NewDelhi : अग्निपथ योजना को लेकर विपक्ष और सरकार आमने-सामने है. खबर हा कि विपक्ष 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के आगामी मानसून सत्र में अग्निपथ योजना के खिलाफ एकजुट होकर विरोध करने के मूड में है. बता दें कि संसद का मानसून सत्र शुरू होने से पहले केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच अग्निपथ योजना पर चर्चा हुई. सूत्रों के अनुसार रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ डेढ़ घंटे तक चली बैठक में विपक्षी सांसदों ने मांग की कि अग्निपथ योजना को या वापस ली जाये या विस्तृत जांच के लिए संसदीय समिति के हवाले की जाये.
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बैठक में भाजपा के चार समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के 12 सांसद शामिल हुए.
सूत्रों ने जानकारी दी कि संसद में हुई इस बैठक में भाजपा के चार समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के 12 सांसद शामिल हुए. बैठक के बाद विपक्षी गुट ने कहा कि उन्होंने अग्निपथ योजना को लेकर मजबूती से अपना विरोध व्यक्त किया है.सूत्रों के अनुसार राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल ने बैठक में कहा कि अगर कोई बड़ा बदलाव या नीति है जो कि सरकार पेश करती है, तो यह परीक्षण या प्रयोग के आधार पर नहीं किया जाता, बल्कि व्यापक स्तर पर विचार-विमर्श किया जाता है.
गोहिल ने कहा कि अग्निपथ योजना शुरू करने का निर्णय सशस्त्र बलों द्वारा नहीं लिया गया था. अग्निपथ के खिलाफ देशभर में जबरदस्त हंगामा हो रहा है और हम मांग करते हैं कि इस योजना को वापस लिया जाये.
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विपक्षी सांसदों ने ज्ञापन भी सौंपा
बैठक के दौरान विपक्ष द्वारा एक ज्ञापन सौंपा गया. इस पर शक्तिसिंह गोहिल और कांग्रेस की रजनी पाटिल, TMC के प्रोफेसर सौगत रॉय और सुदीप बंदोपाध्याय, एनसीपी से सुप्रिया सुले और राजद से एडी सिंह ने हस्ताक्षर किये. दिलचस्प बात यह रही कि विपक्षी सांसद मनीष तिवारी ने इस पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये.
TMC सांसद सौगत रॉय ने मीडिया से कहा कि सरकार हमारे किसी भी सवाल का जवाब देने में सक्षम नहीं थी, इसलिए विपक्ष के छह सदस्यों ने राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर व्यापक विचार-विमर्श करने और अग्निपथ योजना को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की है.
तिवारी के करीबी सूत्रों के अनुसार सवाल-जवाब सत्र के दौरान पंजाब से कांग्रेस सांसद ने इस योजना को लेकर सबसे ज्यादा सवाल पूछे. तिवारी कैंप के सूत्र ने कहा कि यह एक सलाहकार बैठक थी. तिवारी ने विपक्ष के पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किये. हालांकि उन्होंने अपनी चिंताओं को व्यक्त किया.