Jamshedpur (Ashok Kumar) : पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल के सीरीसबोनी गांव में आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के नाम पर महिला पर 1.05 लाख रुपये जुर्माना लगाने और गांव से बहिष्कार करने के मामले में पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है. पत्र लिखने के पहले उन्होंने गांव में जाकर पूरे मामले से रू-ब-रू हुये. पत्र में कहा गया है कि महिला के साथ अन्याय, अत्याचार और शोषण करते हुए संविधान, कानून, मानव अधिकार का भी उलंघन किया गया है.
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मुनीराम सोरेन का परिवार हुआ शिकार
पूरे प्रकरण में असना पंचायत के सीरीसबोनी ग्राम के मुनीराम सोरेन का परिवार शिकार हुआ है. मुनीराम के परिवार पर सिरिसबोनी के ग्रामप्रधान (माझी बाबा) मंगड़ू सोरेन और ढंगाकमल का ग्रामप्रधान (माझी बाबा) सिंगरई सोरेन और अन्य ग्रामीणों ने क्रूर अमानवीय और अपराधिक घटना को 13. अक्तूबर की शाम 6.30 बजे अंजाम दिया है. ग्रामीणों ने परिवार का सामाजिक वहिष्कार और 1.05 लाख का जुर्माना दंड स्वरूप लगाने की घोषणा की है.
पुत्र बबलू सोरेन है जेल में
मामले में कहा गया है कि मुनीराम का पुत्र बबलू सोरेन पिछले 8 माह से जेल में है. परिवार के समक्ष मानसिक और भौतिक कष्टों का पहाड़ तो टूट पड़ा है. दो छोटे बच्चे हैं. मुनीराम सोरेन-9 वर्ष और निखिल सोरेन-7 वर्ष. मानसिक पीड़ा और व्यथा दिल दहलाने वाली है. ग्राम प्रधान और ग्रामीणों ने दोनों बच्चों से बातचीत के लिए गांव के सभी लोगों को मना भी किया है.
दो किलोमीटर दूर घुमकर जाना पड़ता है स्कूल
कहा गया है कि मुनीराम के घर केपास ही स्कूल है, लेकिन सामाजिक बहिष्कार के कारण बच्चों को दो किलोमीटर दूर घुमकर स्कूल जाना पड़ता है. अगर उनसे कोई बात करता है को उनपर भी 5000 रुपये का जुर्माना लगाने की घोषणा की गयी है. ग्रामीणों की रैयती जमीन पर चलने के लिये भी प्रतिबंध लगाया गया है. वे सिर्फ सरकारी जमीन पर चल सकते हैं. गांव में सुनील सोरेन की दुकान है जहां से राशन लेने की मनाही है.
थाने में नहीं सुनी गयी पीड़िता की शिकायत
मुनीराम का बेटा बबलू सोरेन हत्या के एक मामले पर 8 माह से जेल में बंद है. बबलू की पत्नी पूर्णिमा सोरेन ने मुनीराम सोरेन परिवार के साथ हो रहे जुल्म के खिलाफ 21 अक्टूबर 2022 को घाटशिला थाना में लिखित शिकायत दी थी. घाटशिला के थानेदार ने कोई रिसीविंग नहीं दिया. सालखन ने बताया कि वे खुद 22 अक्तूबर की शाम 4.30 बजे तक जब हम लोग जांच के क्रम में झाड़बेड़ा में पूर्णिमा सोरेन के पिता श्याम चरण मार्डी और भाई सीदो मार्डी से उनके घर पर जाकर मिले. इसके बाद मुनीराम के घर जाकर गांव में मुनीराम सोरेन उनकी पत्नी पार्वती सोरेन, दोनों बच्चे, पूर्णिमा सोरेन तथा उनके भाई सिदो मार्डी के साथ बातचीत की. झाड़बेडा में पूर्णिमा सोरेन उनके माता-पिता के साथ उनके घर में बातचीत के दौरान घाटशिला के एसडीओ सत्यवीर राम के साथ फोन में बातचीत हुई. एसडीओ ने कहा तीन अधिकारियों की कमेटी बनी है. जांच चल रही है. मगर अबतक किसी अफसर ने गांव जाकर कोई जांच की कार्रवाई नहीं की है. सेंगेल की जांच टीम में सालखन मुर्मू के अलावा सुमित्रा मुर्मू, बिमो मुर्मू, सुरेश चंद्र मुर्मू, टार्जन मार्डी, रायसेन टुडू, बलाय मुर्मू, सोमय मार्डी, घनश्याम टुडू शामिल थे.
क्या निकाला जा सकता है निष्कर्ष
घाटशिला की यह घटना भारत देश की संवैधानिक मर्यादा, कानून का राज और मानव अधिकारों को धत्ता बताता है, मर्यादा के साथ जीने के मूल अधिकार (अनुच्छेद 21) पर हमला है. झारखंड सरकार की निष्क्रियता के साथ आदिवासी विरोधी मानसिकता का प्रमाण है. आदिवासी परंपरा, प्रथा रूढ़ी आदि के नाम पर जारी संविधान विरोधी, कानून विरोधी, जनतंत्र विरोधी इन कार्रवाई पर लगाम लगाने की बजाये झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार और उनकी सहयोगी संगठन- मझी परगना महाल आदि वोट के फायदे में इनको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग करते हुए दिखाई पड़ते हैं. ट्राईबल सेल्फ रूल सिस्टम में अविलंब सुधार होना जनहित में और जनतंत्र हित में जरूरी है. नतीजा आर्थिक जुर्माना/दंड (डंडोम), सामाजिक वहिष्कार (वरोंन/ बाढ़), डायन प्रताड़ना/ हत्या ( डान पंजा/ सेंदरा) आदिवासी महिला बिरोधी मानसिकता आदि जारी है.
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