Jamshedpur (Vishwajeet Bhatt) : अंगूर की बेटी के दीवाने शराब कारोबार के सरकारी होने के समय से ही हलकान-परेशान हैं. क्योंकि पहले तो हफ्तों तक दुकानें खोलकर वहां शराब की आपूर्ति ही नहीं की गई और जब आपूर्ति शुरू हुई तो अद्धा, पौवा और फुल का खूब तमाशा देखने को मिला. हालांकि, अभी भी ये तमाशा जोरों-शोरों से दिख रहा है और कब तक दिखेगा कुछ कहा नहीं जा सकता. दरअसल, शराब के शौकीन जो ब्रांड और पौवा, अद्धा और फुल खोज-खोज कर परेशान हो रहे हैं, इस खेल की जड़ में कुछ और ही है. इस नये निजाम की शराब बेचने की इस नई व्यवस्था में जगह-जगह झोल है.
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झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची से संचालित हो रहा पूरा सिस्टम
विदित हो कि पूरा सिस्टम झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड रांची से संचालित हो रहा है. पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त करके नई व्यवस्था में राज्य के सभी प्रमंडलों में सुपर गोदाम बनाया गया है. कोल्हान प्रमंडल का सुपर गोदाम सरायकेला के दुगुनी में है. कोल्हान के तीनों जिलों पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम व सरायकेला से परमिट जाता है और इसी सुपर गोदाम से शराब की आपूर्ति होती है. असली खेल तो यहां से हो रहा है. इस सुपर गोदाम का संचालक जिस राज्य में भी जिस ब्रांड की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट है, वहां से सीधे अपने गोदाम में शराब मंगा रहा है और उसी ब्रांड की आपूर्ति कर रहा है.
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संचालक के पास उपलब्ध ब्रांड को ही मंगाने की सहायक उत्पाद आयुक्तों की मजबूरी
इस सुपर गोदाम के संचालक को इस बात से कोई मतलब नहीं है कि बाजार में किस ब्रांड की डिमांड ज्यादा है. बल्कि इस बात से मतलब है कि किस ब्रांड से उसे ज्यादा मुनाफा या दूसरे शब्दों में कहें तो कमीशन मिल रहा है. संचालक वही ब्रांड मंगा रहा है और अपनी वेबसाइट पर उन्हीं को डिस्प्ले कर रहा है. ऐसे में अब सभी जिलों के सहायक उत्पाद आयुक्तों की यह मजबूरी है कि जो ब्रांड मिल रहे हैं, वही मंगाएं नहीं तो दुकानें खुलेंगी तो जरूर, लेकिन उनमें शराब ही नहीं होगी. वहीं, जानकार बताते हैं कि हड़बड़ी में नई शराब नीति लागू करने में कई खामियां छोड़ दी गईं हैं. स्टोर, वितरक व गोदाम खत्म कर दिए जाने से बहुत परेशानियां हो रही हैं. बाजार में शराब की मांग और आपूर्ति में बहुत बड़ा गैप पैदा हो गया है. इसलिए यदि आप मय के शौकीन हैं तो ब्रांड भूल जाइए और सरकार जिस ब्रांड की शराब आपको पिला रही है, उसी ब्रांड की शराब पीजिए और खुश रहिए.
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जेएसबीसीएल पर था कंपनियों को भरोसा
विभागीय सूत्रों के अनुसार शराब बनाने वाली कंपनियों को जेएसबीसीएल पर भरोसा था. इसलिए बाजार में शराब की किल्लत न हो, इसको ध्यान में रखते हुए जेएसबीसीएल कंपनियों से समय से पहले ही शराब की खेप मंगा कर रखता था. बहुत बार तो ऐसा भी हुआ कि शराब पहले मंगा ली गई और उसको बेचकर कंपनियों को पैसा दिया गया. लेकिन अब ऐसा नहीं है, जिस कंपनी को सुपर गोदाम के संचालन की जिम्मेदारी दी गई है या तो उसके पास पैसा ही नहीं है या फिर कंपनी पैसा लगाना ही नहीं चाहती है. इसलिए झारखंड सहित दूसरे राज्यों की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट पहले पैसा ले रही है, उसके बाद शराब की आपूर्ति कर रही है. इसीलिए सुपर गोदाम के संचालक भारी मात्रा में शराब की खेप मंगा ही नहीं पा रहे हैं या दूसरे शब्दों में कहें तो मांग ही नहीं रहे हैं.
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शराब व बियर के इन ब्रांडों की जमशेदपुर में है किल्लत
- 100 पाइपर्स 12 ईयर्स
- ब्लेंडर्स प्राइड का हाफ व पौवा
- स्टर्लिंग रिजर्व हाफ व पौवा
- 8पीएम हाफ व पौवा
- बोदका का कोई भी ब्रांड उपलब्ध नहीं
- विस्किन क्राफ्ट फुल व हाफ
- सिग्नेचर हाफ व पौवा
- बियर : हेनीकेन, किंगफिशर अल्ट्रा, बडवाइजर, टूबर्ग व गॉडफादर बाजार से गायब
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ये है महीने में शराब की खपत का आंकड़ा, आपूर्ति आधी
- शराब 32 हजार पेटी
- पौवा 768000 बोतल
- हाफ 240000 बोतल
- फुल 72000 बोतल
- बियर 30 हजार पेटी
- बोतल 240000
- केन 240000
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शराब की किल्लत को दूर करने के लिए किए जा रहे हैं प्रयास : एके मिश्रा
पूर्वी सिंहभूम के सहायक उत्पाद आयुक्त एके मिश्रा ने बताया कि पहले दुकानों में कुछ ब्रांडों की किल्लत, हाफ पौवा की दिक्कत की बातें सामने आई थी. शराब की मांग और आपूर्ति में कोई गैप न रहे, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. एमआरपी स्कैनर व प्रिंटर की भी मांग की जा रही है.
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