Dharmendra Mishra
Jamshedpur: वर्ष 2020-2021 के बाद अब 2022 के शुरुआत में ही जिस प्रकार कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा आंशिक रूप से प्रतिबंध लगाया गया है. इसका सीधा असर कोचिंग संस्थानों पर पड़ा है. कई संस्थान या तो बंद हो गए है या बंद होने के कगार पर हैं. कोचिंग संस्थान दोहरी मार झेल रहे है. एक तरफ संस्थान में बच्चों का एडमिशन पूर्व की तरह नहीं हो पा रहा है वहीं संस्थान को शिक्षकों एवं कर्मचारियों का वेतन का भुगतान करना पड़ रहा है.
कोल्हान के 15 हजार परिवार सीधे तौर पर प्रभावित
लगातार न्यूज से बात करते हुए श्रीमन क्लासेस के निदेशक श्रीमन त्रिगुण ने बताया की पिछले दो वर्ष में कोरोना के कारण लगे प्रतिबंध से कोचिंग संस्थान की कमर टूट गई है. उन्होंने बताया कोल्हान स्तर पर कोचिंग संस्थान से प्रत्यक्ष रूप से जुड़े 15 हजार परिवार प्रभावित हुआ है. उन्होंने बताया कि कोचिंग संस्थानो का टर्नओवर पहले की अपेक्षा मात्र 20 प्रतिशत ही रह गया है. संस्थानों को अपने कर्मचारियों व शिक्षकों का वेतन के साथ ही किराया का भुगतान भी करना पड़ रहा है. उसमें कोई राहत नहीं है. श्रीमन के अनुसार ऑनलाइन क्लास में मेहनत के हिसाब से आउटपुट नहीं मिल रहा है न बच्चों को और न ही संस्थान को. जिन बच्चों ने लॉकडाउन से पहले एडमिशन लिए वह स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया की लॉकडाउन से बच्चों का करियर बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है. नियमित क्लासेस के आयोजन नहीं होने से बच्चों की तैयारी पूरी नहीं हो पा रही है. दूसरी ओर सरकार द्वारा तय समय पर ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन पर किया जा रहा है. जो बच्चे पूरी तैयारी नहीं होने के कारण परीक्षा नहीं दे पाए तो उनका एक वर्ष का समय तो व्यर्थ हो गया.
ऑनलाइन क्लास ऑफलाइन का विकल्प नहीं हो सकता
आइआइटी/मेडिकल की तैयारी करने वाले संस्थान क्वांटम के निदेशक रवि भूषण ने लगातार न्यूज से बात करते हुए बताया की ऑनलाइन क्लास कभी भी ऑफलाइन का विकल्प नहीं हो सकता है. केवल गंभीर छात्रों के लिए ही ऑनलाइन क्लासेस सही है. लेकिन हम लोगों के साथ समस्या यही है कि हमारे कोचिंग संस्थान में सामान्य स्तर के छात्रों की प्रतिशत ज्यादा है जिन्हें हम रेगुलर क्लास में उनकी तैयारी करवाते हैं. जो ऑनलाइन क्लासेस में संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा मॉल, रेस्टोरेंट सिनेमा हॉल में जाने की छूट दी गई है लेकिन कोचिंग संस्थान में छात्रों को आने पर प्रतिबध समझ से परे है. जबकि कोचिंग संस्थान में जो छात्र आते हैं वो पूरी वैक्सीनेटेड हैं उनकी पूरी जानकारी हमारे पास उपलब्ध है. 25 प्रतिशत की उपस्थिति में क्लास शुरू किया जा सकता है. आर्थिक नुकसान के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि कोचिंग संस्थान लॉकडाउन के कारण पूरी तरह बर्बादी के कगार पर आ गए हैं. लगभग 90 प्रतिशत का नुकसान हो चुका है.
भुखमरी के कगार पर है प्रबंधन से जुड़े कर्मचारी
चाणक्य कोचिंग संस्थान के निदेशक सुजीत झा ने लगातार न्यूज बात करते हुए कहा कि लॉकडाउन के कारण कोचिंग संस्थान सीधे तौर पर प्रभावित हैं. कोचिंग संस्थान को शिक्षकों को रखना तो मजबूरी है लेकिन संस्थान में प्रबंधन से लेकर कर्मचारियों को रखना एक अतिरिक्त बोझ की तरह है. चूंकि क्लास लगातार ऑनलाइन ही चल रहा है ऐसे में कार्यालय संचालित करने वालों कर्मचारियों की आवश्यकता कम है. संस्थान को जहां रेवेन्यू का नुकसान हुआ है वहीं कर्मचारियों का वेतन भुगतान करना ही पड़ रहा है. अब संस्थानों में प्रबंधन से जुड़े कर्मचारियों के सामने रोजगार की समस्या उत्पन्न हो गई है. सरकार इस बात को समझने को तैयार नहीं है. उन्होंने बताया कि बड़े बड़े संस्थाओ द्वारा जो ऑनलाइन क्लासेस चलाए जा रहे हैं उनका मुकाबला हम नहीं कर सकते है. उनके पास पूंजी है, आधारभूत संरचना है ऐसे में छोटे स्तर के कोचिंग संस्थान लॉकडाउन के कारण बंदी के कगार पर आ गए हैं.
ऑनलाइन क्लासेस से छात्रों को हो रही है परेशानी
लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन क्लासेस से प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस संबंध में लगातार न्यूज से बात करते हुए प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही पूजा कुमारी ने बताया कि ऑनलाइन क्लासेस में नेटवर्क की समस्या हमेशा बाधक बनी रहती है. वहीं हमारे डाउट भी पूरी तरह क्लियर नहीं हो पाता है. ऑनलाइन क्लासेस महंगा भी पड़ता है. नेहा भद्र ने लगातार न्यूज बात करते हुए बताया की हमने कोचिंग संस्थान में रेगुलर क्लास के लिये एडमिशन लिया था लेकिन अब ऑन लाइन क्लास करना पड़ रहा है. सबसे बड़ी समस्या इंटरनेट की है. ऑनलाइन क्लास में हमारे समस्याओं का पूरी तरह निराकरण नहीं हो पाता है जो रेगुलर क्लास में हो जाता. नेहा के अनुसार उनकी तैयारी पूरी नहीं पा रही है.