जमशेदपुर में दो सौ टन से अधिक कचरा निकलता है हर दिन
देश के पहले प्लान शहर में नहीं है सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट
कचरों के डंप पहाड़ पर पार्क बनाने का खेल चल रहा सालों से
Anand Mishra
Jamshedpur : जमशेदपुर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट योजना को अब तक धरातल पर नहीं उतर पायी है देश का सबसे पहला प्लान सिटी होने के बाद भी घरो से निकलने वाले कचरा का प्रबंध की कोई व्यवस्था शहर में नही है. जमशेदपुर जैसे शहर में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) डंप पर पार्क बनाने का खेल सालो से जल रहा है. 2009 के बाद से ही शहर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के प्लांट लगाने को लेकर सरकारी महकामा योजना बना रही है. लेकिन अभी तक सॉलिड वेस्ट प्लांट नहीं लगा है. 2016 में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने नए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम (एसडब्ल्यूएम) लागू किया था. जो नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2000 की जगह लिया. लेकिन इस दिश में भी जमशेदपुर शहर में बेहतर काम नहीं किए गये. स्थानिए नगर निगम सिर्फ 75-80 प्रतिशत कचरा ही एकत्र करता है. योजना का समय पर पूरा नहीं होने से राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा . केन्द्र सरकार से मिलने वाला आर्थिक सहायता भी रुकेगी.वहीं सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट नहीं होने से वायु प्रदूषण की समस्य बनी रहेगी. जिस पर एनजीटी के द्वारा स्थानीय निकायों पर जुर्मना लगया जा सकता है. जमशेदपुर के गैर कंपनी इलाकों में रोजाना औसतन दो सौ टन से अधिक कचरा निकलता है, इसके चलते नगर निकाय ये कचरा शहर में खाली पड़ी जगहों पर जहां-तहां फेंकते हैं. सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के प्लांट के लिएम 40 एकड़ भूखंड चिह्नित त्तकालीक डीसी विजया जाधव ने जमशेदपुर अंचल अंतर्गत गोविन्दपुर थाना के मौजा – खैरबनी में ठोस अपशिष्ट ट्रीटमेन्ट प्लांट के निर्माण के लिए प्रशासन द्वारा भूमि चिन्हित की गई है. निर्माण का कार्य प्रारंभ करने के दौरान स्थानीय ग्रामीणों द्वारा इस योजना का विरोध कर रहे है. इस संबंध में ग्रामीणों से संवाद स्थापित करने के लिए उपायुक्त ने टीम गठित किया गया था जिसमें अपर उपायुक्त, अनुमंडल पदाधिकारी धालभूम, भूमि सुधार उपसमाहर्त्ता, विशेष पदाधिकारी, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति, कार्यपालक पदाधिकारी मानगो नगर निगम, कार्यपालक पदाधिकारी आदित्यपुर नगर निगम, प्रखण्ड विकास पदाधिकारी जमशेदपुर तथा निर्माणकर्ता एजेंसी के प्रतिनिधि शामिल हैं. उसके बाद पूरे मामले ठहर गया. तीन बार बदले गये स्थान शहर में जहां भी कचरा डंपिंग के लिए स्थान का चयन किया जाता है, वहां विरोध शुरू हो जाता है.
इसी तरह खैरबनी में भी ग्रामीण उग्र आंदोलन पर उतारू हो गये. समय-समय पर हरवे-हथियार के साथ उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन भी किया. शहर में पहले बागुनहातु नदी के किनारे कचरा डंप किया जाता था. पीएम आवास की आधारशिला रखने और नदी का अतिक्रमण होने का विरोध शुरू हुआ तो मेरिन ड्राइव में निकायों का कचरा डंप किया जाना लगा. इस बीच एक दशक में गालूडीह और चाकुलिया तक कचरा निस्तारण प्लांट बनाने के लिए जमीन चिह्नित की गई, जैसे ही स्थानीय लोगों को पता चलता, विरोध शुरू हो जाता था. कई सरकारें बदल गईं, लेकिन कचरा निस्तारण प्लांट का विरोध खत्म नहीं हुआ. आखिरकार जिला प्रशासन को बैकफुट पर आना पड़ा. 2009 में योजना को मिली थी मंजूरी ठोस कचरा प्रबंधन के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के प्लांट की योजना को 2009 में मंजूरी मिली थी, लेकिन हर बार कोई कारण से योजना लटकती चली गई. कभी जमीन विवाद तो कभी राशि का एस्टीमेट नहीं बन पाया. आइके वर्ल्ड वाइड कंसल्टेंट एजेंसी ने लगभग 85 करोड़ की लागत से एस्टीमेट तैयार किया. इनमें से लगभग 33.11 करोड़ रुपये 2009 में ही मंजूर हो गए. इनमें से नौ करोड़ जमशेदपुर अक्षेस को मिले, इनमें केंद्र और राज्य सरकार दोनों का हिस्सा है. पर योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. प्लांट नहीं बनने के कारण जहां-तहां जमा रहता है कचरा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के प्लांट नहीं होने की वजह से जमशेदपुर अधिसूचित समिति क्षेत्र, मानगो नगर निगम, जुगसलाई नगर परिषद तथा आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र समेत परसूडीह, घोड़ाबांधा, छोटागोविंदपुर, गदड़ा, हलुदबनी, सरजमदा की लगभग आठ ग्राम पंचायतों के तीन अधिसूचित क्षेत्र तथा कीताडीह और बागबेड़ा इलाके के कचरे का निस्तारण खैरबनी ट्रीटमेंट प्लांट में ही करने की योजना है.
2013 से ग्रामीण कर रहे विरोध खैरबनी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के प्रस्ताव का वर्ष 2013 से ही ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. इस पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि वे यहां किसी भी स्थिति में कचरा निस्तारण प्लांट नहीं लगने देंगे. इसके लिए उन्हें चाहे कोई भी कीमत चुकानी पड़े. जुस्को ने शुरू की जमीन की तलाश दोमुहानी में कचरा डंपिंग बंद होने पर स्थानिए निकायों को परेशानी होने लगी है, दूसरी ओर, खैरबनी कचरा प्लांट में फिर से पेच फंसने के बाद विकल्प की तलाश शुरू कर दी गई है. इसको लेकर टाटा यूआईएसएल (जुस्को) ने भी जमीन की तलाश शुरू कर दी है. एक-दो जगहों पर चार हेक्टयर जमीन चिह्नित की गई है. जेएनएसी और टाटा यूआईएसएल के बीच इसको लेकर जल्द ही बैठक होने वाली है. बैठक में तय किया जाएगा कि किस जमीन को डंपिंग यार्ड बनाना उचित रहेगा. क्या कहते हैं ग्राम प्रधान स्थानीय ग्राम प्रधान भागवत सोरेन ने इस मसले पर कहा कि वे किसी भी कीमत पर कचरा निस्तारण प्लांट की स्थापना नहीं होने देंगे. क्योंकि इससे पंचायत के सात टोला और यहां तक कि गोविंदपुर की आबादी प्रभावित होगी. प्रदूषण फैलेगा. खेत, खलिहान, पेयजल आदि पर इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा. इतना ही नहीं उक्त जमीन उनके पूर्वजों की है, जिसे उन्होंने बचा कर रखा है. क्या कहते है जेएनएसी के विशेष पदाधिकारी जेएनएसी (जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति) के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा था कि पिछली बार तो ग्रामीणों ने विरोध कर दिया था. उनका कहना था कि आमसभा नहीं हुई. उसके बाद वहां पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति कर दी गयी थी. आमसभा का नोटिस भी निकाल दिया गया. अब चूंकि नये उपायुक्त आये हैं, ऐसे में संबंधित कार्रवाई अथवा निर्णय उनके मार्गदर्शन में ही लिया जायेगा.