Ranchi : झारखंड में सक्रिय अपराधियों, उग्रवादियों और नशा कारोबार से जुड़े लोगों के लिए जंगी ऐप कारगर साबित हो रहा है. इस ऐप का इस्तेमाल वो अपने संगठन से जुड़े लोगों से बात करने में कर रहे हैं. हाल के दिनों में अपराधी और उग्रवादी जंगी ऐप पर ही सदस्यों को आदेश देते हैं कि किस से रंगदारी की मांग करनी है और कहां घटना को अंजाम देना है. दूसरी तरफ नशा कारोबार से जुड़े तस्कर भी अपने सहयोगियों से बात करने के लिए जंगी ऐप का उपयोग कर रहे हैं. जंगी ऐप एक मैसेंजर ऐप है, जो सर्वर लेस बताया जाता है. इसमें की गयी बातचीत का डेटा सिर्फ यूजर के मोबाइल पर स्टोर होता है. इस फीचर की वजह से इसे पूरी तरह से प्राइवेट ऐप माना जाता है.
अपराधियों के बीच जंगी ऐप का उपयोग करने का प्रचलन बढ़ा : सीआईडी डीजी
इसको लेकर सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता का कहना है कि जंगी ऐप, व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसा ही है. इसको वॉइस ओवर इंटरेक्ट प्रोटोकॉल (वीओआइपी) भी बोलते हैं. इसके जरिये जब कोई किसी से बात करता है तो वो नॉर्मल नेटवर्क फीचर का उपयोग ना करके आईपी फीचर उपयोग करता है. अपराधियों को लगता है कि इस ऐप का उपयोग करेंगे तो पकड़े नहीं जायेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है. हमलोग अपराधियों को पकड़ लेंगे. अनुराग गुप्ता ने बताया हाल के दिनों में नारकोटिक्स के बड़े लीडर भी इस ऐप का उपयोग कर रहे हैं.
PLFI सुप्रीमो दिनेश गोप भी करता था जंगी ऐप का इस्तेमाल
सीआईडी डीजी अनुराग गुप्ता ने बताया कि पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप भी जंगी ऐप का उपयोग करता था. बताया कि इसी ऐप के माध्यम से ही उसकी गिरफ्तारी भी हुई. बता दें कि बीते 21 मई 2023 को एनआईए ने झारखंड पुलिस के लिए सिर दर्द बना दिनेश गोप को नेपाल से गिरफ्तार किया था.
झारखंड में इन आपराधिक गिरोह का है आतंक
झारखंड में इन दिनों सर्वाधिक आतंक जेल में बंद अमन साव और उसके गिरोह के साथियों का है, जो कानून व्यवस्था के लिए सिरदर्द बना हुए हैं. इसी तरह पांडेय गिरोह, अमन सिंह गिरोह, प्रिंस खान गिरोह, अमन श्रीवास्तव गिरोह, सुजीत सिन्हा गिरोह भी राज्य में सक्रिय हैं. हालांकि देखा जाये तो इन गिरोहों के अधिकतर सरगना गिरफ्तार होने के बाद विभिन्न जेलों में बंद हैं. लेकिन इनके गुर्गे राज्य में आतंक मचा रहे हैं.