New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार सुबह नए संसद भवन की छत पर बने विशालकाय राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ का अनावरण किया. उन्होंने यहां काम में लगे मजदूरों से बातचीत भी की. राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ 9500 किलोग्राम के कुल वजन के साथ कांस्य से बना है. इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है. प्रतीक के समर्थन के लिए लगभग 6500 किलोग्राम वजन वाले स्टील की प्लेटफार्म का निर्माण किया गया है. इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप पुरी भी मौजूद थे.
राष्ट्रीय प्रतीक लगाने का काम आठ अलग-अलग चरणों में
नए संसद भवन की छत पर राष्ट्रीय प्रतीक लगाने का काम आठ अलग-अलग चरणों से पूरा किया गया. इसमें मिट्टी से मॉडल बनाने से लेकर कंप्यूटर ग्राफिक तैयार करना और कांस्य निर्मित आकृति को पॉलिश करना शामिल है.
नए संसद भवन में शीतकालीन सत्र आयोजित करने की कोशिश : ओम बिरला
इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि नया संसद भवन अक्टूबर-नवंबर 2022 तक समय पर पूरा होने की संभावना है. उन्होंने कहा कि हम इस साल नए संसद भवन में शीतकालीन सत्र आयोजित करने की कोशिश करेंगे. युद्धस्तर पर तैयारी चल रही है. निर्माण समय सीमा में केवल सात दिन का अंतराल है, जिसे कवर किया जा सकता है. हमने परियोजना को पूरा करने के लिए अक्तूबर-नवंबर का अनुमान दिया था और मुझे बहुत उम्मीद है कि 2022 का शीतकालीन सत्र नए हरित भवन में आयोजित किया जाएगा.
परियोजना की कुल लागत 920 करोड़ रुपये
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान में ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना की मुख्य सुरंग और 5 अंडरपास का उद्घाटन किया. यह परियोजना प्रगित मैदान रिडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट का एक अभिन्न अंग बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना की कुल लागत 920 करोड़ से अधिक आई है. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि 920 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बनाई गई यह इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है. इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य प्रगति मैदान में आयोजित होने वाली विश्व स्तरीय प्रदर्शनी और कन्वेंशन सेंटर तक लोगों को आसानी से पहुंचने में मदद मिलेगी.
प्रदर्शनी में आयोजक और विजिटर्स को मिलेगी सुविधा
प्रगति मैदान में इंटीग्रेटेड ट्रांजिट कॉरिडोर परियोजना की मुख्य सुरंग और पांच अंडरपास से अब प्रगति मैदान में आयोजित होने वाली किसी भी प्रदर्शनी में आयोजक और विजिटर्स आसानी से पहुंच पाएंगे. इस परियोजना की मदद से वाहनों की आवाजाही सुनिश्चित की जा सकेगी, जिससे यहां आने वाले लोगों के समय की बचत हो सकेगी.
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