Jamshedpur(Dharmendra Kumar) : मैथिली साहित्य के विकास में लोकगाथा व लोकगीत के योगदान विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मैथिली साहित्य परिषद् द्वारा विद्यापति भवन में किया गया. दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ रविवार को मुख्य अतिथि अरुण कुमार मिश्रा सहायक आयुक्त उत्पाद विभाग एवं जयचंद्र झा पूर्व रेलवे अधिकारी ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया. इस मौके पर मुख्य अतिथि ने कहा कि लोक गाथा की दृष्टि से मैथिली भाषा काफी समृद्ध है और 134 लोकगाथा का प्रचलन मैथिली साहित्य में मिथिला के विविध क्षेत्रों के अंतर्गत पाया जाता है.
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साहित्य कोई भी हो लोकगीत ही शिष्ट साहित्य के निर्माण का आधार बनते हैं. शिष्ट साहित्य के निर्माण में लोक साहित्य की भूमिका मूलतः लोकगीत से प्रारंभ होती है और आज भी वह लोकप्रिय विधा है. इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में पहले दिन साहित्य अकादमी के उप सचिव डॉ सुरेश बाबू, साहित्य अकादमी के पूर्वी क्षेत्र परिषद एवं मैथिली परामर्श दात्री समिति के संयोजक डॉ अशोक अविचल जमशेदपुर के डॉ शान्ति सुमन, डॉ रवींद्र कुमार चौधरी, शिव कुमार झा टिल्लु, रुपम झा, नारायण झा, कुमार मनीष अरविंद, सियाराम झा सरस, रविन्द्र कुमार चौधरी ने अपने विचार रखे. धन्यवाद ज्ञापन शिशिर कुमार झा ने किया.