कूल से निकालना पूरी तरह गलत है. नौनिहालों को किसी भी परिस्थिति में स्कूल से नहीं निकाला जाना चाहिए. चाहे वह फेल हों या वक्त पर फीस जमा नहीं किया गया हो अथवा बच्चे शरारत करते हैं. स्कूल में बच्चों को समझाने और उन्हें फिर से मौका दिए जाने की जरूरत है. फेल होने का जिम्मेवार सिर्फ बच्चे ही नहीं, उनके शिक्षक भी होते हैं. ऐसे में विचार यह होना चाहिए कि बच्चों में सुधार कैसे हो.
स्कूल से बच्चों को निकाला जाना न्याय संगत नहीं : विश्वनाथ दंडपात, अभिभावक
अभिभावक विश्वनाथ दंडपात का कहाना है कि निजी स्कूलों में फेल करने या फीस समय पर नहीं जमा कर पाने तथा छोटी-मोटी शरारत करने के कारण बच्चों को स्कूल से निकाले जाने के मुद्दों पर घाटशिला के अभिभावकों से नाराजगी जताई है. अभिभावक विश्वनाथ दंडपात का कहना है कि परीक्षा में फेल करने या फीस जमा नहीं करने पर स्कूल से बच्चों को निकाला जाना किसी भी दृष्टि में न्याय संगत नहीं है. इसके लिए भी कुछ नियम विद्यालय प्रबंधन के द्वारा बनाया जाना चाहिए.
नौवीं कक्षा में तकनीकी कारणों से बच्चों को प्रमोट नहीं किया जाता : देवयानी मुर्मू, अभिभावक
देवयानी मुर्मू, अभिभावक, का कहना है कि घाटशिला क्षेत्र में शायद ही ऐसा कोई विद्यालय है जहां पर बच्चों को विद्यालय से निकाला गया हो या निकाला जाता है. कक्षा आठवीं तक बच्चे पास करते हैं. नौवीं कक्षा में तकनीकी कारणों से बच्चों को प्रमोट नहीं किया जाता है. इसके लिए विद्यालय प्रबंधन तथा अभिभावक दोनों जिम्मेदार हैं. यदि कोई विद्यालय फीस जमा नहीं कर पाने अथवा शरारत करने पर बच्चे को विद्यालय से निकालता है तो इसके लिए पूरी तरह विद्यालय प्रबंधन दोषी है.
कार्रवाई से पहले अभिभावक से चर्चा करनी चाहिए : रंजीत भगत, अभिभावक
विद्यालय से बच्चों को निकाले जाने के मुद्दे पर चर्चा के दौरान अभिभावक रंजीत भगत का कहना है कि यह जायज नहीं है कि अगर बच्चे विद्यालय में छोटी मोटी गलती करें या परीक्षा में किसी एक या दो विषय में फेल हो जाए तो उसे विद्यालय से निकाल दिया जाना चाहिए. इससे बच्चें काफी आत्मग्लानि महसूस करते हैं. हो सकता है कि बच्चे डिप्रेशन में चले जाएं. समय रहते विद्यालय प्रबंधन को ऐसी कार्रवाई करने से पहले अभिभावक के साथ चर्चा करनी चाहिए.