Ranchi (Nitesh Ojha) : राज्य गठन के बाद झारखंड कांग्रेस पहली बार मजबूत सरकार का सुख भोग रही है. सहयोगी झामुमो के साथ कांग्रेस का सत्ता में ढाई साल पूरे भी हो गये हैं. ढाई साल में प्रदेश कांग्रेस के शीर्ष नेताओं का गठबंधन की मजबूती पर तो हमेशा से जोर रहा है. इसके लिए वे कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, को-ऑर्डिनेशन कमेटी बनाने पर फोकस करते रहे हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि प्रदेश नेताओं का पार्टी के आंतरिक संगठन मजबूत करने पर जोर नहीं के बराबर है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साढ़े चार साल से झारखंड कांग्रेस बिना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) के काम कर रही है. चार साल आठ महीना (नवंबर 2017 के बाद से अबतक) की अवधि में झारखंड कांग्रेस को तीन प्रदेश अध्यक्ष संभाल चुके हैं. तीनों ने बिना पीसीसी गठित किये ही प्रदेश संगठन को चलाया. इसके लिए इन्होंने कुछ सेलेक्टिव प्रवक्ताओं पर ही भरोसा जताना उचित समझा. इन्होंने इस बात की चिंता नहीं कि इससे संगठन पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
अंतिम बार सुखदेव भगत के समय गठित हुई पीसीसी
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन अंतिम बार सुखदेव भगत के समय हुआ था. सुखदेव भगत मई 2013 से नवंबर 2017 तक प्रदेश अध्यक्ष थे. नवंबर 2017 के बाद से अबतक डॉ अजय कुमार, डॉ रामेश्वर उरांव और राजेश ठाकुर संभाल चुके हैं. डॉ अजय को 17 नवंबर 2017 को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. डॉ उरांव 26 अगस्त 2019 को प्रदेश अध्यक्ष बने थे. राजेश ठाकुर 25 अगस्त 2021 से प्रदेश अध्यक्ष का पद अभी तक संभाल रहे हैं. लेकिन तीनों ही नेताओं ने शायद ही पीसीसी के गठन पर विशेष फोकस किया. इनके कार्यकाल में कुछ चुनिंदा प्रवक्ताओं के भरोसे ही संगठन चलाने पर जोर रहा.
प्रखंडों से मांग जा रहा नेताओं का नाम
सूत्रों के मुताबिक, डिलिगेट बनाने के लिए प्रखंडों से नेताओं का नाम मांगा जा रहा है. इस बात से यह चर्चा जोरों पर है कि पीसीसी गठन की दिशा में प्रदेश नेतृत्व अब आगे बढ़ा है.
जल्द हो जाएगा प्रदेश कार्यसमिति का गठन और जिला अध्यक्षों का मनोनयन
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा है कि अभी संगठन की चुनावी प्रक्रिया चालू है. इसके खत्म होने के उपरांत बहुत जल्द पीसीसी (कार्यसमिति) का गठन और अन्य जिलों में जिला अध्यक्षों का मनोनयन हो जाएगा.
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