Jamtara: धान क्रय केन्द्र में धान बेचने वाले किसानों से प्रति क्विंटल 10 से 13 किलोग्राम धान की कटौती की जा रही है. इस कारण किसानों को धान के समर्थन मूल्य से भी कम का भुगतान हो रहा है. इस संबंध में जिला आपूर्ति विभाग की मौन सहमति से इंकार नहीं किया जा सकता है. किसान नमी व धूल-गर्दा के नाम पर धान कटौती की शिकायत करते हैं, तो उनकी शिकायत को तवज्जों भी नहीं दिया जा रहा है.
जहां लैम्पस वाले धान की कटौती के लिए टैगिंग मिल को जिम्मेदार मानते हैं. वहीं मिल मालिक लैम्पस वाले से बात करने की बात करने से बचते हैं. इधर जिला प्रशासन भी धान की खरीद में मिल मालिक व लैम्पस की भूमिका की जांच करने से परहेज करती नजर आ रही है.
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जिले के अधिकांश किसान परेशान होकर अपना धान औने-पौने दाम में लैम्पस से बाहर बेच रहे हैं. लिहाजा बिचौलिया किसानों से कम दर पर धान खरीदकर बंगाल भेज रहे हैं. जिले में धान की खरीद के लिए 6 केंद्र हैं. पिछले महीने से धान की खरीद भी शुरू हुई है.
इधर धान खरीद केंद्रों में किसानों के शोषण को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा तमाम दावे किए जा रहे हैं. लेकिन हकीकत यह है कि क्रय केंद्र में धान बेचने के लिए किसानों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. जिन किसानों ने क्रय केन्द्र में धान बेचे हैं. उन्हें प्रति क्विंटल 10 से 13 किलोग्राम तक धान का नुकसान हो रहा है.
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इस संबंध में करमाटांड़ प्रखंड क्षेत्र के शिकरपोसनी लैम्पस के सचिव राठो मंडल ने कहा कि मिल मालिक का कहना है कि प्रति क्विंटल धान खरीद का 68 प्रतिशत चावल तैयार कर देना पड़ता है. अगर किसानों से धान खरीद के दौरान ही कटौती नहीं किया जाएगा, तो निर्धारित मापदंड के अनुरूप चावल नही दिया जा सकेगा. कहा कि सरकार द्वारा धान खरीद के ऐवज में प्रति क्विंटल किसानों को दो हजार पचास रूपए का भुगतान किया जा रहा है.
उपायुक्त फैज अहमद मुमताज ने कहा कि किसानों से धान कटौती की जांच जिला आपूर्ति पदाधिकारी से करवाया जाएगा. अगर जांच में गड़बड़ी पायी जाती है, तो लैम्पस व मिल मालिक के विरूद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जायेगी.
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