Ranchi: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित लैंडस्केप प्रबंधन पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मलेन का समापन हो गया. इस मौके पर कृषि सचिव अबू बकर सिद्दिकी ने कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए धरती को बचाना सबों की नैतिक जिम्मेदारी है. मौसम में भारी बदलाव हो रहा है. प्राकृतिक आपदाओं से भी ज्यादा नुकसान देखने को मिल रहा. इस बदलाव से बचाव के लिए प्रभावी जल एवं मृदा संरक्षण की दिशा में वैज्ञानिकों एवं शोधकर्त्ताओं को सोचने की जरूरत है.बाढ़, भूमि क्षरण, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदा एवं अन्य पारंपरिक नुकसान से काफी हानि होती है.
वैज्ञानिकों की अनुशंसा योजना निर्माण में मददगार होगी
कृषि सचिव ने कहा कि इस सम्मलेन में वैज्ञानिकों एवं शोधकर्त्ताओं की सोच एवं अनुशंसा राज्य एवं केंद्र के नीति निर्धारण एवं योजना निर्माण में मददगार होगी. सम्मलेन की अनुशंसाओं का डॉक्यूमेंट को राज्य एवं केंद्र सरकार को प्रेषित करने की आवश्यकता है. सरकार के पास वित्तीय कमी नहीं है, लेकिन अभिनव सोच एवं विचार का अभाव है. इसे पूरा करने का दायित्व वैज्ञानिकों एवं शोधकर्त्ताओं का है. उक्त बातें बतौर मुख्य अतिथि सचिव कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता, झारखंड सरकार अबू बकर सिद्दिकी ने कही, उन्होंने कहा कि ब्रह्मांड के संसाधनों के संभावित उपयोग का सबों का समान अधिकार है. वैज्ञानिकों एवं शोधकर्त्ताओं को आगे बढ़कर लोगों को उचित सलाह देने की आवश्यकता है.
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राज्य में जल संरक्षण की भारी कमी: कुलपति
मौके पर कुलपति डॉ ओएन सिंह ने कहा कि आज समुद्र तल में बढ़ोतरी हो रही है. नदियों की दिशा बदल रही है. नदियाँ सूख और विलुप्त होने के कगार पर है. अकस्मात बाढ़ से काफी नुकसान हो रहा है. वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता एवं नीति निर्धारकों को इस विषय पर गंभीर विचार करने एवं समाधान खोजने की जरुरत है. राज्य में 1400 मिमी वर्षापात होने के बावजूद जल संरक्षण की भारी कमी है. पानी के तेज बहाव से भूमि कटाव एवं भूमि की अम्लीयता में बढ़ोतरी एक गंभीर समस्या है. प्रदेश में अधिक से अधिक जल का संचय तथा जल उपयोग की क्षमता को बढ़ाकर धान परती भूमि में रबी फसलों का आच्छादन बढाया जा सकता है. यूपी की अमृत सरोवर योजना तरह जल संचय को बढ़ाकर कृषि एवं उद्योग में फायदा ली जा सकती है.
वहीं आयोजन सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ पीआर ओजस्वी ने प्राकृतिक संपदा के संरक्षण एवं प्रबंधन में नीति निर्धारकों, योजनाकारों, वैज्ञानिकों, शोधकर्त्ताओं, हितकारकों एवं अन्य सभी लोगों की भागीदारी पर बल दिया.
देश की 400 प्रमुख नदियों में से 351 नदियाँ प्रदूषित
आयोजन सोसाइटी के निदेशक डॉ एम मधु ने बताया कि देश की 400 प्रमुख नदियों में से 351 नदियाँ प्रदूषित हैं. मनुष्य द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दोहन एवं बदलाव किये जाने से वातावरण एवं मौसम को काफी नुकसान हो रहा है. सम्मलेन में इसी संदर्भ में चर्चा हुई, ताकि आमलोगों के लिए खाद्यान एवं पोषण सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सके. मौके पर बेस्ट पेपर, बेस्ट ओरल पेपर, बेस्ट पोस्टर पेपर एवं बेस्ट प्रदर्शनी आदि के लिए वैज्ञानिकों को कृषि सचिव एवं कुलपति ने सम्मानित किया.
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इनके सहयोग से सम्मेलन का आयोजन
सम्मेलन का आयोजन इंडियन एसोसिएशन ऑफ सॉइल एंड वॉटर कंजर्वेशनिस्ट्स (भारतीय मृदा एवं जल संरक्षणवादी संघ), देहरादून द्वारा भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून; बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची, महात्मा गांधी समेकित कृषि अनुसंधान संस्थान, मोतिहारी और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हजारीबाग के सहयोग से किया गया.