Jamshedpur (Vishwajeet Bhatt) : द्वितीय विश्व युद्ध की वीर नारी मुना देवी के पति सिपाही चंद्रिका प्रसाद आजादी से पूर्व सेना में कार्यरत थे. 1946 में आजादी के पूर्व सेना से सेवानिवृत्त हो गए थे. 2010 में उनका निधन हो गया था, परंतु उनकी पत्नी मुना देवी को जिला सैनिक बोर्ड आरा से पेंशन नहीं मिल रही थी. इसकी जानकारी मिलने पर अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के वरिष्ठ सदस्य सुशील कुमार सिंह ने उन दिनों जिला सैनिक बोर्ड चाईबासा में कार्यरत कमांडर बीबी मिश्रा से मिलवाया और मार्गदर्शन के अनुसार मुना देवी को एनओसी लेकर चाईबासा आने की सलाह दी गई. 2018 में मुना देवी अपना एनओसी लेकर चाईबासा आईं और इनको आर्थिक सहयोग दिलाने का प्रयास शुरू हुआ, परंतु यह केस बिहार सरकार के अंतर्गत आने की वजह से लाख प्रयास के बावजूद झारखंड से इनका आर्थिक सहयोग शुरू नहीं हुआ. फिर इन्हें एनओसी दिला कर आरा जिला भेज दिया गया और विभिन्न स्तर पर निरन्तर प्रयास के बाद शनिवार को धनतेरस पर इन्हें 10 हजार रुपये आर्थिक सहयोग के रूप में पेंशन मिलने की खबर प्राप्त हुई.
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बुजुर्ग वीर नारी के जीवन में इससे बढ़कर खुशी कुछ नहीं हो सकती, जो विगत दिनों एक-एक पाई के लिए मोहताज थीं. इन्हें कोरोना काल में भी संगठन के द्वारा सूखा राशन एवं आर्थिक सहयोग समय-समय पर दिया जा रहा था. इस सहयोग को दिलाने में पूर्व सैनिक सेवा परिषद पूर्वी सिंहभूम के पदाधिकारियों के साथ साथ ब्रिगेडियर रणविजय सिंह, एयर कमोडोर अधिकारी ब्रिगेडियर वीजी पाठक, कर्नल प्रभात कुमार प्रसाद, जिला सैनिक बोर्ड चाईबासा, जिला सैनिक बोर्ड आरा, राज्य निदेशालय रांची एवं पटना का महत्वपूर्ण योगदान रहा. इसके फलस्वरूप 12 साल बाद यह सहयोग मुना देवी को प्राप्त हुआ. इस कार्य में उनके बेटे राजेंद्र प्रसाद का भी सक्रिय रोल रहा जो अपनी बुजुर्ग माता को हर बताए हुए लोगों से मिलवाने में सफल रहे.
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इस खबर को सुनते ही पूर्व सैनिकों में खुशी की लहर दौड़ गई. कुछ महीने पहले संगठन ने अपनी बैठक में वीर नारी मुना देवी का सारा खर्च स्वयं उठाने का संकल्प लिया था, मगर धनतेरस के अवसर पर इस बुजुर्ग 80 वर्षीय महिला को बहुत बड़ी सौगात मिली. इस तरह के लाचार एवं अनजान पूर्व सैनिक एवं विधवाओं का सहयोग करना अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद पूर्वी सिंहभूम की प्राथमिकता है.