जयराम रमेश ने पिछले 10 साल को अन्याय काल करार दिया, EPFO नीतियों को भी असंवेदनशील बताया
NewDelhi : कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने पिछले 10 साल के अन्याय-काल को समझाते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं. जयराम रमेश ने यह भी दावा किया है कि भविष्य निधि के ‘क्लेम’ को अस्वीकृत किये जाने की दर बढ़ गयी है. इसका प्रमुख कारण कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा लागू की गयी ऑनलाइन प्रणाली है. उन्होंने EPFO की नीतियों को असंवेदनशील करार दिया है. कहा कि असंवेदनशील नीतियों की जह से कई सेवानिवृत्त कर्मचारियों को आत्महत्या जैसा कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा है. जयराम रमेश ने कांग्रेस के पांच न्याय एजेंडे भी बताये, जिसका ‘श्रमिक न्याय’ मुख्य स्तंभ है. कहा कि ‘श्रमिक न्याय’ यह सुनिश्चित करेगा कि श्रमिकों और उनके परिवारों को अपने अधिकारों से वंचित न होना पड़े.
पिछले 10 साल के अन्याय-काल को इससे समझा जा सकता है कि इसमें किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक़ नहीं मिला है। महिलाएं जॉब मार्केट से बाहर हो गई हैं। युवाओं को रोज़गार नहीं मिल रहा है। किसान अपने फ़सल की पर्याप्त क़ीमतें पाने में असमर्थ हैं।
यहां तक कि श्रमिक, जो मजदूरी करके अपना…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) March 1, 2024
श्रमिक अपनी मेहनत की कमाई पाने में असमर्थ
जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि पिछले 10 साल के अन्याय-काल को इससे समझा जा सकता है कि इसमें किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक नहीं मिला है. महिलाएं ‘जॉब मार्केट’ से बाहर हो गयी हैं. युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है. किसान अपने फसल की पर्याप्त कीमतें पाने में असमर्थ हैं. उन्होंने दावा किया कि यहां तक कि श्रमिक, जो मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं, अपनी मेहनत की कमाई पाने में असमर्थ हैं.
ऑनलाइन प्रणाली शुरू होने के कारण पीएफ ‘क्लेम’ की अस्वीकृति की दर बढ़ी
कांग्रेस के महासचिव ने कहा कि ईपीएफओ भारत के श्रमिकों के लिए भविष्य निधि का प्रबंध करने वाला सरकारी संगठन है. इसमें भविष्य निधि (पीएफ) क्लेम के अंतिम निपटान के लिए अस्वीकृति की दरों में काफी वृद्धि देखी है. अभी पीएफ के अंतिम निपटान के लिए लगभग तीन में से एक क्लेम खारिज कर दिये गये हैं. यह 2017-18 के 13 प्रतिशत से अधिक है. उन्होंने कहा कि खारिज होने वाला हर क्लेम कामकाजी परिवारों के मुंह पर तमाचा मारने जैसा है. यह साधारण और गरीब परिवारों के लिए अत्यधिक तनाव और पीड़ा का कारण बन रहा है. रमेश ने कहा कि इन ‘क्लेम’ से जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए ऑनलाइन प्रणाली का लागू किया जाना बड़े पैमाने पर इनके खारिज होने का प्रमुख कारण हैं.