Jamtara: जामताड़ा के अनुमंडल कार्यालय के समक्ष शनिवार को बारबेंदिया पुल निर्माण संघर्ष समिति के संरक्षन में एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया. प्रदर्शनकारियों ने वीरगांव में साल 2009 से अधूरे बारबेंदिया पुल निर्माण करवाने की मांग की. 2009 में पानी के तेज बहाव के कारण पुल का दो पिलर बह गया था. इसके बाद पुल के निर्माण काम को अधूरा छोड़ दिया गया.
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जामताड़ा के लोगों को अधिक दूरी तय करना पड़ता
निर्माण संघर्ष समिति के अध्यक्ष अशोक महतो ने कहा कि पुल का काम अधूरा होने के कारण जामताड़ा जिले के लोगों को निरसा जाने के लिए 35 किलोमीटर अधिक दूरी तय करनी पड़ती है. वीरगांव-बारबेंदिया के रास्ते जामताड़ा व निरसा के बीच की दूरी महज 25 किलोमीटर है. जबकि चित्तरंजन, मैथन के रास्ते घूमकर निरसा जाने के लिए 60 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
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लोगों को जान का खतरा बना रहता
जामताड़ा के लोग इतनी लंबी दूरी करने से बचने के लिए नाव के सहारे जाते हैं. नाव से उन्हें ज्यादा दूरी तय नहीं करना पड़ता, लेकिन इसमें हमेशा जान का खतरा बना रहता है.
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पानी के तेज बहाव के कारण बह गया था पिलर
ग्रामीण विकास विभाग, धनबाद की विशेष कार्य प्रमंडल द्वारा 20 जनवरी 2008 को पुल निर्माण शुरू की गयी थी. इस बीच 20 अगस्त 2009 को निर्माण के दौरान ही वीरगांव-बारबेंदिया पुल का दो पिलर पानी में बह गया. साथ ही दो अन्य पिलर पानी के तेज बहाव के कारण झूक गया.
64.33 फीट पाइलिंग की जगह 22 फीट का बनाया था पाइलिंग
पिलर के बह जाने के बाद इसकी जांच शुरू की गयी. जांच में पता चला कि पुल के पिलर की 22 फीट का ही पाइलिंग दिया गया था, जबकि 64.33 फीट पाइलिंग बनाना था. हार्ड रॉक के बिना ही पिलर की पाइलिंग कर दी गयी थी. यही वजह है कि निर्माण के दौरान ही पुल का दो पिलर पानी के तेज बहाव में बह गया. पुल में कुल 56 पिलर बनाया गया था. पुल जब निर्माण हुआ था उस समय उसकी लंबाई 1433 मीटर थी.
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